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खुशियों की सवारी के पहिए कई महीनों से ठप, लोग परेशान

नैनीताल जिले में संचालित होने वाली 9 खुशियों की सवारी के वाहन अलग-अलग अस्पतालों में खड़े हैं. इन वाहनों का संचालन बंद होने के बाद जच्चा-बच्चा और मरीजों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.

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Published : Jan 14, 2020, 10:55 AM IST

हल्द्वानीः उत्तराखंड में प्रसव के बाद जच्चा-बच्चा को घर तक पहुंचाने वाली खुशियों की सवारी बीते कई महीनों से बंद है. जिसके चलते लोग प्रसूता और नौनिहालों को प्राइवेट वाहन से ही घर ले जाने को मजबूर हैं. अस्पतालों में इसके लिए कोई वैकल्पिक व्यवस्था भी नहीं की गई है. इतना ही नहीं ये वाहन अस्पताल परिसर में खड़े-खड़े जंग खा रहे हैं, लेकिन प्रदेश सरकार और स्वास्थ्य महकमा इसे फिर से संचालित करने की जहमत तक नहीं उठा रहा है. जिसका खामियाजा जनता को भुगतना पड़ रहा है.

खुशियों की सवारी का संचालन बंद.

बता दें कि प्रदेश सरकार और स्वास्थ्य महकमे ने प्रदेश में गर्भवती महिलाओं के साथ मासूम बच्चों के इलाज के लिए खुशियों की सवारी नाम से एंबुलेंस चलाई थी. ये एंबुलेंस डिलीवरी के बाद महिलाओं को अस्पताल से उनके घर तक फ्री में छोड़ने के लिए जाती थी, लेकिन इसका संचालन पीपीपी मोड में किया जाने लगा. जिसके बाद प्रदेश में खुशियों की सवारी का संचालन लड़खड़ाने लगा.

ये भी पढ़ेंः एसिड बेचने वालों के खिलाफ सख्त हुई देहरादून पुलिस

वहीं, राज्य सरकार ने पीपीपी मोड के तहत स्वास्थ्य महकमे को सीएमओ स्तर पर इसे संभालने की जिम्मेदारी दी, लेकिन सरकार के द्वारा बजट कम दिए जाने के चलते स्वास्थ्य महकमे ने हाथ खड़े कर दिए हैं. ऐसे में कई महीनों से खुशियों की सवारी के पहिए पूरी तरह से ठप हैं. नैनीताल जिले की बात करें तो जिले से संचालित होने वाली 9 खुशियों की सवारी के वाहन अलग-अलग अस्पतालों में खड़े-खड़े जंग खा रहे हैं.

इनमें ज्यादातार वाहन खराब हो चुके हैं और चलने की स्थिति में नहीं हैं. जबकि, विभाग इन वाहनों की सुध लेने के लिए कोई भी ठोस कदम नहीं उठा रहा है. जिसका खामियाजा जच्चा-बच्चा को उठाना पड़ रहा है. बता दें कि पूरे प्रदेश में 97 खुशियों की सवारी हैं. वहीं, कुमाऊं कमिश्नर राजीव रौतेला का कहना है कि जहां खुशियों की सवारी का संचालन नहीं हो रहा है. वहां पर इसे सुचारू किया जाएगा.

हल्द्वानीः उत्तराखंड में प्रसव के बाद जच्चा-बच्चा को घर तक पहुंचाने वाली खुशियों की सवारी बीते कई महीनों से बंद है. जिसके चलते लोग प्रसूता और नौनिहालों को प्राइवेट वाहन से ही घर ले जाने को मजबूर हैं. अस्पतालों में इसके लिए कोई वैकल्पिक व्यवस्था भी नहीं की गई है. इतना ही नहीं ये वाहन अस्पताल परिसर में खड़े-खड़े जंग खा रहे हैं, लेकिन प्रदेश सरकार और स्वास्थ्य महकमा इसे फिर से संचालित करने की जहमत तक नहीं उठा रहा है. जिसका खामियाजा जनता को भुगतना पड़ रहा है.

खुशियों की सवारी का संचालन बंद.

बता दें कि प्रदेश सरकार और स्वास्थ्य महकमे ने प्रदेश में गर्भवती महिलाओं के साथ मासूम बच्चों के इलाज के लिए खुशियों की सवारी नाम से एंबुलेंस चलाई थी. ये एंबुलेंस डिलीवरी के बाद महिलाओं को अस्पताल से उनके घर तक फ्री में छोड़ने के लिए जाती थी, लेकिन इसका संचालन पीपीपी मोड में किया जाने लगा. जिसके बाद प्रदेश में खुशियों की सवारी का संचालन लड़खड़ाने लगा.

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वहीं, राज्य सरकार ने पीपीपी मोड के तहत स्वास्थ्य महकमे को सीएमओ स्तर पर इसे संभालने की जिम्मेदारी दी, लेकिन सरकार के द्वारा बजट कम दिए जाने के चलते स्वास्थ्य महकमे ने हाथ खड़े कर दिए हैं. ऐसे में कई महीनों से खुशियों की सवारी के पहिए पूरी तरह से ठप हैं. नैनीताल जिले की बात करें तो जिले से संचालित होने वाली 9 खुशियों की सवारी के वाहन अलग-अलग अस्पतालों में खड़े-खड़े जंग खा रहे हैं.

इनमें ज्यादातार वाहन खराब हो चुके हैं और चलने की स्थिति में नहीं हैं. जबकि, विभाग इन वाहनों की सुध लेने के लिए कोई भी ठोस कदम नहीं उठा रहा है. जिसका खामियाजा जच्चा-बच्चा को उठाना पड़ रहा है. बता दें कि पूरे प्रदेश में 97 खुशियों की सवारी हैं. वहीं, कुमाऊं कमिश्नर राजीव रौतेला का कहना है कि जहां खुशियों की सवारी का संचालन नहीं हो रहा है. वहां पर इसे सुचारू किया जाएगा.

Intro:sammry- कई महीनों से खुशियों की सवारी की पहिया ठप जच्चा बच्चा मरीज परेशान। एंकर- उत्तराखंड के अधिकतर सरकारी अस्पतालों से संचालित होने वाली खुशियों की सवारी पिछले कई महीनों से ठप पड़ी है जिसके चलते प्रसूता महिलाओं और नौनिहालों को खासा परेशानी का सामना उठानी पड़ रही है । ऐसे में अब खड़े-खड़े खुशियों की सवारी के वाहन में अब धीरे-धीरे जंग लग रहा है। लेकिन प्रदेश सरकार और स्वास्थ्य महकमा इसको चलाने का जहमत तक नहीं उठा रही। है बताया जा रहा है कि पीपी मोड़ पर चलने वाली खुशियों की सवारी को स्वास्थ्य महकमा द्वारा सीएमओ के माध्यम से चलाई जानी थी लेकिन सरकार द्वारा बजट कम दिए जाने के चलते स्वास्थ्य महकमे ने हाथ खड़े कर दिए हैं।


Body:दरअसल प्रदेश में खुशियों की सवारी का संचालन पहले पीपी मोड़ पर हुआ करता था । जिसके बाद सरकार ने इसकी जिम्मेदारी स्वास्थ्य महकमा को सीएमओ अस्तर पर संभालने को दी प्रदेश सरकार द्वारा संचालन के लिए बजट कम दिए जाने के चलते स्वास्थ्य विभाग ने हाथ खड़े कर दिए। ऐसे में कई महीनों से खुशीयो की सवारी के पहिया पूरी तरह से ठप हैं। बात नैनीताल जनपद की करे तो जिले से संचालित होने वाली 9 खुशियों की सवारी वाहन अलग-अलग अस्पतालों में खड़े-खड़े जंग खा रही हैं जिसके चलते अधिकतर वाहन या तो खराब हो चुके हैं या जो चलने लायक है ।विभाग इन वाहनों को सुध लेने के लिए कोई भी ठोस कदम नहीं उठा रहा है जिसका खामियाजा जच्चा बच्चा को उठाना पड़ रहा है। प्रसूता प्राइवेट वाहन से अस्पताल आने जाने के लिए मजबूर है। पूरे प्रदेश में 97 खुशियों की सवारी हैं।


Conclusion:वह इस पूरे मामले में कुमाऊं कमिश्नर राजीव रौतेला का कहना है कि जहां कहीं भी खुशियों की सवारी नहीं चल रही है उनको सुचारू करने का काम किया जाएगा। लेकिन प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने का दावा करने वाली सरकार की इन खुशियों की सवारी के पहिए कई महीने से ठप है। लेकिन सरकार इसको चलाने की जहमत तक नहीं उठा रही हैं जिससे कि प्रसूता महिलाओं और नौनिहालों को लाभ मिल सके। बाइट -राजीव रौतेला कमिश्नर कुमाऊं
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