नैनीताल: उत्तराखंड की नदियों में मशीनों से खनन के मामले में नैनीताल हाईकोर्ट ने सख्त रुख अपनाते हुए प्रदेश के अपर मुख्य सचिव खनन, उपनिदेशक खनन, प्रबंध निदेशक वन विकास निगम, कमिश्नर कुमाऊं, डीएम नैनीताल, उधम सिंह नगर समेत पौड़ी को नोटिस जारी किया है. कोर्ट ने 3 सप्ताह के भीतर विस्तृत जवाब पेश करने के आदेश भी दिए हैं. साथ ही कोर्ट ने केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय भारत सरकार, केंद्रीय उपनिर्देशक वन, उप निदेशक भारतीय भू-वैज्ञानिक सर्वेक्षण को भी नोटिस जारी किया है. कोर्ट ने पूछा है कि नदियों में अनियंत्रित खनन से पर्यावरण पर क्या प्रभाव पड़ रहा है?
बता दें कि, हल्द्वानी निवासी दिनेश चंदोला ने नैनीताल हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा है कि 13 मई को अपर मुख्य सचिव ओमप्रकाश द्वारा उत्तराखंड की नदियों में मशीन से खनन करने की अनुमति दी गई है. इस आदेश के बाद कोटद्वार की सुखरो, खोह, नैनीताल के बेतालघाट, उधम सिंह नगर और विकास नगर में मशीन से नदियों में अनियंत्रित खनन किया जा रहा है. जिससे नदियों का तल बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो चुका है. इससे पर्यावरण पर दुष्प्रभाव पड़ने का खतरा है. चुगान की जगह मशीनों द्वारा नदियों में गड्ढे कर अवैज्ञानिक तरीके से दोहन किया जा रहा है.
इसके साथ ही नदी पर अवैध पुल भी बना दिया गया है. याचिकाकर्ता ने कहा कि इसका विरोध करने वाले पर्यावरण प्रेमियों और पत्रकारों का खनन माफिया उत्पीड़न कर रहे हैं.
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वहीं, मामले में सुनवाई के दौरान राज्य सरकार द्वारा कोर्ट में बताया गया कि नदियों में खनन पट्टों पर मशीन द्वारा खनन की अनुमति दी गई है और ये सिलसिला 15 जून तक चलेगा. जबकि, याचिकाकर्ता का कहना है कि 13 मई 2020 को अपर मुख्य सचिव ओमप्रकाश द्वारा नियम विरुद्ध तरीके से नदियों में मशीन से खनन की अनुमति दी गई जो खनन नियमावली 2017 के विपरीत है. लिहाजा खनन पर रोक लगाकर संबंधित लोगों के खिलाफ कार्रवाई की जाए. मामले में कोर्ट ने तीन सप्ताह के भीतर जवाब पेश करने के आदेश दिए हैं.