नैनीताल: सूबे के पुलिस महकमे में रिक्त चल रहे पदों और पुलिस कर्मियों को दी जा रही सुविधाओं के मामले में नैनीताल हाईकोर्ट ने अहम निर्देश दिए हैं. इस मामले में कोर्ट ने राज्य सरकार, मुख्य सचिव, प्रमुख गृह सचिव और डीजीपी को 4 सप्ताह में जवाब पेश करने का आदेश सुनाया है. साथ ही कोर्ट ने सरकार को पुलिस अधिकारियों और कर्मचारियों की आकस्मिक मौत होने पर उनके परिजनों को तत्काल मदद करने के लिए फंड की व्यवस्था करने के भी निर्देश दिए है.
बता दें कि नैनीताल हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन और न्यायाधीश नारायण सिंह धनिक की खंडपीठ ने इस मामले को स्वत: संज्ञान लेते हुए इस मामले को जनहित याचिका के रूप में स्वीकार किया है.
जबकि, सुप्रीम कोर्ट के एडिशनल रजिस्टार मनीष कुमार वर्सेस यूनियन ऑफ इंडिया द्वारा उच्च न्यायालय कोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल को पत्र लिखकर मुख्य न्यायाधीश के समक्ष संविधान के 14 और 21 अनुच्छेद के तहत पुलिस वालों के मौलिक अधिकारों के मामले को रखने को कहा था.
पूर्व में इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि सरकार पुलिस आयोग बनाए. साथ ही पुलिस कर्मियों की समस्या और पुलिस वालों के कल्याण पर ध्यान दे. साथ ही पुलिस कल्याण कोष भी बनाएं ताकि पुलिसकर्मियों की स्थिति बेहतर की जा सके. इसके अलावा कोर्ट ने सरकार को पुलिस कर्मियों की ड्यूटी का समय भी तय करने को कहा था. साथ ही कोर्ट ने दंगा या विपरीत परिस्थितियों में केंद्र सरकार को भीड़ को नियंत्रित करने के दौरान पुलिस कार्यवाही की मीडिया रिपोर्टिंग के लिए प्रभावी निर्देश भी जारी करने के आदेश दिए था.
सुप्रीम कोर्ट के इस दिशा-निर्देश से पहले भी नैनीताल हाईकोर्ट की एकल पीठ में पुलिस महकमे को कुछ निर्देश दिए थे. जिसमें पुलिस कर्मियों की ड्यूटी का समय निर्धारित करने और उनके रहन-सहन के अलावा प्रदेश के सभी पुलिस स्टेशनों में सीसीटीवी कैमरे लगाने के निर्देश दिए थे. ऐसे में अब सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद प्रदेश के पुलिस कर्मचारियों और अधिकारियों को बड़ी राहत मिलेगी.