नैनीतालः स्वामी चिदानंद को नैनीताल हाईकोर्ट से बड़ा झटका लगा है. नैनीताल हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन और न्यायाधीश आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने ऋषिकेश की वन भूमि को लेकर अहम फैसला सुनाया. प्रमुख सचिव वन को 6 सप्ताह के भीतर 5.97 एकड़ भूमि में अतिक्रमण पर कब्जा लेकर रिपोर्ट जल्द से जल्द पेश करने के आदेश दिए हैं.
हरिद्वार निवासी अर्चना शुक्ला ने नैनीताल हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा था कि मुनि चिदानंद ने साल 2000 से 2019 तक ऋषिकेश के बीरपुर खुर्द और वीरभद्र क्षेत्र में गंगा किनारे करीब 8 हेक्टेयर रिजर्व वन क्षेत्र की भूमि पर अवैध कब्जा किया है.
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साथ इस क्षेत्र में अवैध रूप से 52 कमरों का निर्माण भी कर दिया. इसमें गौशाला भी बनाई गई है. स्वामी चिदानंद इस क्षेत्र में गांव गंगा गोकुल के नाम पर आश्रम चला रहे हैं. जिस पर जिला प्रशासन, राजस्व विभाग और वन विभाग कोई कार्रवाई नहीं कर रहा है. याचिकाकर्ता का कहना है कि स्वामी चिदानंद के राजनीतिक पहुंच और डर की वजह से कोई भी व्यक्ति आवाज उठाने को तैयार नहीं है. जिस वजह से अतिक्रमण का काम धड़ल्ले से जारी है.
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याचिकाकर्ता का कहना है कि रिजर्व फॉरेस्ट में अतिक्रमण होने के बावजूद भी वन विभाग, राजस्व विभाग तथा पशुलोक विभाग अनदेखी कर रहे हैं. मामले में सुनवाई करते हुए नैनीताल हाईकोर्ट ने प्रमुख सचिव वन को वन भूमि पर अतिक्रमण पर अपना कब्जा लेने के आदेश दिए है. मामले में अगली सुनवाई 6 फरवरी सुनिश्चित की है.