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सार्वजनिक स्थान पर थूकने के मामले में सरकार से नाराज हाई कोर्ट, दो दिन की दी मोहलत - spitting in public place

उत्तराखंड में सार्वजनिक स्थानों पर कूड़ा फेंकने और थूकने के मामले पर नैनीताल हाईकोर्ट ने सख्त रुख अपनाते हुए राज्य सरकार को 2 दिन के अंदर अपना विस्तृत जवाब कोर्ट में पेश करने के आदेश दिए हैं.

हाई कोर्ट
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Published : May 26, 2020, 10:59 PM IST

नैनीताल: सार्वजनिक स्थान पर कूड़ा फेंकने व थूकने के मामले पर हाई कोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है. अदालत ने मामले में स्वास्थ्य सचिव उत्तराखंड और शहरी विकास सचिव को 2 दिन में जवाब पेश करने के आदेश दिए हैं. जवाब पेश न करने पर अवमानना की कार्रवाई होगी.

आज इन सभी को हाईकोर्ट में अपना जवाब पेश करना था. लेकिन किसी भी पक्ष द्वारा कोर्ट में जवाब पेश नहीं किया गया. जिस पर कोर्ट ने नाराजगी व्यक्त करते हुए 2 दिन के भीतर सभी को अपना जवाब पेश करने के आदेश दिए हैं. साथ ही कोर्ट ने कहा कि अगर 2 दिन के भीतर सरकार के इन पक्षों के द्वारा जवाब पेश नहीं किया जाएगा तो इन लोगों के खिलाफ कोर्ट अवमानना की कार्रवाई करेगा.

बता दें कि नैनीताल हाईकोर्ट के अधिवक्ता अभिजय नेगी ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा है कि राज्य सरकार के द्वारा सार्वजनिक स्थानों पर कूड़ा फेंकने और थूकने पर रोक लगाने के लिए एंटी लैटरिंग एंड एंटी स्पिटिंग एक्ट 2016 बनाया था.

सभी 13 जिलों के सभी निकायों को इस एक्ट का पालन करने के निर्देश दिए गए थे. लेकिन आज तक इस एक्ट का उत्तराखंड में पालन नहीं किया जा रहा है और लोग जगह-जगह खुले में कूड़ा फेंक रहे हैं. साथ ही सार्वजनिक स्थान पर थूकते हैं. जिससे प्रदेश में गंभीर बीमारियां फैल रही हैं.

पढ़े: कोरोना को मात देती 'कड़क' चाय, ऐसे ही नहीं बढ़ी बाजारों में इसकी डिमांड

सरकार द्वारा इस एक्ट का पालन न करने वालों के लिए 5 हजार रुपए जुर्माना और जेल की सजा का प्रावधान किया गया था. लेकिन आज तक इस एक्ट का प्रदेश में पालन नहीं किया गया है और न ही किसी व्यक्ति पर चालान या अन्य प्रकार की कार्रवाई की गई है.

याचिकाकर्ता का कहना है कि इस समय देश कोरोना संकट से गुजर रहा है और लोग जगह-जगह थूक रहे हैं. साथ ही कूड़ा करकट फेंक रहे हैं. लिहाजा राज्य सरकार को कोर्ट द्वारा इसे रोकने के लिए दिशा-निर्देश जारी किए जाएं.

नैनीताल: सार्वजनिक स्थान पर कूड़ा फेंकने व थूकने के मामले पर हाई कोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है. अदालत ने मामले में स्वास्थ्य सचिव उत्तराखंड और शहरी विकास सचिव को 2 दिन में जवाब पेश करने के आदेश दिए हैं. जवाब पेश न करने पर अवमानना की कार्रवाई होगी.

आज इन सभी को हाईकोर्ट में अपना जवाब पेश करना था. लेकिन किसी भी पक्ष द्वारा कोर्ट में जवाब पेश नहीं किया गया. जिस पर कोर्ट ने नाराजगी व्यक्त करते हुए 2 दिन के भीतर सभी को अपना जवाब पेश करने के आदेश दिए हैं. साथ ही कोर्ट ने कहा कि अगर 2 दिन के भीतर सरकार के इन पक्षों के द्वारा जवाब पेश नहीं किया जाएगा तो इन लोगों के खिलाफ कोर्ट अवमानना की कार्रवाई करेगा.

बता दें कि नैनीताल हाईकोर्ट के अधिवक्ता अभिजय नेगी ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा है कि राज्य सरकार के द्वारा सार्वजनिक स्थानों पर कूड़ा फेंकने और थूकने पर रोक लगाने के लिए एंटी लैटरिंग एंड एंटी स्पिटिंग एक्ट 2016 बनाया था.

सभी 13 जिलों के सभी निकायों को इस एक्ट का पालन करने के निर्देश दिए गए थे. लेकिन आज तक इस एक्ट का उत्तराखंड में पालन नहीं किया जा रहा है और लोग जगह-जगह खुले में कूड़ा फेंक रहे हैं. साथ ही सार्वजनिक स्थान पर थूकते हैं. जिससे प्रदेश में गंभीर बीमारियां फैल रही हैं.

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सरकार द्वारा इस एक्ट का पालन न करने वालों के लिए 5 हजार रुपए जुर्माना और जेल की सजा का प्रावधान किया गया था. लेकिन आज तक इस एक्ट का प्रदेश में पालन नहीं किया गया है और न ही किसी व्यक्ति पर चालान या अन्य प्रकार की कार्रवाई की गई है.

याचिकाकर्ता का कहना है कि इस समय देश कोरोना संकट से गुजर रहा है और लोग जगह-जगह थूक रहे हैं. साथ ही कूड़ा करकट फेंक रहे हैं. लिहाजा राज्य सरकार को कोर्ट द्वारा इसे रोकने के लिए दिशा-निर्देश जारी किए जाएं.

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