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मेडिकल फीस बढ़ोतरी पर हाई कोर्ट सख्त, राज्य सरकार से तीन हफ्ते में मांगा जवाब

सरकार ने 21 जून 2019 को शासनादेश जारी कर दून मेडिकल कॉलेज और सुशीला तिवारी मेडिकल कॉलेज में साढ़े चार लाख फीस निर्धारित की है. अन्य राज्यों के मेडिकल कॉलेजों में फीस बहुत कम है. सरकार ने सरकारी मेडिकल कॉलेजों को अपनी आय का साधन बना लिया है. याचिकाकर्ताओं का कहना है कि फीस निर्धारण और बॉन्ड के लिए उचित नियम बनाए जाएं.

नैनीताल हाई कोर्ट
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Published : Jul 10, 2019, 4:11 PM IST

नैनीताल: दून मेडिकल कॉलेज और सुशीला तिवारी मेडिकल कॉलेज में बढ़ाई गई फीस के खिलाफ दायर याचिका में हाई कोर्ट में सुनवाई हुई. न्यायाधीश सुधांशु धुलिया की एकलपीठ ने राज्य सरकार से तीन सप्ताह में जवाब पेश करने को कहा है.

बता दें कि देहरादून निवासी प्राची भट्ट व अन्य ने हाई कोर्ट में बढ़ी मेडिकल कॉलेज की फीस को लेकर सरकार के खिलाफ याचिका दायर की थी. जिसमें कहा गया था कि सरकार ने 21 जून 2019 को शासनादेश जारी कर दून मेडिकल कॉलेज और सुशीला तिवारी मेडिकल कॉलेज में साढ़े चार लाख फीस निर्धारित की है. साथ ही बॉन्ड को खत्म कर दिया है.

पढे़ं- रात में NH-534 पर नहीं होगी आवाजाही, हादसों के कारण लिया गया फैसला

जबकि वीर चन्द्र सिंह गढ़वाली मेडिकल कॉलेज में ऐच्छिक बॉन्ड के साथ पचास हजार फीस निर्धारित है. याचिकर्ताओं का कहना है कि अन्य राज्यों के मेडिकल कॉलेजों में फीस बहुत कम है. सरकार ने सरकारी मेडिकल कॉलेजों को अपनी आय का साधन बना लिया है. जो उत्तराखंड के मूल निवासियों के खिलाफ है. याचिकाकर्ताओं का कहना है कि फीस निर्धारण और बॉन्ड के लिए उचित नियम बनाए जाएं. मामले की गंभीरता को देखते हुए कोर्ट ने सरकार से तीन सप्ताह में जवाब पेश करने को कहा है.

नैनीताल: दून मेडिकल कॉलेज और सुशीला तिवारी मेडिकल कॉलेज में बढ़ाई गई फीस के खिलाफ दायर याचिका में हाई कोर्ट में सुनवाई हुई. न्यायाधीश सुधांशु धुलिया की एकलपीठ ने राज्य सरकार से तीन सप्ताह में जवाब पेश करने को कहा है.

बता दें कि देहरादून निवासी प्राची भट्ट व अन्य ने हाई कोर्ट में बढ़ी मेडिकल कॉलेज की फीस को लेकर सरकार के खिलाफ याचिका दायर की थी. जिसमें कहा गया था कि सरकार ने 21 जून 2019 को शासनादेश जारी कर दून मेडिकल कॉलेज और सुशीला तिवारी मेडिकल कॉलेज में साढ़े चार लाख फीस निर्धारित की है. साथ ही बॉन्ड को खत्म कर दिया है.

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जबकि वीर चन्द्र सिंह गढ़वाली मेडिकल कॉलेज में ऐच्छिक बॉन्ड के साथ पचास हजार फीस निर्धारित है. याचिकर्ताओं का कहना है कि अन्य राज्यों के मेडिकल कॉलेजों में फीस बहुत कम है. सरकार ने सरकारी मेडिकल कॉलेजों को अपनी आय का साधन बना लिया है. जो उत्तराखंड के मूल निवासियों के खिलाफ है. याचिकाकर्ताओं का कहना है कि फीस निर्धारण और बॉन्ड के लिए उचित नियम बनाए जाएं. मामले की गंभीरता को देखते हुए कोर्ट ने सरकार से तीन सप्ताह में जवाब पेश करने को कहा है.

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दून मेडिकल कालेज व सुशिला तिवारी मेडिकल कालेज में फीस व बॉन्ड को समाप्त करने का मामला पहुँचा नैनीताल हाई कोर्ट।
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हाई कोर्ट ने दून मेडिकल कालेज व सुशिला तिवारी मेडिकल कालेज में फीस व बॉन्ड को समाप्त करने के मामले में राज्य सरकार के साशनादेश दिनांक 21 जून 2019 को चुनोती देने वाली याचिका में सुनवाई करते हुए न्यायाधीश सुधांशु धुलिया की एकलपीठ ने राज्य सरकार से तीन सप्ताह में जवाब पेश करने को कहा है।
Body:आपको बता दे कि देहरादून निवासी प्राची भट्ट व अन्य ने हाई कोर्ट में याचिका दायर कर कहा है कि सरकार ने 21 जून 2019 को साशनादेश जारी कर दून मेडीकल कालेज व शुसीला तिवारी मेडिकल कालेज में साढ़े चार लाख फीस निर्धारित की है और और बॉन्ड को समाप्त कर दिया है। जबकि वीर चन्द्र सिंह गढ़वाली मेडिकल कालेज में ऐच्छिक बॉन्ड के साथ पचास हजार फीस निर्धारित है। याचिकर्ताओ का कहना है कि सरकार की यह निति उत्तराखंड के मूल निवासीयो के विरुद्ध है।Conclusion:जबकि अन्य राज्यो के मेडिकल कालेजो में फीस बहुत कम है सरकार ने सरकारी मेडिकल कालेजो को अपना आय का साधन मान लिया है। याचिकर्ताओ का कहना है कि फीस निर्धारण व बॉण्ड के लिए उचित नियम बनाए जाय,,,मामले को गंभीरता से सुनने के बाद कोर्ट ने सरकार से तीन सप्ताह में जवाब पेश करने को कहा है।
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