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हरतालिका तीज पर न हो जाए चूक, अभी से सजा लें पूजा की थाली, जानिए शुभ दिन और मुहूर्त

भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को हरतालिका तीज का व्रत रखा जाता है. इस बार हरितालिका तीज 30 अगस्‍त दिन मंगलवार को को रखी जाएगी. सुहागिन महिलाओं के द्वारा अखंड सौभाग्य व सुख समृद्धि की कामना के लिए ये व्रत रखा जाता है.

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Published : Aug 29, 2022, 12:25 PM IST

हल्द्वानी: हरतालिका तीज (Hartalika Teej 2022) सुहागिन महिलाएं पति की लंबी उम्र के लिए रखती हैं. इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा की जाती है. वहीं महिलाएं पति की लंबी आयु और सुख-समृद्धि के लिए व्रत रखती हैं. ये व्रत निराहार और निर्जला किया जाता है. जो कुंवारी कन्याएं अच्छा पति चाहती हैं या जल्दी शादी की कामना करती हैं उन्हें भी यह व्रत रखना चाहिए. इससे उनके विवाह का योग बन जाएगा.

हरतालिका तीज का महत्व: भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को हरतालिका तीज (Hartalika Teej) का व्रत रखा (Hartalika Teej fast) जाता है. इस बार हरितालिका तीज 30 अगस्‍त दिन मंगलवार को को रखा जाएगा. सुहागिन महिलाओं के द्वारा अखंड सौभाग्य, सुख-समृद्धि की कामना के लिए रखा जाता है. वहीं कुंवारी कन्याएं अच्छे वर की कामना के लिए ये व्रत को रखती हैं. ज्योतिषाचार्य डॉ. नवीन चंद्र जोशी के मुताबिक इस बार हरितालिका तीज पर हस्त और चित्रा नक्षत्र के कारण दुर्लभ संयोग बन रहा है. हरितालिका तीज पर सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त तक पूजा का महत्व है, लेकिन शुभ मुहूर्त सुबह 5 बजकर 58 मिनट से 8 बजकर 31 मिनट जबकी शाम 5:20 से रात 8 बजकर 59 मिनट तक प्रदोष काल में है. व्रत का पारण 31 अगस्त को किया जाएगा.
पढ़ें-उत्तराखंड में हर्षोल्लास के साथ मनाई जा रही है घी संक्रांति, जानिए क्या है महत्व

पौराणिक मान्यता: पौराणिक मान्यता है कि मां पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए हरतालिका तीज का व्रत कर कठोर तपस्या की थी. उसी तरह जो स्त्रियां इस दिन निर्जला व्रत रखती हैं उन्हें महादेव और मां पार्वती की कृपा से अखंड सौभाग्य और सुयोग्य वर की प्राप्ति होती है. धार्मिक मान्यता है कि इस व्रत को करने से वैवाहिक जीवन सुखमय रहता है और पति-पत्नी के बीच आपसी प्रेम बढ़ता है. हरतालिका तीज व्रत के दिन भगवान शिव, देवी पार्वती और भगवान गणेश की पूजा का विशेष महत्व है. पूजा के लिए महिलाएं इन देवी-देवताओं की कच्ची मिट्टी से मूर्तियां बनाती हैं और विधि-विधान से पूजा करती हैं. इस दिन निर्जला व्रत रखा जाता है. व्रत के अगले दिन महिलाएं पानी पीकर व्रत खोलती हैं.
पढ़ें-कुमाऊं में बिरुड़ पंचमी की धूम, जानिए सातू-आठू का क्या है महत्व

हरितालिका तीज की पूजा सामग्री: पूजा थाली में पूजा के लिए कुछ खास सामग्री का होना आवश्यक है. सूखा नारियल, कलश, बेलपत्र, शमी का पत्ता, केले का पत्ता, धतूरे का फल, घी, शहद, गुलाल, चंदन, मंजरी, कलावा, इत्र, पांच फल, सुपारी, अक्षत, धूप, दीप, कपूर, गंगाजल, दूर्वा और जनेऊ आदि से भगवान शिव की आराधना करें जिससे कि भगवान शिव प्रसन्न होकर सभी मनोकामना को पूर्ण करेंगे. हरतालिका तीज पर सुहागन महिलाएं मां पार्वती को सुहाग की सामग्री समर्पित करें. हरतालिका तीज का व्रत माता पार्वती ने भगवान शंकर को अपने पति के रूप में पाने के लिए किया था. इसीलिए हरतालिका तीज पर सुहाग महिलाएं मां पार्वती को सुहाग की सामग्री में बिंदी, सिंदूर, कुमकुम, मेहंदी, बिछिया, काजल, चूड़ी, कंघी, महावर आदि सुहाग की सामग्री भेंट करें.

हल्द्वानी: हरतालिका तीज (Hartalika Teej 2022) सुहागिन महिलाएं पति की लंबी उम्र के लिए रखती हैं. इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा की जाती है. वहीं महिलाएं पति की लंबी आयु और सुख-समृद्धि के लिए व्रत रखती हैं. ये व्रत निराहार और निर्जला किया जाता है. जो कुंवारी कन्याएं अच्छा पति चाहती हैं या जल्दी शादी की कामना करती हैं उन्हें भी यह व्रत रखना चाहिए. इससे उनके विवाह का योग बन जाएगा.

हरतालिका तीज का महत्व: भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को हरतालिका तीज (Hartalika Teej) का व्रत रखा (Hartalika Teej fast) जाता है. इस बार हरितालिका तीज 30 अगस्‍त दिन मंगलवार को को रखा जाएगा. सुहागिन महिलाओं के द्वारा अखंड सौभाग्य, सुख-समृद्धि की कामना के लिए रखा जाता है. वहीं कुंवारी कन्याएं अच्छे वर की कामना के लिए ये व्रत को रखती हैं. ज्योतिषाचार्य डॉ. नवीन चंद्र जोशी के मुताबिक इस बार हरितालिका तीज पर हस्त और चित्रा नक्षत्र के कारण दुर्लभ संयोग बन रहा है. हरितालिका तीज पर सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त तक पूजा का महत्व है, लेकिन शुभ मुहूर्त सुबह 5 बजकर 58 मिनट से 8 बजकर 31 मिनट जबकी शाम 5:20 से रात 8 बजकर 59 मिनट तक प्रदोष काल में है. व्रत का पारण 31 अगस्त को किया जाएगा.
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पौराणिक मान्यता: पौराणिक मान्यता है कि मां पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए हरतालिका तीज का व्रत कर कठोर तपस्या की थी. उसी तरह जो स्त्रियां इस दिन निर्जला व्रत रखती हैं उन्हें महादेव और मां पार्वती की कृपा से अखंड सौभाग्य और सुयोग्य वर की प्राप्ति होती है. धार्मिक मान्यता है कि इस व्रत को करने से वैवाहिक जीवन सुखमय रहता है और पति-पत्नी के बीच आपसी प्रेम बढ़ता है. हरतालिका तीज व्रत के दिन भगवान शिव, देवी पार्वती और भगवान गणेश की पूजा का विशेष महत्व है. पूजा के लिए महिलाएं इन देवी-देवताओं की कच्ची मिट्टी से मूर्तियां बनाती हैं और विधि-विधान से पूजा करती हैं. इस दिन निर्जला व्रत रखा जाता है. व्रत के अगले दिन महिलाएं पानी पीकर व्रत खोलती हैं.
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हरितालिका तीज की पूजा सामग्री: पूजा थाली में पूजा के लिए कुछ खास सामग्री का होना आवश्यक है. सूखा नारियल, कलश, बेलपत्र, शमी का पत्ता, केले का पत्ता, धतूरे का फल, घी, शहद, गुलाल, चंदन, मंजरी, कलावा, इत्र, पांच फल, सुपारी, अक्षत, धूप, दीप, कपूर, गंगाजल, दूर्वा और जनेऊ आदि से भगवान शिव की आराधना करें जिससे कि भगवान शिव प्रसन्न होकर सभी मनोकामना को पूर्ण करेंगे. हरतालिका तीज पर सुहागन महिलाएं मां पार्वती को सुहाग की सामग्री समर्पित करें. हरतालिका तीज का व्रत माता पार्वती ने भगवान शंकर को अपने पति के रूप में पाने के लिए किया था. इसीलिए हरतालिका तीज पर सुहाग महिलाएं मां पार्वती को सुहाग की सामग्री में बिंदी, सिंदूर, कुमकुम, मेहंदी, बिछिया, काजल, चूड़ी, कंघी, महावर आदि सुहाग की सामग्री भेंट करें.

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