नैनीताल: गंगोत्री ग्लेशियर में फैल रहे कूड़े और इससे बन रही झील के मामले में हाईकोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है. हाईकोर्ट ने सचिव आपदा प्रबंधन को अवमानना नोटिस जारी कर 3 सप्ताह के भीतर अपना विस्तृत जवाब कोर्ट में पेश करने के आदेश दिए हैं.
बता दें कि, दिल्ली निवासी अजय गौतम ने 2017 में जनहित याचिका दायर कर कहा था कि गंगोत्री ग्लेशियर में कूड़े कचरे की वजह से पानी ब्लॉक हो गया और कृत्रिम झील बन गई है. इससे आने वाले समय में केदारनाथ जैसी बड़ी आपदा आ सकती है. जिस पर पिछली सुनवाई के दौरान राज्य सरकार ने भी माना था कि क्षेत्र में झील बन रही है. लेकिन कुछ समय बाद सरकार द्वारा झील बनने की बात से इनकार कर दिया गया. कहा गया कि हेलीकॉप्टर के सर्वे के बाद देखा तो झील नहीं बनी है. जिसके बाद हाईकोर्ट ने इस जनहित याचिका को 2018 में निस्तारित करते हुए सरकार को मामले में 3 माह में इसकी मॉनिटरिंग करने और छह माह में रिपोर्ट कोर्ट में पेश करने के निर्देश दिए थे. लेकिन सरकार द्वारा कुछ नहीं किया गया. जिसके बाद अब याचिकाकर्ता द्वारा फिर कोर्ट में प्रार्थना पत्र दाखिल किया है.
मामले में कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश रवि मलिमठ एवं न्यायमूर्ति शरद कुमार शर्मा की खंडपीठ के समक्ष सुनवाई हुई. कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा है कि आपदा प्रबंधन सचिव पद अयोग्य हैं और सचिव आपदा प्रबंधन भी सरकारी नौकरी के लिए योग्य नहीं है. मामले में याचिकाकर्ता के द्वारा गंगोत्री ग्लेशियर के फोटोग्राफ आदि पेश किए गए जिसके बाद कोर्ट ने सरकार की लापरवाही पर नाराजगी भी व्यक्त की. साथ ही सचिव आपदा प्रबंधन के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई शुरू करते हुए 3 सप्ताह में जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए हैं.
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याचिकाकर्ता का कहना है कि सरकार ने केदारनाथ आपदा में लापता लोगों के मामले में भी लापरवाही की. यही वजह है कि केदारनाथ आपदा के सात साल बाद भी नर कंकाल मिले थे. अब सरकार गंगोत्री ग्लेशियर के मामले में भी लापरवाह रवैया अपना रही है.