नैनीताल: उत्तराखंड में प्रदूषण फैला रही फैक्ट्रियों के मामले में नैनीताल हाईकोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है. कोर्ट ने सचिव मेडिकल हेल्थ, सचिव शहरी विकास और सचिव औद्योगिक विकास को 18 नवंबर को व्यक्तिगत रूप से पेश होने के आदेश दिए हैं. वहीं कोर्ट ने तीनों सचिवों को कारण बताओ नोटिस जारी कर 18 नवंबर तक जवाब पेश करने के आदेश दिए हैं.
इससे पहले कोर्ट में सुनवाई के दौरान राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिवक्ता ने बताया था कि प्रदेश में केवल दो बायो मेडिकल ट्रीटमेंट प्लांट उधम सिंह नगर के गदरपुर और हरिद्वार जिले के रुड़की में है. वह भी सही रूप से क्रियान्वित नहीं है. साथ ही ये बायो मेडिकल ट्रीटमेंट प्लांट खुलेआम नियमों का उल्लंघन कर रहे हैं, जिनसे प्रदूषण फैल रहा है. प्रदेश में कई स्थानों पर बायो मेडिकल ट्रीटमेंट प्लांट की आवश्यकता है.
पढ़ें- किसानों की आय दोगुना करने के लिए सरकार की नई पहल, अब हर जिले में लगेगा सहकारी मेला
मामले को गंभीरता से लेते हुए मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने सचिव मेडिकल हेल्थ, सचिव शहरी विकास और सचिव औद्योगिक विकास को नोटिस जारी कर जवाब पेश करने के आदेश दिए थे. लेकिन सोमवार को हुई सुनवाई में तीनों सचिवों की ओर से कोई जवाब पेश नहीं किया गया. जिसके बाद कोर्ट ने तीनों सचिवों को 18 नवंबर को व्यक्तिगत रूप से पेश होने के आदेश दिए हैं. कोर्ट ने तीनों सचिवों को कारण बताओ नोटिस जारी कर पूछा है कि क्यों ना कोर्ट के आदेश का पालन न करने पर उनके खिलाफ अवमानना की कार्रवाई की जाए.
पढ़ें- सीएम के ड्रीम प्रोजेक्ट पर काम तेज, चरक डांडा में वैज्ञानिक करेंगे शोध
बता दें कि उधम सिंह नगर निवासी हिमांशु चंदोला ने नैनीताल हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी. जिसमें उन्होंने कहा था कि उधम सिंह नगर व पंतनगर के आसपास करीब 32 से अधिक फैक्ट्री संचालित हैं. जिसकी वजह से इन इलाकों में वायु और जल प्रदूषण बढ़ रहा है. इसकी वजह से अभीतक दर्जनों लोगों को मौत हो चुकी है, जबकि कई लोगों का अस्पताल में इलाज चल रहा है. वहीं फैक्ट्रियों से निकलने वाले केमिकल युक्त पानी के कारण किसान खेती नहीं कर पा रहे हैं. जिसको देखते हुए याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर प्रदूषण पर रोक लगाने की मांग की थी.