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LOCKDOWN EFFECT: मजदूर दिवस पर ये मजबूर क्यों?

लॉकडाउन के चलते कुमाऊं के गौला नदी में काम करने वाले हजारों श्रमिक फंसे हुए है. मजदूरों के पास न तो खाने को कुछ है और न ही घर जा पा रहे है. ऐसे में विश्व मजदूर दिवस के मौके पर मजदूरों ने सरकार से मांग की है कि उनको मजदूरी दी जाए या फिर उनको घर छोड़ा जाए.

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Published : May 1, 2020, 4:13 PM IST

labour
मजदूर दिवस

हल्द्वानी: आज एक मई को विश्व मजदूर दिवस मनाया जाता है. लेकिन कोरोना लॉकडाउन के चलते कुमाऊं के गौला नदी में काम करने वाले हजारों श्रमिक फंसे हुए है. मजदूरों के पास न तो खाने को कुछ है और न ही घर जा पा रहे है. ऐसे में विश्व मजदूर दिवस के मौके पर मजदूरों ने सरकार से मांग की है कि उनको मजदूरी दी जाए या फिर उनको घर छोड़ा जाए.

विश्व मजदूर दिवस.

कोरोना लॉकडाउन के चलते देश में लॉकडाउन किया गया है. वहीं गौला नदी में सैकड़ों खनन मजदूर फंसे हुए हैं. फंसे हुए मजदूरों के पास राशन के नाम पर कुछ भी नहीं है. ऐसे में मजदूर दिवस के मौके पर उत्तर प्रदेश, बिहार और झारखंड सहित कई बाहरी प्रदेशों के फंसे हजारों मजदूरों ने सरकार से गुहार लगाई है कि उनको या तो मजदूरी दी जाए नहीं तो उनको घर वापस भेजा जाए.

पढ़ें: देवभूमि में फिर मौसम की करवट बदली, मैदान में बारिश-पहाड़ों पर ओलावृष्टि

खनन मजदूरों का कहना है कि लॉकडाउन के चलते हैं उनको मजदूरी नहीं मिल पा रही है. उनके सामने खाने के संकट खड़े हो गए हैं. हालात इतने खराब है कि सरकार भी अब राशन नहीं दे पा रही है. सरकार कभी-कभी राशन के नाम पर चावल तो दे जाते हैं लेकिन उससे भी गुजारा नहीं हो पा रहा है. मजदूरों में इसको लेकर सरकार से नाराजगी जताई है.

हल्द्वानी: आज एक मई को विश्व मजदूर दिवस मनाया जाता है. लेकिन कोरोना लॉकडाउन के चलते कुमाऊं के गौला नदी में काम करने वाले हजारों श्रमिक फंसे हुए है. मजदूरों के पास न तो खाने को कुछ है और न ही घर जा पा रहे है. ऐसे में विश्व मजदूर दिवस के मौके पर मजदूरों ने सरकार से मांग की है कि उनको मजदूरी दी जाए या फिर उनको घर छोड़ा जाए.

विश्व मजदूर दिवस.

कोरोना लॉकडाउन के चलते देश में लॉकडाउन किया गया है. वहीं गौला नदी में सैकड़ों खनन मजदूर फंसे हुए हैं. फंसे हुए मजदूरों के पास राशन के नाम पर कुछ भी नहीं है. ऐसे में मजदूर दिवस के मौके पर उत्तर प्रदेश, बिहार और झारखंड सहित कई बाहरी प्रदेशों के फंसे हजारों मजदूरों ने सरकार से गुहार लगाई है कि उनको या तो मजदूरी दी जाए नहीं तो उनको घर वापस भेजा जाए.

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खनन मजदूरों का कहना है कि लॉकडाउन के चलते हैं उनको मजदूरी नहीं मिल पा रही है. उनके सामने खाने के संकट खड़े हो गए हैं. हालात इतने खराब है कि सरकार भी अब राशन नहीं दे पा रही है. सरकार कभी-कभी राशन के नाम पर चावल तो दे जाते हैं लेकिन उससे भी गुजारा नहीं हो पा रहा है. मजदूरों में इसको लेकर सरकार से नाराजगी जताई है.

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