हल्द्वानी: उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय (Uttarakhand Open University) और सिडकुल कंपनियों (Rudrapur Sidcul Companies) के बीच टाईअप हुए डिप्लोमा अमान्य होने से नाराज डिप्लोमा धारियों ने अपनी मांगों को लेकर हल्द्वानी में अनिश्चितकालीन धरना शुरू (Protest of Haldwani diploma holders) कर दिया है. डिप्लोमा धारियों ने भारी ठंड के बीच प्रदर्शन किया. प्रदर्शनकारियों ने कहा कि उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय और सिडकुल की कंपनियों द्वारा समझौता के तहत बनाए गए डिप्लोमा को अब कई कंपनियां नहीं मान रही हैं. जिसके चलते हम लोग बेरोजगार हो चुके हैं.
प्रदर्शनकारियों का कहना है कि पिछले कई सालों से डिप्लोमा की बदौलत कंपनियों में काम कर रहे थे. लेकिन अब कंपनियों ने डिप्लोमा को अमान्य कर दिया है. प्रदर्शनकारियों ने उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय से उनके डिप्लोमा को वैध करने की मांग की है. प्रदर्शन कर रहे डिप्लोमा धारियों का कहना है कि डिप्लोमा कोर्स कर ट्रेनिंग करा रही एक निजी कंपनी द्वारा 300 युवाओं को बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है. अब यह युवा साढ़े 4 साल की ट्रेनिंग के बाद कंपनी से बाहर हो गए हैं. लिहाजा सारे कर्मचारी एक बार फिर बेरोजगार हो गए हैं. एक साल से अपने लिए न्याय की लड़ाई लड़ रहे इन युवाओं ने बुद्ध पार्क को में अर्धनग्न होकर प्रदर्शन किया है.
पढ़ें-सीबीआरआई में कार्यरत आउटसोर्स कर्मचारियों ने किया प्रदर्शन, ठेकेदार पर लगाए गंभीर आरोप
कड़ाके की ठंड में अर्धनग्न होकर प्रदर्शन करते हुए नौकरी से निकाले गए इन युवाओं का कहना है कि आखिर सरकार की यूनिवर्सिटी और प्रशासन ने उनके साथ ऐसा छलावा क्यों किया? प्रदर्शनकारी निकाले गए युवाओं का कहना है कि उन्हें उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय और अशोका लीलैंड के समझौते से 4 साल का डिप्लोमा कोर्स कराया गया. जिसमें यह कहा गया कि आपको रोजगार मिलेगा. साढ़े चार साल काम कराने के बाद सभी कोर्स करने वाले 300 लोगों को बाहर कर दिया और डिप्लोमा भी ऐसा कराया जो किसी दूसरी कंपनी में काम नहीं आ रहा है. लिहाजा सभी कर्मचारी पिछले 1 साल से उधम सिंह नगर से लेकर नैनीताल जिले में श्रम विभाग से लेकर कमिश्नर तक चक्कर काटकर थक चुके हैं, लेकिन सुनने वाला कोई नहीं है.
पढ़ें-ऋषिकेश: गत्ता फैक्ट्री में मशीन के नीचे आया ऑपरेटर, कर्मचारियों ने किया प्रदर्शन
वहीं इस पूरे मामले में उत्तराखंड ओपन यूनिवर्सिटी के कुलपति ओपीएस नेगी का कहना है कि वर्ष 2012 में सिडकुल की कंपनियों ने समझौते के तहत डिप्लोमा कोर्स करवाया था. लेकिन डिप्लोमा कोर्स 2017 में बंद कर दिया गया है. उन्होंने कहा कि वर्तमान में जो भी ओपन यूनिवर्सिटी से डिप्लोमा जारी किए जा रहे हैं वह सभी जगह मान्य हैं. उस समय किन परिस्थितियों में समझौते के तहत डिप्लोमा तैयार किया गया था, पूरे मामले में जांच की जा रही है.