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स्वामी चिदानंद को नैनीताल हाईकोर्ट से लगा बड़ा झटका, प्रमुख सचिव को दिए आदेश

स्वामी चिदानंद के वन भूमि पर अवैध कब्जे को लेकर नैनीताल हाई कोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है. मामले में प्रमुख सचिव को अतिक्रमण पर कब्जा करने के आदेश दिए हैं. अगली सुनवाई 6 फरवरी को होगी.

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नैनीताल हाईकोर्ट
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Published : Dec 13, 2019, 7:22 PM IST

नैनीतालः स्वामी चिदानंद को नैनीताल हाईकोर्ट से बड़ा झटका लगा है. नैनीताल हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन और न्यायाधीश आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने ऋषिकेश की वन भूमि को लेकर अहम फैसला सुनाया. प्रमुख सचिव वन को 6 सप्ताह के भीतर 5.97 एकड़ भूमि में अतिक्रमण पर कब्जा लेकर रिपोर्ट जल्द से जल्द पेश करने के आदेश दिए हैं.

हरिद्वार निवासी अर्चना शुक्ला ने नैनीताल हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा था कि मुनि चिदानंद ने साल 2000 से 2019 तक ऋषिकेश के बीरपुर खुर्द और वीरभद्र क्षेत्र में गंगा किनारे करीब 8 हेक्टेयर रिजर्व वन क्षेत्र की भूमि पर अवैध कब्जा किया है.

स्वामी चिदानंद को नैनीताल हाईकोर्ट से लगा बड़ा झटका

पढ़ेंः पंचायत चुनाव में हुई अनियमिता पर हाई कोर्ट सख्त, राज्य सरकार से मांगा जवाब

साथ इस क्षेत्र में अवैध रूप से 52 कमरों का निर्माण भी कर दिया. इसमें गौशाला भी बनाई गई है. स्वामी चिदानंद इस क्षेत्र में गांव गंगा गोकुल के नाम पर आश्रम चला रहे हैं. जिस पर जिला प्रशासन, राजस्व विभाग और वन विभाग कोई कार्रवाई नहीं कर रहा है. याचिकाकर्ता का कहना है कि स्वामी चिदानंद के राजनीतिक पहुंच और डर की वजह से कोई भी व्यक्ति आवाज उठाने को तैयार नहीं है. जिस वजह से अतिक्रमण का काम धड़ल्ले से जारी है.

पढ़ेंः IMPCL के निजीकरण पर हाईकोर्ट का सख्त रुख, केंद्र सरकार को दिए ये निर्देश

याचिकाकर्ता का कहना है कि रिजर्व फॉरेस्ट में अतिक्रमण होने के बावजूद भी वन विभाग, राजस्व विभाग तथा पशुलोक विभाग अनदेखी कर रहे हैं. मामले में सुनवाई करते हुए नैनीताल हाईकोर्ट ने प्रमुख सचिव वन को वन भूमि पर अतिक्रमण पर अपना कब्जा लेने के आदेश दिए है. मामले में अगली सुनवाई 6 फरवरी सुनिश्चित की है.

नैनीतालः स्वामी चिदानंद को नैनीताल हाईकोर्ट से बड़ा झटका लगा है. नैनीताल हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन और न्यायाधीश आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने ऋषिकेश की वन भूमि को लेकर अहम फैसला सुनाया. प्रमुख सचिव वन को 6 सप्ताह के भीतर 5.97 एकड़ भूमि में अतिक्रमण पर कब्जा लेकर रिपोर्ट जल्द से जल्द पेश करने के आदेश दिए हैं.

हरिद्वार निवासी अर्चना शुक्ला ने नैनीताल हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा था कि मुनि चिदानंद ने साल 2000 से 2019 तक ऋषिकेश के बीरपुर खुर्द और वीरभद्र क्षेत्र में गंगा किनारे करीब 8 हेक्टेयर रिजर्व वन क्षेत्र की भूमि पर अवैध कब्जा किया है.

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साथ इस क्षेत्र में अवैध रूप से 52 कमरों का निर्माण भी कर दिया. इसमें गौशाला भी बनाई गई है. स्वामी चिदानंद इस क्षेत्र में गांव गंगा गोकुल के नाम पर आश्रम चला रहे हैं. जिस पर जिला प्रशासन, राजस्व विभाग और वन विभाग कोई कार्रवाई नहीं कर रहा है. याचिकाकर्ता का कहना है कि स्वामी चिदानंद के राजनीतिक पहुंच और डर की वजह से कोई भी व्यक्ति आवाज उठाने को तैयार नहीं है. जिस वजह से अतिक्रमण का काम धड़ल्ले से जारी है.

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याचिकाकर्ता का कहना है कि रिजर्व फॉरेस्ट में अतिक्रमण होने के बावजूद भी वन विभाग, राजस्व विभाग तथा पशुलोक विभाग अनदेखी कर रहे हैं. मामले में सुनवाई करते हुए नैनीताल हाईकोर्ट ने प्रमुख सचिव वन को वन भूमि पर अतिक्रमण पर अपना कब्जा लेने के आदेश दिए है. मामले में अगली सुनवाई 6 फरवरी सुनिश्चित की है.

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स्वामी चिदानंद को नैनीताल हाईकोर्ट से लगा बड़ा झटका,
वन भूमि पर प्रमुख सचिव वन को कब्जा लेने के लिए आदेश।

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स्वामी चिदानंद को नैनीताल हाईकोर्ट से बड़ा झटका लगा है नैनीताल हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन और न्यायाधीश आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने ऋषिकेश की वन भूमि में बनाए गए आश्रम के मामले पर सख्त रुख अपनाते हुए प्रमुख सचिव वन को आदेश दिया है कि 6 सप्ताह के भीतर स्वामी चिदानंद द्वारा 5.97 एकड़ भूमि में किए गए अतिक्रमण पर अपना कब्जा लेकर उसकी रिपोर्ट जल्द से जल्द कोर्ट में पेश करें।


Body:आपको बता दें कि हरिद्वार निवासी अर्चना शुक्ला ने नैनीताल हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा है कि मुनि चिदानंद ने सन 2000 से 2019 तक ऋषिकेश के बीरपुर खुर्द, वीरभद्र क्षेत्र में गंगा किनारे करीब 8 हेक्टेयर रिजर्व वन क्षेत्र की भूमि पर अवैध कब्जा करा है साथ इस क्षेत्र में अवैध रूप से 52 कमरों का निर्माण किया गया है और इसमें गौशाला भी बनाई गई है, और स्वामी चिदानंद इस क्षेत्र मे गांव गंगा गोकुल के नाम पर आश्रम चला रहे हैं जिस पर जिला प्रशासन, राजस्व विभाग और वन विभाग कोई कार्यवाही नहीं कर रहा है, साथ ही याचिकाकर्ता का कहना है कि स्वामी चिदानंद के राजनीतिक पहुच और डर की वजह से कोई भी व्यक्ति आवाज उठाने को तैयार नहीं है, जिस वजह से चिदानंद अन्य क्षेत्रों में भी अवैध रूप से अतिक्रमण कर रहा है।


Conclusion:याचिकाकर्ता का कहना है कि रिजर्व फॉरेस्ट में अतिक्रमण होने के बावजूद भी वन विभाग, राजस्व विभाग तथा पशुलोक विभाग बात की अनदेखी कर रहे हैं।
मामले में सुनवाई करते हुए नैनीताल हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन और न्यायाधीश आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने प्रमुख सचिव वन को स्वामी चिदानंद द्वारा किए गए वन भूमि पर अतिक्रमण पर अपना कब्जा लेने के आदेश दिए है,मामले की अगली सुनवाई 6 फरवरी को होगी।

बाईट- विवेक शुक्ला, अधिवक्ता याचिकाकर्ता।
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