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जासूसी के आरोपी पाक नागरिक को हिरासत में लेने के आदेश, निचली कोर्ट ने सुनाई थी सात साल की सजा - निचली कोर्ट ने सुनाई थी सात साल की सजा

हरिद्वार के गंगनहर से पाकिस्तानी नागरिक आबिद अली को जासूसी के आरोप में गिरफ्तार किया गया था. मामले में फैसला सुनाते हुए कोर्ट ने आबिद का जमानत बांड निरस्त कर हिरासत में लेने के आदेश दिए हैं. 2014 में हरिद्वार एडीजे कोर्ट से उसे रिहा कर दिया तो राज्य सरकार ने हाईकोर्ट में विशेष अपील दायर की थी.

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नैनीताल हाईकोर्ट
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Published : Sep 22, 2021, 3:30 PM IST

Updated : Sep 22, 2021, 10:29 PM IST

नैनीतालः हाईकोर्ट में जासूसी के आरोप में पकड़े गए पाकिस्तानी नागरिक आबिद अली उर्फ अजीत सिंह की रिहाई के मामले में सुनवाई हुई. कोर्ट ने आबिद अली की सजा को बरकरार रखने का निर्णय सुनाया है. साथ ही सरकार को आबिद के जमानत बांड को निरस्त कर उसे हिरासत में लेने को कहा है. उसे अब जेल में पूर्व में बिताई गई अवधि से शेष सजा काटनी होगी. कोर्ट ने अपने निर्णय में कहा है कि उसके खिलाफ पर्याप्त सबूत पाए गए हैं, उसने पासपोर्ट एक्ट का दुरुपयोग किया है.

हरिद्वार सीजेएम कोर्ट ने 19 दिसंबर 2012 को आबिद अली को दोषी पाते हुए सात साल की जेल और साढ़े सात हजार रुपए जुर्माने की सजा सुनाई थी. इस आदेश के खिलाफ अभियुक्त आबिद के अधिवक्ता ने एडीजे हरिद्वार की कोर्ट में अपील दायर की. वकील द्वारा मामले में आबिद के पते इत्यादि के बारे में सही तथ्य नहीं लिखा गया. 2014 में सुनवाई के दौरान अपर जिला जज द्वितीय हरिद्वार ने आबिद अली को बरी करने के आदेश दिया था. जिसके बाद सरकार ने हाईकोर्ट में निचली अदालत के फैसले को चुनौती दी. जिसपर 23 सितंबर को हाईकोर्ट ने अपना सुनाया.

बता दें कि मामला 25 जनवरी 2010 का है. हरिद्वार की गंगनहर कोतवाली पुलिस ने आबिद अली उर्फ असद अली उर्फ अजीत सिंह निवासी लाहौर (पाकिस्तान) को ऑफिशियल सीक्रेट एक्ट, विदेश एक्ट और पासपोर्ट एक्ट में गिरफ्तार किया था. उसके पास से मेरठ, देहरादून, रुड़की और अन्य सैन्य ठिकानों के नक्शे मिले थे. इसके अलावा एक पेन ड्राइव और कई गोपनीय जानकारी से जुड़े दस्तावेज भी बरामद हुए थे.

ये भी पढ़ेंः फेल छात्रों को बिना टीसी एडमिशन देने के मामले में HC सख्त, दिए ये आदेश

जिसके बाद पुलिस ने रुड़की के मच्छी मोहल्ला स्थित उसके ठिकाने पर छापा मारा था. वहां बिजली फिटिंग के बोर्ड और सीलिंग फैन में छिपाकर रखे गए करीब एक दर्जन सिमकार्ड भी बरामद किए थे. जिस पर पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर रोशनाबाद जेल भेज दिया था. वहीं, निचली अदालत ने 19 दिसंबर 2012 को उसे दोषी पाते हुए सजा सुनाई थी.

ये भी पढ़ेंः वन गुर्जरों को हटाए जाने पर नैनीताल हाईकोर्ट सख्त, 23 अक्टूबर को अगली सुनवाई

निचली अदालत से मिली सजा: हरिद्वार सीजेएम कोर्ट ने 19 दिसंबर 2012 को आबिद अली को दोषी पाते हुए सात साल की जेल और साढ़े सात हजार रुपए जुर्माने की सजा सुनाई थी. इस आदेश के खिलाफ अभियुक्त आबिद के अधिवक्ता ने एडीजे हरिद्वार की कोर्ट में अपील दायर की. वकील द्वारा मामले में आबिद के पते इत्यादि के बारे में सही तथ्य नहीं लिखा गया. 2014 में सुनवाई के दौरान अपर जिला जज द्वितीय हरिद्वार ने आबिद अली को बरी करने के आदेश दिया था.

इसके बाद जेल अधीक्षक के स्तर से कोर्ट तथा एसएसपी को प्रार्थना पत्र देकर बताया गया कि चूंकि आबिद अली विदेशी नागरिक है. इसलिए उसे रिहा करने से पहले उसका व्यक्तिगत बंधपत्र व अन्य औपचारिकताएं पूरी करनी आवश्यक हैं. अभियोजन की मानें तो एसएसपी की ओर से उक्त मामले में गंभीरता नहीं दिखाई गई और उसे रिहा कर दिया.

सरकार ने हाईकोर्ट में आदेश को चुनौती दी: निचली अदालत के आदेश को सरकार ने हाईकोर्ट में विशेष अपील दायर कर चुनौती दी. सरकार द्वारा कोर्ट में कहा गया कि निचली अदालत ने बिना ठोस सबूत पाते हुए पाकिस्तानी नागरिक को रिहा करने के आदेश दिए है, जिसे निरस्त किया जाए. क्योंकि आरोपी के खिलाफ जासूसी करने के कई सुबूत हैं. 22 सितंबर को मामले की सुनवाई में न्यायमूर्ति रवींद्र मैठाणी की एकलपीठ ने आरोपी की सजा बरकरार रखने के आदेश दिए हैं.

नैनीतालः हाईकोर्ट में जासूसी के आरोप में पकड़े गए पाकिस्तानी नागरिक आबिद अली उर्फ अजीत सिंह की रिहाई के मामले में सुनवाई हुई. कोर्ट ने आबिद अली की सजा को बरकरार रखने का निर्णय सुनाया है. साथ ही सरकार को आबिद के जमानत बांड को निरस्त कर उसे हिरासत में लेने को कहा है. उसे अब जेल में पूर्व में बिताई गई अवधि से शेष सजा काटनी होगी. कोर्ट ने अपने निर्णय में कहा है कि उसके खिलाफ पर्याप्त सबूत पाए गए हैं, उसने पासपोर्ट एक्ट का दुरुपयोग किया है.

हरिद्वार सीजेएम कोर्ट ने 19 दिसंबर 2012 को आबिद अली को दोषी पाते हुए सात साल की जेल और साढ़े सात हजार रुपए जुर्माने की सजा सुनाई थी. इस आदेश के खिलाफ अभियुक्त आबिद के अधिवक्ता ने एडीजे हरिद्वार की कोर्ट में अपील दायर की. वकील द्वारा मामले में आबिद के पते इत्यादि के बारे में सही तथ्य नहीं लिखा गया. 2014 में सुनवाई के दौरान अपर जिला जज द्वितीय हरिद्वार ने आबिद अली को बरी करने के आदेश दिया था. जिसके बाद सरकार ने हाईकोर्ट में निचली अदालत के फैसले को चुनौती दी. जिसपर 23 सितंबर को हाईकोर्ट ने अपना सुनाया.

बता दें कि मामला 25 जनवरी 2010 का है. हरिद्वार की गंगनहर कोतवाली पुलिस ने आबिद अली उर्फ असद अली उर्फ अजीत सिंह निवासी लाहौर (पाकिस्तान) को ऑफिशियल सीक्रेट एक्ट, विदेश एक्ट और पासपोर्ट एक्ट में गिरफ्तार किया था. उसके पास से मेरठ, देहरादून, रुड़की और अन्य सैन्य ठिकानों के नक्शे मिले थे. इसके अलावा एक पेन ड्राइव और कई गोपनीय जानकारी से जुड़े दस्तावेज भी बरामद हुए थे.

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जिसके बाद पुलिस ने रुड़की के मच्छी मोहल्ला स्थित उसके ठिकाने पर छापा मारा था. वहां बिजली फिटिंग के बोर्ड और सीलिंग फैन में छिपाकर रखे गए करीब एक दर्जन सिमकार्ड भी बरामद किए थे. जिस पर पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर रोशनाबाद जेल भेज दिया था. वहीं, निचली अदालत ने 19 दिसंबर 2012 को उसे दोषी पाते हुए सजा सुनाई थी.

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निचली अदालत से मिली सजा: हरिद्वार सीजेएम कोर्ट ने 19 दिसंबर 2012 को आबिद अली को दोषी पाते हुए सात साल की जेल और साढ़े सात हजार रुपए जुर्माने की सजा सुनाई थी. इस आदेश के खिलाफ अभियुक्त आबिद के अधिवक्ता ने एडीजे हरिद्वार की कोर्ट में अपील दायर की. वकील द्वारा मामले में आबिद के पते इत्यादि के बारे में सही तथ्य नहीं लिखा गया. 2014 में सुनवाई के दौरान अपर जिला जज द्वितीय हरिद्वार ने आबिद अली को बरी करने के आदेश दिया था.

इसके बाद जेल अधीक्षक के स्तर से कोर्ट तथा एसएसपी को प्रार्थना पत्र देकर बताया गया कि चूंकि आबिद अली विदेशी नागरिक है. इसलिए उसे रिहा करने से पहले उसका व्यक्तिगत बंधपत्र व अन्य औपचारिकताएं पूरी करनी आवश्यक हैं. अभियोजन की मानें तो एसएसपी की ओर से उक्त मामले में गंभीरता नहीं दिखाई गई और उसे रिहा कर दिया.

सरकार ने हाईकोर्ट में आदेश को चुनौती दी: निचली अदालत के आदेश को सरकार ने हाईकोर्ट में विशेष अपील दायर कर चुनौती दी. सरकार द्वारा कोर्ट में कहा गया कि निचली अदालत ने बिना ठोस सबूत पाते हुए पाकिस्तानी नागरिक को रिहा करने के आदेश दिए है, जिसे निरस्त किया जाए. क्योंकि आरोपी के खिलाफ जासूसी करने के कई सुबूत हैं. 22 सितंबर को मामले की सुनवाई में न्यायमूर्ति रवींद्र मैठाणी की एकलपीठ ने आरोपी की सजा बरकरार रखने के आदेश दिए हैं.

Last Updated : Sep 22, 2021, 10:29 PM IST
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