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उत्तराखंड में बागवानी के साथ रेशम उत्पादन कर रहे 10 हजार किसान, आय हुई दोगुनी

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Published : Aug 8, 2019, 11:16 AM IST

किसानों को रेशम उत्पादन से जोड़ने के लिए रेशम विभाग कई योजनाओं का संचालन कर रहा है. जिसका सीधा फायदा प्रदेश के किसानों को मिल रहा है. प्रदेश के 10,500 किसान रेशम उत्पादन कर रहे हैं. जिसके चलते साल 2018 -19 में 259 टन रेशम का उत्पादन हुआ और किसानों की आय भी बढ़ रही है.

रेशम उत्पादन से जुड़े प्रदेश के दस हजार किसान, आय में हो रही दोगुनी वृद्धि.

हल्द्वानी: रेशम विभाग किसानों को रेशम उत्पादन से जोड़ने के लिए कई तरह के कार्यक्रमों का आयोजन कर रहा है. जिसके चलते देशभर के किसान बागवानी के साथ-साथ रेशम उत्पादन में भी दिलचस्पी ले रहे हैं. रेशम उत्पादन के क्षेत्र में प्रदेश के 10,500 किसान काम कर रहे हैं. जिन्होंने इस वर्ष 2018-19 में 259 टन रेशम का उत्पादन किया है. जिसके चलते किसानें की आय भी बढ़ रही है.

बता दें कि किसानों की आय दोगुनी करने के लिए रेशम विभाग कई योजनाओं का संचालन कर रहा है. जिसका सीधा फायदा प्रदेश के किसानों को मिल रहा है. पूरे प्रदेश में 10,500 किसान रेशम कीट(कोया) के उत्पादन क्षेत्र में काम कर रहे हैं. जिसके चलते साल 2016 -17 में 231 टन कोया का उत्पादन हुआ. वहीं 2017-18 में कोया का उत्पादन बढ़कर 245 टन हुआ, जबकि 2018 -19 में यह उत्पादन 259 टन पहुंच गया है.

जानकारी देते अपर निदेशक रेशम विभाग अरविंद लालोरिया.

अपर निदेशक रेशम विभाग कुमाऊं मंडल अरविंद लालोरिया ने बताया कि वर्ष 2018-19 में कुमाऊं मंडल के 5 जिलों में 71.5 टन रेशम (कोया) का उत्पादन हुआ. साथ ही बताया कि मंडल में 2340 काश्तकार रेशम विभाग के साथ काम कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि उत्तराखंड में 3 प्रजाति के रेशम को तैयार किया जाता है. जिसमें सबसे ज्यादा शहतूती रेशम का उत्पादन होता है. साथ ही अरंडी और टसर रेशम का उत्पादन भी किया जाता है. उन्होंने बताया कि कुमाऊं मंडल में रेशम के कोया उत्पादन में नैनीताल जनपद पहले और उधम सिंह नगर दूसरे स्थान पर है.

ये भी पढ़े: जाम से निजात दिलाने की पहल, लागू हुआ लेफ्ट टर्न और यू टर्न प्लान

अरविंद लालोरिया ने बताया कि रेशम उत्पादन से जुड़े किसानों की आय में वृद्धि के लिए विभाग काश्तकारों को रेशम कीट और 300 शहतूत के पेड़ निशुल्क उपलब्ध करा रहा है. साथ ही किसानों की आय बढ़ाने के लिए कई तरह की योजनाएं भी चलाई जा रही हैं. जिसके तहत किसानों को सब्सिडी और मार्केटिंग भी उपलब्ध कराई जा रही है.

हल्द्वानी: रेशम विभाग किसानों को रेशम उत्पादन से जोड़ने के लिए कई तरह के कार्यक्रमों का आयोजन कर रहा है. जिसके चलते देशभर के किसान बागवानी के साथ-साथ रेशम उत्पादन में भी दिलचस्पी ले रहे हैं. रेशम उत्पादन के क्षेत्र में प्रदेश के 10,500 किसान काम कर रहे हैं. जिन्होंने इस वर्ष 2018-19 में 259 टन रेशम का उत्पादन किया है. जिसके चलते किसानें की आय भी बढ़ रही है.

बता दें कि किसानों की आय दोगुनी करने के लिए रेशम विभाग कई योजनाओं का संचालन कर रहा है. जिसका सीधा फायदा प्रदेश के किसानों को मिल रहा है. पूरे प्रदेश में 10,500 किसान रेशम कीट(कोया) के उत्पादन क्षेत्र में काम कर रहे हैं. जिसके चलते साल 2016 -17 में 231 टन कोया का उत्पादन हुआ. वहीं 2017-18 में कोया का उत्पादन बढ़कर 245 टन हुआ, जबकि 2018 -19 में यह उत्पादन 259 टन पहुंच गया है.

जानकारी देते अपर निदेशक रेशम विभाग अरविंद लालोरिया.

अपर निदेशक रेशम विभाग कुमाऊं मंडल अरविंद लालोरिया ने बताया कि वर्ष 2018-19 में कुमाऊं मंडल के 5 जिलों में 71.5 टन रेशम (कोया) का उत्पादन हुआ. साथ ही बताया कि मंडल में 2340 काश्तकार रेशम विभाग के साथ काम कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि उत्तराखंड में 3 प्रजाति के रेशम को तैयार किया जाता है. जिसमें सबसे ज्यादा शहतूती रेशम का उत्पादन होता है. साथ ही अरंडी और टसर रेशम का उत्पादन भी किया जाता है. उन्होंने बताया कि कुमाऊं मंडल में रेशम के कोया उत्पादन में नैनीताल जनपद पहले और उधम सिंह नगर दूसरे स्थान पर है.

ये भी पढ़े: जाम से निजात दिलाने की पहल, लागू हुआ लेफ्ट टर्न और यू टर्न प्लान

अरविंद लालोरिया ने बताया कि रेशम उत्पादन से जुड़े किसानों की आय में वृद्धि के लिए विभाग काश्तकारों को रेशम कीट और 300 शहतूत के पेड़ निशुल्क उपलब्ध करा रहा है. साथ ही किसानों की आय बढ़ाने के लिए कई तरह की योजनाएं भी चलाई जा रही हैं. जिसके तहत किसानों को सब्सिडी और मार्केटिंग भी उपलब्ध कराई जा रही है.

Intro:sammry- रेशम उत्पादन बन रहा है किसानों का आय का जरिया।

एंकर- प्रदेश के किसान बागवानी के साथ-साथ अब रेशम उत्पादन में भी दिलचस्पी ले रहे हैं। रेशम विभाग किसानों को रेशम उत्पादन से जोड़ने के लिए कई तरह के कार्यक्रम का आयोजन कर रहा है। रेशम उत्पादन के क्षेत्र में प्रदेश के 10500 किसान काम कर रहे हैं जो इस वर्ष 2018-19 में 259 टन रेशम का उत्पादन किया है।


Body:प्रदेश का किसान परंपरागत खेती के साथ रेशम उत्पादन के क्षेत्र में भी काम कर रहे हैं। किसानों को आय दोगुनी करने के लिए रेशम विभाग कई योजनाओं का संचालन कर रहा है जिसका प्रदेश के किसान लाभ उठा रहे हैं। आंकड़े की बात करें तो रेशम उत्पादन के लिए किसान रेशम विभाग के साथ लगातार जुड़ रहा है। पूरे प्रदेश में 10500 किसान रेशम कीट(कोया)के उत्पादन के क्षेत्र में काम कर रहे हैं। जबकि सन 2016 -17 में 231 टन कोया का उत्पादन हुआ तो वही 2017- 18 में कोया का उत्पादन बढ़कर 245 टन हुआ जबकि 2018 -19 में यह बढ़कर 259 टन पहुंच गया है।

अपर निदेशक रेशम विभाग कुमाऊं मंडल अरविंद लालोरिया का कहना है कि वर्ष 2018-19 मैं कुमाऊं मंडल के 5 जिलों में 71.5 टन रेशम (कोया) का उत्पादन हुआ। जबकि मंडल में 2340 काश्तकार रेशम विभाग के साथ काम कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि कुमाऊं मंडल में रेशम के कोया का उत्पादन सबसे ज्यादा नैनीताल जनपद में हो रहा है जबकि दूसरे स्थान पर उधम सिंह नगर है।

उन्होंने बताया कि उत्तराखंड में 3 प्रजाति के रेशम के कोया को तैयार किए जाते हैं जिसमें सबसे ज्यादा सहतूती रेशम का उत्पादन होता है जबकि अरंडी रेशम और टसर रेशम काउत्पादन भी किया जाता है।



Conclusion:अरविंद लालोरिया ने बताया कि प्रदेश के किसान अब रेशम उत्पादन के क्षेत्र में दिलचस्पी ले रहा है रेशम से जुड़े किसानों की आय में वृद्धि के लिए विभाग काश्तकारों को रेशम कीट और 300 सहतुत के पेड़ निशुल्क उपलब्ध करा रहा है।
यही नहीं किसानों को आई को बढ़ा देने के लिए कई तरह की योजनाएं भी चलाई जा रही है जिसके तहत किसानों को सब्सिडी और मार्केटिंग भी उपलब्ध कराई जा रही है।

बाइट -अरविंद लालोरिया उपनिदेशक रेशम विभाग हल्द्वानी
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