नैनीतालः देहरादून के एमकेपी कॉलेज में हुए 45 लाख के घोटाला मामले में नैनीताल हाई कोर्ट ने सख्त रुख अपनाते हुए राज्य सरकार को जवाब पेश करने के आदेश दिए हैं. वहीं, राज्य सरकार ने इस घोटाले की रिपोर्ट कोर्ट में पेश की थी. जिसपर याचिकाकर्ता ने विरोध जताया और बताया कि सरकार ने बगैर मौका मुआयना किये घोटाला मामले में फाइनल रिपोर्ट लगा दी.
वहीं, इस पर हाई कोर्ट ने नाराजगी जताते करते हुए राज्य सरकार से घोटाले के मामले में फाइनल रिपोर्ट लगाने और अबतक की गई कार्रवाई पर जवाब पेश करने के आदेश दिए हैं. मामले की सुनवाई हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन और न्यायाधीश आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ में हुई.
बता दें कि एमकेपी कॉलेज की पूर्व छात्रा सोनिया बिनवाल ने नैनीताल हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कॉलेज प्रबंधन पर 45 लाख रुपए के गबन और घोटाले का आरोप लगाते हुए याचिका दायर की थी. छात्रा का कहना है कि यूजीसी की यह 45 लाख रुपए की ग्रांट एमकेपी कॉलेज में छात्राओं की शिक्षा में सहूलियत के लिए जारी की थी. लेकिन कॉलेज प्रशासन ने किसी भी बुनियादी सुविधा की सुधार के लिए इन पैसों को खर्च नहीं किया. जबकि, प्राचार्य ने व्यक्तिगत फायदे के लिए इस पैसे की बंदरबांट की.
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याचिकाकर्ता का ये भी आरोप है कि जो उपकरण छात्राओं के लिए मंगाए गए थे, उनको बगैर टेंडर के ही मंगवा दिया गया. जिसकी कीमत बाजार रेट से ज्यादा थी. इसके अलावा इन सामानों का बिल भी पेश नहीं किया. वहीं, राज्य सरकार द्वारा कराए गए ऑडिट में भी कॉलेज में हुए इस गड़बड़झाले की बात साबित हुई है.
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वहीं, एमकेपी कॉलेज में हुए 45 लाख के घोटाले की पुष्टि सीएजी की रिपोर्ट में भी हुई है. जबकि इस घोटाले को लेकर 2016 -17 में देहरादून के थाने में एफआईआर भी दर्ज की गई. लेकिन मामले में अबतक कोई कार्रवाई नहीं हुई. इसके बाद जनवरी 2019 में शासन की स्थलीय निरीक्षण के दौरान भी 7 लाख 68 हजार का सामान कॉलेज से गायब मिला. जिस वजह से यूजीसी ने कॉलेज को दी जाने वाली पंचवर्षीय ग्रांट पर रोक लगा दी. जिससे कॉलेज की स्थिति बदहाल हो रही है. लिहाजा, याचिकाकर्ता का कहना है कि इस घोटाले की उच्चस्तरीय एसआईटी जांच कराई जाए.