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हाई कोर्ट ने एलीफेंट कॉरिडोर में हाथियों को मिर्ची खिलाने पर लगाई रोक, जताई नाराजगी

नैनीताल हाई कोर्ट ने एलीफेंट कॉरिडोर में हाथियों को मिर्ची खिलाने के मामले पर नाराजगी जताई है, साथ ही मिर्च खिलाने पर रोक लगाई है. वहीं, कोर्ट ने केंद्र सरकार के प्रोजेक्ट एलीफेंट, पर्यावरण मंत्रालय भारत सरकार, वन्यजीव प्रतिपालक उत्तराखंड समेत वन विभाग को 2 हफ्ते के भीतर जवाब पेश करने के आदेश दिए हैं.

नैनीताल हाई कोर्ट
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Published : Oct 15, 2019, 8:27 PM IST

Updated : Oct 16, 2019, 3:51 AM IST

नैनीतालः उत्तराखंड में वन विभाग एलीफेंट कॉरिडोर में हाथियों को सड़क और आबादी क्षेत्र में आने से रोकने के लिए मिर्च खिला रही है. जिस पर हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने कड़ी नाराजगी जताई है. साथ ही हाथियों को मिर्ची खिलाने और उन्हें भगाने के लिए धमाकेदार चीजों के इस्तेमाल पर भी रोक लगा दी है. वहीं, मामले पर कोर्ट ने सरकार से 2 हफ्ते के भीतर जवाब मांगा है.

दुष्यंत मैनाली, अधिवक्ता याचिकाकर्ता.

बता दें कि, इंडिपेंडेंट मेडिकल सोसाइटी ने नैनीताल हाई कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की है. जिसमें उन्होंने कहा है कि उत्तराखंड में हाथी कॉरिडोर में अवैध अतिक्रमण किया गया है. जबकि, उत्तराखंड में 11 हाथी कॉरिडोर हैं. जिसमें से तीन मुख्य कॉरिडोर कॉर्बेट पार्क की सीमा से सटे हुए हैं. जो करीब 27 किलोमीटर लंबे हैं.

ये भी पढ़ेंः ग्रामीण महिला दिवस: दिव्यांग सुमनलता दूसरों के लिए बनी मिसाल, स्वरोजगार की जगाई अलख

ये कॉरिडोर राष्ट्रीय राजमार्ग में है. जिसमें ढिकुली क्षेत्र में पड़ने वाले कॉरिडोर में 150 से ज्यादा रिसोर्ट का निर्माण किया गया है. रिसोर्ट के निर्माण के कारण यह कॉरिडोर पूरी तरह से बंद हो चुके हैं. वहीं, कॉरिडोर बंद होने से हाथियों ने अपना रास्ता बदल कर दक्षिणी पतली दून से बना लिया है. वहीं, मोहन क्षेत्र में भी बड़े रिसोर्ट का निर्माण कार्य होने की वजह से रात में नेशनल हाई वे में लगातार वाहनों का संचालन हो रहा है.

ऐसे में हाथी समेत अन्य जानवरों को कोसी नदी तक पहुंचने में काफी परेशानी हो रही है. जिसकी वजह से वन्य जीव जंतुओं के व्यवहार में बदलाव आ रहा है और वो हिंसक हो रहे हैं. इसी वजह से बीते 1 साल के भीतर करीब 20 से ज्यादा घटनाएं हो चुकी हैं. जिसमें हाथियों ने कई हमले किए हैं.

ये भी पढ़ेंः अंतरराष्ट्रीय ग्रामीण महिला दिवस: महिलाओं के दर्द से बेखबर 'सरकार','पहाड़' ढोने के लिए अभिशप्त महिलाएं

वहीं, याचिकाकर्ता का कहना है कि बड़े रिसोर्ट के द्वारा जंगलों में आयोजित की जाने वाली शादियों, पार्टियों से होने वाली रोशनी और शोर की वजह से वन्यजीवों के जीवन में खलल पड़ रहा है. इतना ही नहीं वन विभाग इन हाथियों को नेशनल हाई वे पर आने से रोकने के लिए हरी मिर्च के पाउडर खिला रही है. साथ ही पटाखे छोड़कर उन्हें हाई वे पर आने से रोका जा रहा है. जो अवैधानिक है.

इसी कड़ी में हाई कोर्ट ने सुनवाई करते हुए एलीफेंट कॉरिडोर में हाथियों को मिर्ची खिलाने के मामले पर नाराजगी जताई है, साथ ही मिर्च खिलाने पर रोक लगाई है. वहीं, कोर्ट ने केंद्र सरकार के प्रोजेक्ट एलीफेंट, पर्यावरण मंत्रालय भारत सरकार, वन्यजीव प्रतिपालक उत्तराखंड समेत वन विभाग को 2 हफ्ते के भीतर जवाब पेश करने के आदेश दिए हैं.

नैनीतालः उत्तराखंड में वन विभाग एलीफेंट कॉरिडोर में हाथियों को सड़क और आबादी क्षेत्र में आने से रोकने के लिए मिर्च खिला रही है. जिस पर हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने कड़ी नाराजगी जताई है. साथ ही हाथियों को मिर्ची खिलाने और उन्हें भगाने के लिए धमाकेदार चीजों के इस्तेमाल पर भी रोक लगा दी है. वहीं, मामले पर कोर्ट ने सरकार से 2 हफ्ते के भीतर जवाब मांगा है.

दुष्यंत मैनाली, अधिवक्ता याचिकाकर्ता.

बता दें कि, इंडिपेंडेंट मेडिकल सोसाइटी ने नैनीताल हाई कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की है. जिसमें उन्होंने कहा है कि उत्तराखंड में हाथी कॉरिडोर में अवैध अतिक्रमण किया गया है. जबकि, उत्तराखंड में 11 हाथी कॉरिडोर हैं. जिसमें से तीन मुख्य कॉरिडोर कॉर्बेट पार्क की सीमा से सटे हुए हैं. जो करीब 27 किलोमीटर लंबे हैं.

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ये कॉरिडोर राष्ट्रीय राजमार्ग में है. जिसमें ढिकुली क्षेत्र में पड़ने वाले कॉरिडोर में 150 से ज्यादा रिसोर्ट का निर्माण किया गया है. रिसोर्ट के निर्माण के कारण यह कॉरिडोर पूरी तरह से बंद हो चुके हैं. वहीं, कॉरिडोर बंद होने से हाथियों ने अपना रास्ता बदल कर दक्षिणी पतली दून से बना लिया है. वहीं, मोहन क्षेत्र में भी बड़े रिसोर्ट का निर्माण कार्य होने की वजह से रात में नेशनल हाई वे में लगातार वाहनों का संचालन हो रहा है.

ऐसे में हाथी समेत अन्य जानवरों को कोसी नदी तक पहुंचने में काफी परेशानी हो रही है. जिसकी वजह से वन्य जीव जंतुओं के व्यवहार में बदलाव आ रहा है और वो हिंसक हो रहे हैं. इसी वजह से बीते 1 साल के भीतर करीब 20 से ज्यादा घटनाएं हो चुकी हैं. जिसमें हाथियों ने कई हमले किए हैं.

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वहीं, याचिकाकर्ता का कहना है कि बड़े रिसोर्ट के द्वारा जंगलों में आयोजित की जाने वाली शादियों, पार्टियों से होने वाली रोशनी और शोर की वजह से वन्यजीवों के जीवन में खलल पड़ रहा है. इतना ही नहीं वन विभाग इन हाथियों को नेशनल हाई वे पर आने से रोकने के लिए हरी मिर्च के पाउडर खिला रही है. साथ ही पटाखे छोड़कर उन्हें हाई वे पर आने से रोका जा रहा है. जो अवैधानिक है.

इसी कड़ी में हाई कोर्ट ने सुनवाई करते हुए एलीफेंट कॉरिडोर में हाथियों को मिर्ची खिलाने के मामले पर नाराजगी जताई है, साथ ही मिर्च खिलाने पर रोक लगाई है. वहीं, कोर्ट ने केंद्र सरकार के प्रोजेक्ट एलीफेंट, पर्यावरण मंत्रालय भारत सरकार, वन्यजीव प्रतिपालक उत्तराखंड समेत वन विभाग को 2 हफ्ते के भीतर जवाब पेश करने के आदेश दिए हैं.

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एलीफेंट कॉरिडोर में हाथियों को मिर्च खिलाने पर हाईकोर्ट सख्त, हाथियों को मिर्च खिलाने पर कोर्ट ने व्यक्त की नाराजगी।

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उत्तराखंड में एलीफेंट कॉरिडोर में हाथियों को सड़क और आबादी क्षेत्र में आने से रोकने के लिए वन विभाग द्वारा हाथियों को खिलाई जा रही मिर्च के मामले पर नैनीताल हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने नाराजगी व्यक्त करते हुए हाथियों को मिर्च खिलाने पर पूर्ण रूप से रोक लगा दी है वहीं कोर्ट ने हाथियों को भगाने के लिए बम समेत अन्य प्रयोग करने पर भी रोक लगा दी है,,,
साथ ही कोर्ट ने केंद्र सरकार के प्रोजेक्ट एलीफेंट, पर्यावरण मंत्रालय भारत सरकार, वन्यजीव प्रतिपालक उत्तराखंड समेत वन विभाग को 2 सप्ताह के भीतर जवाब पेश करने के आदेश दिए हैं।


Body:आपको बता दें कि इंडिपेंडेंट मेडिकल सोसाइटी ने नैनीताल हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा है कि उत्तराखंड में हाथी कॉरिडोर में अवैध अतिक्रमण किया गया है, उत्तराखंड में 11 हाथी कॉरिडोर है जिसमें से तीन मुख्य कॉरिडोर कॉर्बेट पार्क की सीमा से लगते हुए हैं जो 27 किलोमीटर लंबे हैं और राष्ट्रीय राजमार्ग में है जिसमें ढिकुली क्षेत्र में पड़ने वाले कॉरिडोर में 150 से अधिक रिसोर्ट का निर्माण किया गया है और रिसोर्ट के निर्माण के कारण यह कॉरिडोर पूरी तरह से बंद हो चुके हैं, वहीं कॉरिडोर बंद होने से हाथियों ने अपना रास्ता बदल कर दक्षिणी पतली दून से बना लिया है,


Conclusion:और मोहन क्षेत्र में भी बड़े रिसोर्ट का निर्माण कार्य होने की वजह से रात में नेशनल हाईवे में लगातार वाहनों के संचालन हो रहा है और हाथी, जंगली पशुओं को कोसी नदी तक पहुंचने में परेशानी हो रही है जिस वजह से वन्य जीव जंतुओं के व्यवहार में बदलाव आ रहा है और वो हिंसक हो रहे हैं, इसी वजह से बीते 1 साल में करीब 20 से अधिक घटनाएं हो चुकी हैं जिसमें हाथियों ने हमला किया,
साथ ही याचिकाकर्ता का कहना है कि बड़े रिसोर्ट द्वारा जंगलों में आयोजित की जाने वाली शादियों, पार्टियों से होने वाली रोशनी और सुअर की वजह से वन्यजीवों के जीवन में खलल पड़ रहा है, वहीं वन विभाग द्वारा हाथियों को नेशनल हाईवे में आने से रोकने के लिए हरी मिर्च के पाउडर खिलाकर और पटाखे छोड़कर उनको नेशनल हाईवे में रोकने का काम किया जा रहा है जो अवैधानिक है।

बाईट- दुष्यंत मैनाली, अधिवक्ता याचिकाकर्ता।
Last Updated : Oct 16, 2019, 3:51 AM IST
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