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नैनीताल-मसूरी में भीड़ पर HC सख्त, डेल्टा+ वैरिएंट पर भी मांगा जवाब, चारधाम यात्रा पर अभी रोक

कोरोना काल के दौरान पर्यटक स्थल नैनीताल-मसूरी में हो रही भारी भीड़ पर नैनीताल हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ में सुनवाई हुई.

nainital high court
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Published : Jul 7, 2021, 2:03 PM IST

Updated : Jul 7, 2021, 7:21 PM IST

नैनीताल: कोरोना काल के दौरान पर्यटक स्थल नैनीताल-मसूरी में हो रही भारी भीड़ पर नैनीताल हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ में सुनवाई हुई. कोर्ट ने सख्त रुख अपनाते हुए राज्य सरकार को अपना विस्तृत जवाब कोर्ट में पेश करने के आदेश दिए हैं. इसके साथ ही हाईकोर्ट ने नैनीताल हाईकोर्ट ने कोविड के खतरे को देखते हुए सरकार द्वारा किए गए सुरक्षा इंतजामों को नाकाफी बताया है और चारधाम यात्रा शुरू करने के संदर्भ में सरकार के निर्णय पर रोक लगा दी है. यात्रा को 28 जुलाई तक के लिए स्थगित करने का आदेश दिया है.

गौर हो कि उत्तराखंड के बदहाल कोविड अस्पतालों को ठीक करने समेत वापस लौट रहे प्रवासियों को बेहतर स्वास्थ्य सेवा देने का मामला, हरिद्वार कुंभ मेले की व्यवस्थाओं और मेले में आने वाले लोगों के स्वास्थ्य सेवा के साथ ही चारधाम यात्रा के आयोजन और नैनीताल-मसूरी में भारी भीड़ पर हाई कोर्ट ने एक साथ सुनवाई की.

आज सुनवाई के दौरान अधिवक्ता व याचिकाकर्ता दुष्यंत मैनाली ने कोर्ट को बताया कि कोरोना काल में राज्य सरकार ने स्थानीय लोगों के लिए पाबंदियां लगाई हैं, लेकिन सभी हिल स्टेशनों पर पर्यटक आ रहे हैं और उनके लिए राज्य सरकार द्वारा कोई व्यवस्था नहीं की गई है.

मामले को गंभीरता से लेते हुए हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश राघवेंद्र सिंह चौहान की खंडपीठ ने राज्य सरकार से पूछा है कि वीकेंड में पर्यटकों के लिए दी गयी छूट पर पुनर्विचार करें और कोर्ट को बताएं, डेल्टा प्लस वैरिएंट की जांच के लिए जो सैंपल भेजे गए हैं उनकी रिपोर्ट का विवरण दें. जहां सैंपल लिए गए हैं उन जिलों के अधिकारियों ने सावधानी के लिए क्या निर्णय लिए हैं ये बताएं, राज्य के कितने सरकारी और कितने निजी अस्पतालों में एमआरआई है, कितनों में नहीं है इसकी रिपोर्ट दें.

इसके साथ ही प्रदेश के पर्यटक स्थलों में पर्यटकों की भीड़ बढ़ने को लेकर हाई कोर्ट ने चिंता जाहिर करते हुए कहा है कि नैनीताल ज्यूडिशियल कैपिटल है, इसके बावजूद स्वास्थ्य संबंधी पर्याप्त सुविधाएं नहीं हैं. कोर्ट ने तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि नैनीताल में भारी भीड़ के बीच न तो मास्क के नियम का पालन हो रहा है, न ही सोशल डिस्टेंसिंग का.

कोविड के दौरान नैनीताल-मसूरी में हो रही भीड़ पर हाईकोर्ट सख्त.

इसके साथ ही कोर्ट ने पूछा है कि अस्पतालों में कितने पीडियाट्रिक (बाल रोग) वार्ड और बेड हैं, कितनी सीएचसी में डॉक्टर उपलब्ध हैं कहां नहीं हैं इसकी लिस्ट दें, प्रतिदिन कितना वैक्सीनेशन प्रदेश में हो रहा है, कितनों को फर्स्ट डोज लग गयी है, प्रतिदिन का रेट दें, कितने बुजुर्ग व्यक्तियों और विकलांगों को अब तक वैक्सीन लग चुकी है और उसके लिए राज्य सरकार ने क्या कदम उठाए हैं. क्या नियर टू होम वैक्सीनेशन क्लिनिक के बारे में सरकार ने कोई विचार किया है.

पढ़ें:CM धामी को घेरने में जुटी कांग्रेस, आज सरकार के खिलाफ विपक्ष का हल्लाबोल

इसके साथ ही कोर्ट ने पूछा है कि उत्तराखंड में इंटर्न चिकित्सकों को 7500 मानदेय दिया जा रहा है जबकि हिमाचल में अधिक मानदेय दिया जा रहा है, राज्य सरकार इसको बढ़ाने के बारे में विचार करे. मामले में सुनवाई के दौरान टिप्पणी करते हुए कोर्ट ने कहा कि एक तरफ सरकार कहती है कि हमारे पास चिकित्सक नहीं है और दूसरी और इंटर्न चिकित्सकों का मानदेय इतना कम होना चिंताजनक है.

मुख्य न्यायाधीश राघवेंद्र सिंह चौहान की खंडपीठ में सभी बिंदुओं पर प्रदेश के मुख्य सचिव, स्वास्थ्य सचिव, पर्यटन सचिव को अपना विस्तृत जवाब 28 जुलाई तक कोर्ट में पेश करने के आदेश दिए हैं.

पढे़ं:चारधाम यात्रा के लिए सुप्रीम कोर्ट पहुंची धामी सरकार, दायर की विशेष अनुमति याचिका

बता दें कि, देहरादून निवासी सच्चिदानंद डबराल व हाई कोर्ट के अधिवक्ता दुष्यंत मैनाली द्वारा उत्तराखंड वापस लौट रहे प्रवासियों को बेहतर स्वास्थ्य सेवा देने समेत कोविड-19 अस्पतालों की स्थिति सुधारने के लिए जनहित याचिका दायर की थी जिस हाई कोर्ट में सुनवाई चल रही है.

नैनीताल: कोरोना काल के दौरान पर्यटक स्थल नैनीताल-मसूरी में हो रही भारी भीड़ पर नैनीताल हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ में सुनवाई हुई. कोर्ट ने सख्त रुख अपनाते हुए राज्य सरकार को अपना विस्तृत जवाब कोर्ट में पेश करने के आदेश दिए हैं. इसके साथ ही हाईकोर्ट ने नैनीताल हाईकोर्ट ने कोविड के खतरे को देखते हुए सरकार द्वारा किए गए सुरक्षा इंतजामों को नाकाफी बताया है और चारधाम यात्रा शुरू करने के संदर्भ में सरकार के निर्णय पर रोक लगा दी है. यात्रा को 28 जुलाई तक के लिए स्थगित करने का आदेश दिया है.

गौर हो कि उत्तराखंड के बदहाल कोविड अस्पतालों को ठीक करने समेत वापस लौट रहे प्रवासियों को बेहतर स्वास्थ्य सेवा देने का मामला, हरिद्वार कुंभ मेले की व्यवस्थाओं और मेले में आने वाले लोगों के स्वास्थ्य सेवा के साथ ही चारधाम यात्रा के आयोजन और नैनीताल-मसूरी में भारी भीड़ पर हाई कोर्ट ने एक साथ सुनवाई की.

आज सुनवाई के दौरान अधिवक्ता व याचिकाकर्ता दुष्यंत मैनाली ने कोर्ट को बताया कि कोरोना काल में राज्य सरकार ने स्थानीय लोगों के लिए पाबंदियां लगाई हैं, लेकिन सभी हिल स्टेशनों पर पर्यटक आ रहे हैं और उनके लिए राज्य सरकार द्वारा कोई व्यवस्था नहीं की गई है.

मामले को गंभीरता से लेते हुए हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश राघवेंद्र सिंह चौहान की खंडपीठ ने राज्य सरकार से पूछा है कि वीकेंड में पर्यटकों के लिए दी गयी छूट पर पुनर्विचार करें और कोर्ट को बताएं, डेल्टा प्लस वैरिएंट की जांच के लिए जो सैंपल भेजे गए हैं उनकी रिपोर्ट का विवरण दें. जहां सैंपल लिए गए हैं उन जिलों के अधिकारियों ने सावधानी के लिए क्या निर्णय लिए हैं ये बताएं, राज्य के कितने सरकारी और कितने निजी अस्पतालों में एमआरआई है, कितनों में नहीं है इसकी रिपोर्ट दें.

इसके साथ ही प्रदेश के पर्यटक स्थलों में पर्यटकों की भीड़ बढ़ने को लेकर हाई कोर्ट ने चिंता जाहिर करते हुए कहा है कि नैनीताल ज्यूडिशियल कैपिटल है, इसके बावजूद स्वास्थ्य संबंधी पर्याप्त सुविधाएं नहीं हैं. कोर्ट ने तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि नैनीताल में भारी भीड़ के बीच न तो मास्क के नियम का पालन हो रहा है, न ही सोशल डिस्टेंसिंग का.

कोविड के दौरान नैनीताल-मसूरी में हो रही भीड़ पर हाईकोर्ट सख्त.

इसके साथ ही कोर्ट ने पूछा है कि अस्पतालों में कितने पीडियाट्रिक (बाल रोग) वार्ड और बेड हैं, कितनी सीएचसी में डॉक्टर उपलब्ध हैं कहां नहीं हैं इसकी लिस्ट दें, प्रतिदिन कितना वैक्सीनेशन प्रदेश में हो रहा है, कितनों को फर्स्ट डोज लग गयी है, प्रतिदिन का रेट दें, कितने बुजुर्ग व्यक्तियों और विकलांगों को अब तक वैक्सीन लग चुकी है और उसके लिए राज्य सरकार ने क्या कदम उठाए हैं. क्या नियर टू होम वैक्सीनेशन क्लिनिक के बारे में सरकार ने कोई विचार किया है.

पढ़ें:CM धामी को घेरने में जुटी कांग्रेस, आज सरकार के खिलाफ विपक्ष का हल्लाबोल

इसके साथ ही कोर्ट ने पूछा है कि उत्तराखंड में इंटर्न चिकित्सकों को 7500 मानदेय दिया जा रहा है जबकि हिमाचल में अधिक मानदेय दिया जा रहा है, राज्य सरकार इसको बढ़ाने के बारे में विचार करे. मामले में सुनवाई के दौरान टिप्पणी करते हुए कोर्ट ने कहा कि एक तरफ सरकार कहती है कि हमारे पास चिकित्सक नहीं है और दूसरी और इंटर्न चिकित्सकों का मानदेय इतना कम होना चिंताजनक है.

मुख्य न्यायाधीश राघवेंद्र सिंह चौहान की खंडपीठ में सभी बिंदुओं पर प्रदेश के मुख्य सचिव, स्वास्थ्य सचिव, पर्यटन सचिव को अपना विस्तृत जवाब 28 जुलाई तक कोर्ट में पेश करने के आदेश दिए हैं.

पढे़ं:चारधाम यात्रा के लिए सुप्रीम कोर्ट पहुंची धामी सरकार, दायर की विशेष अनुमति याचिका

बता दें कि, देहरादून निवासी सच्चिदानंद डबराल व हाई कोर्ट के अधिवक्ता दुष्यंत मैनाली द्वारा उत्तराखंड वापस लौट रहे प्रवासियों को बेहतर स्वास्थ्य सेवा देने समेत कोविड-19 अस्पतालों की स्थिति सुधारने के लिए जनहित याचिका दायर की थी जिस हाई कोर्ट में सुनवाई चल रही है.

Last Updated : Jul 7, 2021, 7:21 PM IST
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