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MKP कॉलेज में 45 लाख के गबन का मामला, हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से मांगा जवाब - उत्तराखंड सरकार

देहरादून एमकेपी कॉलेज में 45 लाख के घोटाला मामले में राज्य सरकार की रिपोर्ट पर हाई कोर्ट ने नाराजगी व्यक्त की. साथ ही जल्द इस मामले की फाइनल रिपोर्ट पेश करने के आदेश दिए हैं.

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नैनीताल हाई कोर्ट
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Published : Jan 2, 2020, 6:48 PM IST

नैनीतालः देहरादून के एमकेपी कॉलेज में हुए 45 लाख के घोटाला मामले में नैनीताल हाई कोर्ट ने सख्त रुख अपनाते हुए राज्य सरकार को जवाब पेश करने के आदेश दिए हैं. वहीं, राज्य सरकार ने इस घोटाले की रिपोर्ट कोर्ट में पेश की थी. जिसपर याचिकाकर्ता ने विरोध जताया और बताया कि सरकार ने बगैर मौका मुआयना किये घोटाला मामले में फाइनल रिपोर्ट लगा दी.

वहीं, इस पर हाई कोर्ट ने नाराजगी जताते करते हुए राज्य सरकार से घोटाले के मामले में फाइनल रिपोर्ट लगाने और अबतक की गई कार्रवाई पर जवाब पेश करने के आदेश दिए हैं. मामले की सुनवाई हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन और न्यायाधीश आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ में हुई.

MKP कॉलेज में 45 लाख के गबन का मामला.

बता दें कि एमकेपी कॉलेज की पूर्व छात्रा सोनिया बिनवाल ने नैनीताल हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कॉलेज प्रबंधन पर 45 लाख रुपए के गबन और घोटाले का आरोप लगाते हुए याचिका दायर की थी. छात्रा का कहना है कि यूजीसी की यह 45 लाख रुपए की ग्रांट एमकेपी कॉलेज में छात्राओं की शिक्षा में सहूलियत के लिए जारी की थी. लेकिन कॉलेज प्रशासन ने किसी भी बुनियादी सुविधा की सुधार के लिए इन पैसों को खर्च नहीं किया. जबकि, प्राचार्य ने व्यक्तिगत फायदे के लिए इस पैसे की बंदरबांट की.

पढ़ेंः THDC और NTPC के एकीकरण का मामला पहुंचा हाई कोर्ट, केंद्र और राज्य सरकार से मांगा जवाब

याचिकाकर्ता का ये भी आरोप है कि जो उपकरण छात्राओं के लिए मंगाए गए थे, उनको बगैर टेंडर के ही मंगवा दिया गया. जिसकी कीमत बाजार रेट से ज्यादा थी. इसके अलावा इन सामानों का बिल भी पेश नहीं किया. वहीं, राज्य सरकार द्वारा कराए गए ऑडिट में भी कॉलेज में हुए इस गड़बड़झाले की बात साबित हुई है.

पढ़ेंः नैनीतालः बैंक शिफ्ट के खिलाफ ग्रामीणों ने DM को सौंपा ज्ञापन, जिलाधिकारी ने DGM से मांगा जवाब

वहीं, एमकेपी कॉलेज में हुए 45 लाख के घोटाले की पुष्टि सीएजी की रिपोर्ट में भी हुई है. जबकि इस घोटाले को लेकर 2016 -17 में देहरादून के थाने में एफआईआर भी दर्ज की गई. लेकिन मामले में अबतक कोई कार्रवाई नहीं हुई. इसके बाद जनवरी 2019 में शासन की स्थलीय निरीक्षण के दौरान भी 7 लाख 68 हजार का सामान कॉलेज से गायब मिला. जिस वजह से यूजीसी ने कॉलेज को दी जाने वाली पंचवर्षीय ग्रांट पर रोक लगा दी. जिससे कॉलेज की स्थिति बदहाल हो रही है. लिहाजा, याचिकाकर्ता का कहना है कि इस घोटाले की उच्चस्तरीय एसआईटी जांच कराई जाए.

नैनीतालः देहरादून के एमकेपी कॉलेज में हुए 45 लाख के घोटाला मामले में नैनीताल हाई कोर्ट ने सख्त रुख अपनाते हुए राज्य सरकार को जवाब पेश करने के आदेश दिए हैं. वहीं, राज्य सरकार ने इस घोटाले की रिपोर्ट कोर्ट में पेश की थी. जिसपर याचिकाकर्ता ने विरोध जताया और बताया कि सरकार ने बगैर मौका मुआयना किये घोटाला मामले में फाइनल रिपोर्ट लगा दी.

वहीं, इस पर हाई कोर्ट ने नाराजगी जताते करते हुए राज्य सरकार से घोटाले के मामले में फाइनल रिपोर्ट लगाने और अबतक की गई कार्रवाई पर जवाब पेश करने के आदेश दिए हैं. मामले की सुनवाई हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन और न्यायाधीश आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ में हुई.

MKP कॉलेज में 45 लाख के गबन का मामला.

बता दें कि एमकेपी कॉलेज की पूर्व छात्रा सोनिया बिनवाल ने नैनीताल हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कॉलेज प्रबंधन पर 45 लाख रुपए के गबन और घोटाले का आरोप लगाते हुए याचिका दायर की थी. छात्रा का कहना है कि यूजीसी की यह 45 लाख रुपए की ग्रांट एमकेपी कॉलेज में छात्राओं की शिक्षा में सहूलियत के लिए जारी की थी. लेकिन कॉलेज प्रशासन ने किसी भी बुनियादी सुविधा की सुधार के लिए इन पैसों को खर्च नहीं किया. जबकि, प्राचार्य ने व्यक्तिगत फायदे के लिए इस पैसे की बंदरबांट की.

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याचिकाकर्ता का ये भी आरोप है कि जो उपकरण छात्राओं के लिए मंगाए गए थे, उनको बगैर टेंडर के ही मंगवा दिया गया. जिसकी कीमत बाजार रेट से ज्यादा थी. इसके अलावा इन सामानों का बिल भी पेश नहीं किया. वहीं, राज्य सरकार द्वारा कराए गए ऑडिट में भी कॉलेज में हुए इस गड़बड़झाले की बात साबित हुई है.

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वहीं, एमकेपी कॉलेज में हुए 45 लाख के घोटाले की पुष्टि सीएजी की रिपोर्ट में भी हुई है. जबकि इस घोटाले को लेकर 2016 -17 में देहरादून के थाने में एफआईआर भी दर्ज की गई. लेकिन मामले में अबतक कोई कार्रवाई नहीं हुई. इसके बाद जनवरी 2019 में शासन की स्थलीय निरीक्षण के दौरान भी 7 लाख 68 हजार का सामान कॉलेज से गायब मिला. जिस वजह से यूजीसी ने कॉलेज को दी जाने वाली पंचवर्षीय ग्रांट पर रोक लगा दी. जिससे कॉलेज की स्थिति बदहाल हो रही है. लिहाजा, याचिकाकर्ता का कहना है कि इस घोटाले की उच्चस्तरीय एसआईटी जांच कराई जाए.

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एमकेपी कॉलेज में 45 लाख के गबन मामले में नैनीताल हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से मांगा जवाब।

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देहरादून के एम के पी कॉलेज में हुए 45 लाख के घोटाले के मामले में नैनीताल हाई कोर्ट ने सख्त रुख अपनाते हुए राज्य सरकार को जवाब करने के आदेश दिए हैं, आज घोटाले के मामले में राज्य सरकार ने अपनी रिपोर्ट कोर्ट में पेश की जिसका याचिकाकर्ता ने विरोध किया और बताया कि सरकार ने बगैर जांच करे बगैर मौके पर गए ही घोटाले के मामले में फाइनल रिपोर्ट लगा दी गई है।
जिस पर कोर्ट ने नाराजगी व्यक्त करते हुए राज्य सरकार से घोटाले के मामले में फाइनल रिपोर्ट लगाने और अब तक की गई कार्रवाई पर जवाब पेश करने के आदेश दिए हैं।


Body:आपको बता दें कि एम के पी कॉलेज की पूर्व छात्रा सोनिया बिनवाल ने नैनीताल हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कॉलेज प्रबंधन पर 45 लाख रुपए के गबन और घोटाले का आरोप लगाते हुए याचिका दायर की थी छात्रा का कहना है कि यूजीसी की यह 45 लाख रुपए की ग्रांट एम के पी में छात्राओं की शिक्षा में सहूलियत के लिए जारी की गई थी लेकिन एम के पी कॉलेज के द्वारा किसी भी बुनियादी सुविधा की सुधार के लिए इन पैसों को खर्च नहीं किया गया, साथ ही यूजीसी द्वारा आए इन पैसों से कॉलेज के प्राचार्य ने व्यक्तिगत फायदे के लिए पैसे की बंदरबांट की।


Conclusion:और जो उपकरण छात्राओं के लिए मंगाए गए उनको बगैर टेंडर के ही मगा दिए गया और इन मंगाए गए सामान को बाजार भाव से ज्यादा में खरीद गया और बिल भी पेश नहीं किया गया।
वहीं राज्य सरकार द्वारा कराए गए ऑडिट मैं भी कॉलेज में हुए गड़बड़ झाले की बात साबित हुई,वहीं कॉलेज में हुए 45 लाख के घोटाले की पुष्टि सीएजी की रिपोर्ट में भी हुई है, जबकि इस घोटाले को लेकर 2016 - 17 में देहरादून के थाने में एफआइआर भी दर्ज की गई लेकिन मामले में कोई कार्यवाही नही की गई,
जिसके बाद 2019 जनवरी में शासन की स्थलीय निरीक्षण के दौरान भी 7 लाख 68 हजार का कॉलेज से सामान गायब मिला, जिस वजह से यूजीसी के द्वारा कॉलेज को दी जाने वाली पंचवर्षीय ग्रांट पर रोक लगा दी, जिससे कॉलेज की स्थिति बदहाल हो रही है, लिहाजा घोटाले के पूरे मामले की उच्चस्तरीय एसआईटी जांच कराई जाए।
आज मामले में सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन और न्यायाधीश आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने राज्य सरकार को जवाब पेश करने के आदेश दिए हैं।

बाईट- अभिजय नेगी,अधिवक्ता याचिकाकर्ता।
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