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कृपया गाली नहीं! एक मुहिम जो भाषा की 'भूली' सभ्यता याद दिलाती है - haldwani campaign against abuses updates

हल्द्वानी निवासी भुवन चंद्र तिवारी घूम-घूमकर 'कृपया गाली नहीं' स्लोगन के साथ पैम्फलेट बांटकर लोगों को जागरुक करने की कोशिश कर रहे हैं. भुवन चंद्र तिवारी पिछले एक साल से 'कृपया गाली नहीं' मुहिम चला रहे हैं.

haldwani campaign against abuses
गाली के खिलाफ मुहिम.
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Published : Dec 5, 2020, 2:48 PM IST

हल्द्वानी: अक्सर लड़ाई झगड़े के दौरान गाली गलौज होना आम हो गया है. यही नहीं, आम बोलचाल में भी गाली गलौज से बात करना ट्रेंड बन गया है. इसको देखते हुए हल्द्वानी निवासी भुवन चंद्र तिवारी ने अनोखी मुहिम छेड़ी है. वो घूम-घूमकर 'कृपया गाली नहीं' स्लोगन के साथ पैम्फलेट बांटकर लोगों को जागरूक करने की कोशिश कर रहे हैं.

गाली के खिलाफ मुहिम.

भुवन चंद्र तिवारी एक व्यापारी हैं, लेकिन समाज में बढ़ते इस चलन को देखते हुये उन्होंने इस मुहिम को शुरू किया है. उनका कहना है कि कई बार बाजारों में देखने को मिलता है की लड़ाई झगड़े के दौरान लोग एक दूसरे को भद्दी गालियां देते हैं. आम भाषा में भी गाली गलौज से बात करते हैं, जो सुनने में बेहद खराब लगता है.

यह भी पढे़ं-डोईवाला में ढोल दमाऊ से हुआ जेपी नड्डा का स्वागत, कार्यकर्ताओं ने बरसाए फूल

इसी चलन को देखते हुए वो पिछले एक साल से 'कृपया गाली नहीं' मुहिम चला रहे हैं. उनकी लोगों से अपील है कि आपसी बातचीत में उन्हीं शब्दों का इस्तेमाल करें जिन्हें घर पर परिवार के बीच इस्तेमाल किया जा सकता है. भुवन चंद्र तिवारी अपने खर्च से पैम्फलेट बनाकर बाजारों और भीड़ वाले इलाकों में जाकर इसे लोगों के हाथों में दे रहे हैं और उनको गाली नहीं देने के लिए जागरुक भी कर रहे हैं. लोग भुवन चंद्र तिवारी की इस पहल की सराहना भी कर रहे हैं.

हल्द्वानी: अक्सर लड़ाई झगड़े के दौरान गाली गलौज होना आम हो गया है. यही नहीं, आम बोलचाल में भी गाली गलौज से बात करना ट्रेंड बन गया है. इसको देखते हुए हल्द्वानी निवासी भुवन चंद्र तिवारी ने अनोखी मुहिम छेड़ी है. वो घूम-घूमकर 'कृपया गाली नहीं' स्लोगन के साथ पैम्फलेट बांटकर लोगों को जागरूक करने की कोशिश कर रहे हैं.

गाली के खिलाफ मुहिम.

भुवन चंद्र तिवारी एक व्यापारी हैं, लेकिन समाज में बढ़ते इस चलन को देखते हुये उन्होंने इस मुहिम को शुरू किया है. उनका कहना है कि कई बार बाजारों में देखने को मिलता है की लड़ाई झगड़े के दौरान लोग एक दूसरे को भद्दी गालियां देते हैं. आम भाषा में भी गाली गलौज से बात करते हैं, जो सुनने में बेहद खराब लगता है.

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इसी चलन को देखते हुए वो पिछले एक साल से 'कृपया गाली नहीं' मुहिम चला रहे हैं. उनकी लोगों से अपील है कि आपसी बातचीत में उन्हीं शब्दों का इस्तेमाल करें जिन्हें घर पर परिवार के बीच इस्तेमाल किया जा सकता है. भुवन चंद्र तिवारी अपने खर्च से पैम्फलेट बनाकर बाजारों और भीड़ वाले इलाकों में जाकर इसे लोगों के हाथों में दे रहे हैं और उनको गाली नहीं देने के लिए जागरुक भी कर रहे हैं. लोग भुवन चंद्र तिवारी की इस पहल की सराहना भी कर रहे हैं.

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