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'चॉपर से नहीं बुझेगी आग, जमीन पर जुटाएं संसाधन', हाईकोर्ट ने PCCF को किया तलब

हाईकोर्ट ने वनाग्नि पर सुनवाई के दौरान टिप्पणी करते हुए कहा कि 'अकेले चॉपर से आग नहीं बुझेगी, धरातल पर साधन जुटाने होंगे'. ये कहते हुए हाईकोर्ट ने पीसीसीएफ राजीव भरतरी को तलब किया है.

हाईकोर्ट ने PCCF को किया तलब
हाईकोर्ट ने PCCF को किया तलब
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Published : Oct 20, 2021, 5:58 PM IST

Updated : Oct 20, 2021, 6:28 PM IST

नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट में वनाग्नि से जुड़ी जनहित याचिका पर सुनवाई हुई. इस दौरान कोर्ट सरकार की तरफ से पेश शपथ पत्र पर संतुष्ट नहीं दिखा. जिसके बाद मुख्य न्यायाधीश आरएस चौहान व न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खण्डपीठ ने सरकार को एक बार फिर डिटेल शपथ पत्र पेश करने को कहा है. इसके साथ ही कोर्ट ने पीसीसीएफ (Principal Chief Conservator of Forests) राजीव भरतरी को 12 दिसंबर को फिर से कोर्ट में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से पेश होने के निर्देश दिए हैं. मामले की अगली सुनवाई 12 दिसंबर को होगी.

पूर्व में कोर्ट ने राज्य सरकार को अहम दिशा-निर्देश जारी करते हुए कहा था कि वन विभाग में खाली पड़े 65 प्रतिशत पदों को 6 माह में भरने और ग्राम पंचायतों को मजबूत करने के साथ-साथ वर्ष भर जंगलों की निगरानी करने को लेकर शपथ पत्र पेश किया जाए. आज सुनवाई के दौरान पीसीसीएफ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से पेश हुए. उन्होंने बताया कि कोर्ट के आदेश के बाद सरकार ने वन विभाग के खाली पड़े पदों पर भर्ती जारी कर दी है. लगभग सभी पदों पर दिसंबर तक भर्ती प्रक्रिया पूरी हो जाएगी.

इस दौरान कोर्ट ने पूछा कि आपने आग बुझाने के लिए क्या-क्या सुरक्षा उपकरण लगाए हैं, जिसका जिक्र आपने शपथ पत्र में नहीं किया है. पर्यावरण के संतुलन को बनाए रखने के लिए आपने राज्य एवं केंद्र सरकार से आग बुझाने को लेकर कितने बजट की मांग की है, इसका भी आपने कोई शपथ पत्र में उल्लेख नहीं किया है. कोर्ट ने कहा कि हमें अपनी आने वाली पीढ़ी का ध्यान भी रखना है.

ये भी पढ़ें: जंगल की आग: सरकार के शपथ पत्र से HC संतुष्ट नहीं, PCCF को किया तलब

कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि अकेले चॉपर से आग नहीं बुझेगी, धरातल पर साधन जुटाने होंगे. समय रहते साधन जुटाना अति आवश्यक है. मामले के अनुसार कोर्ट ने इन द मैटर ऑफ प्रोटेक्शन ऑफ फॉरेस्ट एरिया, फॉरेस्ट हेल्थ एंड वाइल्ड लाइफ से संबंधित मामले को जनहित याचिका के रूप में स्वतः संज्ञान 2018 में लिया था.

जंगलों को आग से बचाने के लिए कोर्ट ने पूर्व में कई दिशा-निर्देश जारी किए थे. लेकिन इस साल और अधिक आग लगने के कारण यह मामला दोबारा से उजागर हुआ. इस साल अधिवक्ता दुष्यंत मैनाली एवं राजीव बिष्ट ने कोर्ट में जंगलों की आग को प्रमुखता से उठाया था. उनका कहना था कि अभी प्रदेश के कई जंगल आग से जल रहे हैं और प्रदेश सरकार इस संबंध में कोई ठोस कदम नहीं उठा रही है. जबकि हाइकोर्ट ने 2016 में जंगलों को आग से बचाने के लिए भी गाइडलाइन जारी की थी.

कोर्ट ने गांव स्तर से ही आग बुझाने के लिए कमेटियां गठित करने को कहा था, जिस पर आज तक अमल नहीं किया गया. सरकार जहां आग बुझाने के लिए हेलीकाप्टर का उपयोग कर रही है, उसका खर्चा बहुत अधिक है और पूरी तरह से आग भी नहीं बुझती है. इसके बजाय गांव स्तर पर कमेटियां गठित की जाएं.

नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट में वनाग्नि से जुड़ी जनहित याचिका पर सुनवाई हुई. इस दौरान कोर्ट सरकार की तरफ से पेश शपथ पत्र पर संतुष्ट नहीं दिखा. जिसके बाद मुख्य न्यायाधीश आरएस चौहान व न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खण्डपीठ ने सरकार को एक बार फिर डिटेल शपथ पत्र पेश करने को कहा है. इसके साथ ही कोर्ट ने पीसीसीएफ (Principal Chief Conservator of Forests) राजीव भरतरी को 12 दिसंबर को फिर से कोर्ट में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से पेश होने के निर्देश दिए हैं. मामले की अगली सुनवाई 12 दिसंबर को होगी.

पूर्व में कोर्ट ने राज्य सरकार को अहम दिशा-निर्देश जारी करते हुए कहा था कि वन विभाग में खाली पड़े 65 प्रतिशत पदों को 6 माह में भरने और ग्राम पंचायतों को मजबूत करने के साथ-साथ वर्ष भर जंगलों की निगरानी करने को लेकर शपथ पत्र पेश किया जाए. आज सुनवाई के दौरान पीसीसीएफ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से पेश हुए. उन्होंने बताया कि कोर्ट के आदेश के बाद सरकार ने वन विभाग के खाली पड़े पदों पर भर्ती जारी कर दी है. लगभग सभी पदों पर दिसंबर तक भर्ती प्रक्रिया पूरी हो जाएगी.

इस दौरान कोर्ट ने पूछा कि आपने आग बुझाने के लिए क्या-क्या सुरक्षा उपकरण लगाए हैं, जिसका जिक्र आपने शपथ पत्र में नहीं किया है. पर्यावरण के संतुलन को बनाए रखने के लिए आपने राज्य एवं केंद्र सरकार से आग बुझाने को लेकर कितने बजट की मांग की है, इसका भी आपने कोई शपथ पत्र में उल्लेख नहीं किया है. कोर्ट ने कहा कि हमें अपनी आने वाली पीढ़ी का ध्यान भी रखना है.

ये भी पढ़ें: जंगल की आग: सरकार के शपथ पत्र से HC संतुष्ट नहीं, PCCF को किया तलब

कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि अकेले चॉपर से आग नहीं बुझेगी, धरातल पर साधन जुटाने होंगे. समय रहते साधन जुटाना अति आवश्यक है. मामले के अनुसार कोर्ट ने इन द मैटर ऑफ प्रोटेक्शन ऑफ फॉरेस्ट एरिया, फॉरेस्ट हेल्थ एंड वाइल्ड लाइफ से संबंधित मामले को जनहित याचिका के रूप में स्वतः संज्ञान 2018 में लिया था.

जंगलों को आग से बचाने के लिए कोर्ट ने पूर्व में कई दिशा-निर्देश जारी किए थे. लेकिन इस साल और अधिक आग लगने के कारण यह मामला दोबारा से उजागर हुआ. इस साल अधिवक्ता दुष्यंत मैनाली एवं राजीव बिष्ट ने कोर्ट में जंगलों की आग को प्रमुखता से उठाया था. उनका कहना था कि अभी प्रदेश के कई जंगल आग से जल रहे हैं और प्रदेश सरकार इस संबंध में कोई ठोस कदम नहीं उठा रही है. जबकि हाइकोर्ट ने 2016 में जंगलों को आग से बचाने के लिए भी गाइडलाइन जारी की थी.

कोर्ट ने गांव स्तर से ही आग बुझाने के लिए कमेटियां गठित करने को कहा था, जिस पर आज तक अमल नहीं किया गया. सरकार जहां आग बुझाने के लिए हेलीकाप्टर का उपयोग कर रही है, उसका खर्चा बहुत अधिक है और पूरी तरह से आग भी नहीं बुझती है. इसके बजाय गांव स्तर पर कमेटियां गठित की जाएं.

Last Updated : Oct 20, 2021, 6:28 PM IST

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