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'स्वास्थ्य कर्मी सब भाई, जुटे पड़े दिन रात रे..पेटशाली की कविता कर रही प्रेरित

साहित्यकार जुगल किशोर पेटशाली ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत कोरोना वॉरियर्स को समर्पित एक कविता लिखी है. कविता के माध्यम से लोगों को जागरूक करने की कोशिश की गई है.

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जुगल किशोर पेटशाली
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Published : Apr 29, 2020, 10:26 AM IST

Updated : Apr 29, 2020, 1:06 PM IST

हल्द्वानीः उत्तराखंड की संस्कृति और कुमाऊंनी लोक कला को देश-विदेश तक पहचान दिलाने वाले जुगल किशोर पेटशाली ने कोरोना जागरूकता कविता लिखी है. यह कविता उन्होंने प्रधामनंत्री नरेंद्र मोदी समेत कोरोना वॉरियर्स को समर्पित की है. कोरोना से बचने को लेकर संदेश भी दिया है.

साहित्यकार जुगल किशोर पेटशाली कविता के जरिए कर रहे प्रेरित.

बता दें कि, जुगल किशोर पेटशाली ने उत्तराखंड की संस्कृति, लोक कला, वाद्य यंत्र, लोक संगीत, लोक नृत्य समेत लोक त्योहारों को अलग पहचान दिलाने के लिए अपनी पूरी उम्र समर्पित की है. साल 1947 में जन्मे जुगल किशोर पेटशाली को उत्तराखंड का गौरव बढ़ाने और सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित रखने के लिए अब तक अनेकों बार सम्मानित किया जा चुका है.

ये भी पढ़ेंः Exclusive- कोरोना महामारी से कैसे करें बचाव, जानें डॉ नरेश त्रेहान से

उम्र के इस पड़ाव में भी वे अपनी कविताओं के माध्यम से समाज को महामारी से बचने का संदेश दे रहे हैं. इसी कड़ी में उन्होंने एक कविता लिखी है. कविता के बोल कुछ इस प्रकार से हैं- 'स्वास्थ्य कर्मी सब भाई, जुटे पड़े दिन रात रे..आमजनों को क्या करना है, बता रहे ये पाथ रे....' इस कविता के जरिए वे लोगों को जागरूक होने का संदेश दे रहे हैं.

हल्द्वानीः उत्तराखंड की संस्कृति और कुमाऊंनी लोक कला को देश-विदेश तक पहचान दिलाने वाले जुगल किशोर पेटशाली ने कोरोना जागरूकता कविता लिखी है. यह कविता उन्होंने प्रधामनंत्री नरेंद्र मोदी समेत कोरोना वॉरियर्स को समर्पित की है. कोरोना से बचने को लेकर संदेश भी दिया है.

साहित्यकार जुगल किशोर पेटशाली कविता के जरिए कर रहे प्रेरित.

बता दें कि, जुगल किशोर पेटशाली ने उत्तराखंड की संस्कृति, लोक कला, वाद्य यंत्र, लोक संगीत, लोक नृत्य समेत लोक त्योहारों को अलग पहचान दिलाने के लिए अपनी पूरी उम्र समर्पित की है. साल 1947 में जन्मे जुगल किशोर पेटशाली को उत्तराखंड का गौरव बढ़ाने और सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित रखने के लिए अब तक अनेकों बार सम्मानित किया जा चुका है.

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उम्र के इस पड़ाव में भी वे अपनी कविताओं के माध्यम से समाज को महामारी से बचने का संदेश दे रहे हैं. इसी कड़ी में उन्होंने एक कविता लिखी है. कविता के बोल कुछ इस प्रकार से हैं- 'स्वास्थ्य कर्मी सब भाई, जुटे पड़े दिन रात रे..आमजनों को क्या करना है, बता रहे ये पाथ रे....' इस कविता के जरिए वे लोगों को जागरूक होने का संदेश दे रहे हैं.

Last Updated : Apr 29, 2020, 1:06 PM IST
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