नैनीताल: उत्तराखंड में न्याय के देवता के नाम से जाने जाने वाले गोलू देवता के मंदिर में हो रही अनियमितता एवं मंदिर को ट्रस्ट बनाने के मामले पर नैनीताल हाईकोर्ट ने डीएम से जवाब मांगा है. मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने मंदिर के पुजारियों को पक्षकार बनाते हुए दस्ती नोटिस जारी किया है. इसके साथ ही कोर्ट ने डीएम अल्मोड़ा से पूछा है कि 2018 में बनाई गई कमेटी की रिपोर्ट उनके द्वारा क्या कार्रवाई की गई है.
बता दें कि नैनीताल निवासी अधिवक्ता दीपक रूवाली ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा है कि चितई गोलू देवता मंदिर पर्वती क्षेत्र के लिए आस्था का केंद्र है. लेकिन लंबे समय से इस मंदिर का रख रखाव और श्रद्धालुओं के चढ़ावे से प्राप्त धनराशि का उचित उपयोग नहीं हो रहा है. मंदिर की व्यवस्थाओं का संचालन कुछ व्यक्तियों के हाथ में है और इसका निजी लाभ लिया जा रहा है.
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मंदिर के चढ़ावे का उपयोग निजी आय की तरह किया जा रहा है, साथ ही याचिका में कहा गया है कि चितई मंदिर के लिए 2011 में मंदिर समिति गठित हुई थी, लेकिन इसमें एक ही परिवार के सदस्य हैं. जिससे समिति का कोई अस्तित्व नहीं है. मामले में सुनवाई करते हुए नैनीताल हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने दस्ती नोटिस जारी कर डीएम अल्मोड़ा से अपना जवाब पेश करने को कहा है.