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एसिड अटैक पीड़िता के हक में बड़ा फैसला, HC ने उत्तराखंड सरकार को ₹35 लाख का मुआवजा देने का आदेश दिया - High Court orders Uttarakhand government

एसिड अटैक की पीड़िता के हक में आज 16 दिसंबर को उत्तराखंड हाईकोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है. कोर्ट ने उत्तराखंड की धामी सरकार को निर्देश दिए है कि एसिड अटैक की पीड़िता को मुआवजे के तौर पर 35 लाख रुपए दिए जाए. साथ ही उसके इलाज का संपूर्ण खर्च भी सरकार ही वहन करें.

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Published : Dec 16, 2022, 7:33 PM IST

नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट (Uttarakhand High Court) ने एक एसिड अटैक पीड़िता (acid attack victim) के पक्ष में राज्य सरकार को आदेश दिया है. कोर्ट ने धामी सरकार को एसिड अटैक पीड़िता को 35 लाख का मुआवजा (35 lakh compensation to acid attack victim) देने और उसके इलाज का संपूर्ण खर्च वहन करने के निर्देश दिए हैं. मामले की सुनवाई वरिष्ठ न्यायाधीश संजय कुमार मिश्रा की एकलपीठ में हुई.

बता दें कि एसिड अटैक पीड़िता गुलनाज खान ने 2019 में हाईकोर्ट में मुआवजा दिलाए जाने के लिए याचिका दायर की थी. याचिकाकर्ता के मुताबिक जब उस पर एसिड अटैक हुआ, तब वह कक्षा 12वीं की छात्रा थी. उस दौरान एक अज्ञात व्यक्ति लगातार उसे प्रेम करने के लिए तंग कर रहा था, जिसको पीड़िता ने लगातार ठुकरा दिया था. जिसके बाद बदले की भावना से आरोपी युवक ने गुलनाज पर एसिड अटैक कर दिया था.

इस अटैक में उसके शरीर का ऊपरी हिस्सा 60% से भी ज्यादा जल गया था. साथ ही दाहिना कान पूरी तरह बंद हो गया. वहीं, दूसरे कान की 50 प्रतिशत सुनने की क्षमता भी चली गई थी. इस मामले में आरोपी को निचली अदालत ने ,साल 2016 में दस साल के कारावास और 20 हजार रुपये की सजा सुनाई थी. साथ ही हाईकोर्ट ने साल 2019 में पीड़िता को डेढ़ लाख रुपये की चिकित्सा प्रतिपूर्ति तत्काल देने के आदेश दिए थे, लेकिन गुलनाज ने इस जघन्य अपराध की प्रतिपूर्ति राज्य सरकार से कराने के लिए हाईकोर्ट में याचिका दायर कर 50 लाख की मुआवजा राशि की मांग की.
ये भी पढ़ें: भ्रष्टाचार के फरार आरोपी आईएफएस अधिकारी किशन चंद को झटका, अखाड़े के महामंत्री पद से हटाया

इस पर अंतिम सुनवाई के दौरान, सरकार की ओर से यह पक्ष रखा गया कि याची को इसके लिए सीधे हाईकोर्ट में याचिका दायर करने के बजाय अलग फोरम पर आवेदन देना चाहिए. सरकार ने यह भी कहा कि ऐसे एक प्रकरण में लाभ देने से सभी लोग ऐसी प्रतिपूर्ति चाहेंगे. इसके जवाब में याची की अधिवक्ता स्निग्धा तिवारी ने उच्च न्यायालय को बताया गया कि एक एसिड अटैक पीड़िता के मामले में उचित मुआवजा नहीं दिया जा रहा. जबकि राजनीतिक मामलों में सरकार करोड़ों रुपया देती है.

उन्होंने यह भी कहा कि एक पीड़िता की इज्जत, उसकी पूरी जिंदगी भर जिस तरीके से उसको इस साए में रहना पड़ेगा, उसकी प्रतिपूर्ति की जानी चाहिए. इन तर्कों के बाद हाईकोर्ट ने पीड़िता 35 लाख रुपये मुआवजा, उसकी चिकित्सा और सर्जरी पर होने वाले व्यय का भुगतान राज्य सरकार को करने के निर्देश दिए हैं. हाईकोर्ट का यह आदेश कई मायनों में महत्वपूर्ण माना जा रहा है. इसी याचिका में पारित हाईकोर्ट के निर्देशों के अनुपालन में राज्य सरकार 2020 में एसिड अटैक पीड़िताओं के लिये एक योजना लाई थी.

नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट (Uttarakhand High Court) ने एक एसिड अटैक पीड़िता (acid attack victim) के पक्ष में राज्य सरकार को आदेश दिया है. कोर्ट ने धामी सरकार को एसिड अटैक पीड़िता को 35 लाख का मुआवजा (35 lakh compensation to acid attack victim) देने और उसके इलाज का संपूर्ण खर्च वहन करने के निर्देश दिए हैं. मामले की सुनवाई वरिष्ठ न्यायाधीश संजय कुमार मिश्रा की एकलपीठ में हुई.

बता दें कि एसिड अटैक पीड़िता गुलनाज खान ने 2019 में हाईकोर्ट में मुआवजा दिलाए जाने के लिए याचिका दायर की थी. याचिकाकर्ता के मुताबिक जब उस पर एसिड अटैक हुआ, तब वह कक्षा 12वीं की छात्रा थी. उस दौरान एक अज्ञात व्यक्ति लगातार उसे प्रेम करने के लिए तंग कर रहा था, जिसको पीड़िता ने लगातार ठुकरा दिया था. जिसके बाद बदले की भावना से आरोपी युवक ने गुलनाज पर एसिड अटैक कर दिया था.

इस अटैक में उसके शरीर का ऊपरी हिस्सा 60% से भी ज्यादा जल गया था. साथ ही दाहिना कान पूरी तरह बंद हो गया. वहीं, दूसरे कान की 50 प्रतिशत सुनने की क्षमता भी चली गई थी. इस मामले में आरोपी को निचली अदालत ने ,साल 2016 में दस साल के कारावास और 20 हजार रुपये की सजा सुनाई थी. साथ ही हाईकोर्ट ने साल 2019 में पीड़िता को डेढ़ लाख रुपये की चिकित्सा प्रतिपूर्ति तत्काल देने के आदेश दिए थे, लेकिन गुलनाज ने इस जघन्य अपराध की प्रतिपूर्ति राज्य सरकार से कराने के लिए हाईकोर्ट में याचिका दायर कर 50 लाख की मुआवजा राशि की मांग की.
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इस पर अंतिम सुनवाई के दौरान, सरकार की ओर से यह पक्ष रखा गया कि याची को इसके लिए सीधे हाईकोर्ट में याचिका दायर करने के बजाय अलग फोरम पर आवेदन देना चाहिए. सरकार ने यह भी कहा कि ऐसे एक प्रकरण में लाभ देने से सभी लोग ऐसी प्रतिपूर्ति चाहेंगे. इसके जवाब में याची की अधिवक्ता स्निग्धा तिवारी ने उच्च न्यायालय को बताया गया कि एक एसिड अटैक पीड़िता के मामले में उचित मुआवजा नहीं दिया जा रहा. जबकि राजनीतिक मामलों में सरकार करोड़ों रुपया देती है.

उन्होंने यह भी कहा कि एक पीड़िता की इज्जत, उसकी पूरी जिंदगी भर जिस तरीके से उसको इस साए में रहना पड़ेगा, उसकी प्रतिपूर्ति की जानी चाहिए. इन तर्कों के बाद हाईकोर्ट ने पीड़िता 35 लाख रुपये मुआवजा, उसकी चिकित्सा और सर्जरी पर होने वाले व्यय का भुगतान राज्य सरकार को करने के निर्देश दिए हैं. हाईकोर्ट का यह आदेश कई मायनों में महत्वपूर्ण माना जा रहा है. इसी याचिका में पारित हाईकोर्ट के निर्देशों के अनुपालन में राज्य सरकार 2020 में एसिड अटैक पीड़िताओं के लिये एक योजना लाई थी.

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