नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने हरिद्वार गंगा नदी में खनन के खिलाफ दायर मातृ सदन की जनहित याचिका पर सुनवाई की. मामले को सुनने के बाद कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश संजय कुमार मिश्रा व न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की खंडपीठ ने रायवाला से भोगपुर के बीच हो रहे खनन पर रोक लगा दी है.
हाईकोर्ट ने एनएमसीजी (नेशनल मिशन फॉर क्लीन गंगा) को भी पक्षकार बनाकर राज्य सरकार से जवाब पेश करने को कहा है. आज सुनवाई के दौरान जिला अधिकारी हरिद्वार की तरफ से शपथ पत्र पेश किया गया. इसमें कहा गया कि गंगा नदी में खनन कार्य हो रहा है, परंतु सरकार ने इसे रोकने के लिए कोई दिशा-निर्देश जारी नहीं किया.
मामले के अनुसार हरिद्वार मातृ सदन ने जनहित याचिका दायर कर कहा है कि हरिद्वार गंगा नदी में नियमों को ताक पर रखकर धड़ल्ले से खनन किया जा रहा है. इससे गंगा नदी के अस्तित्व को खतरा पैदा हो गया है. गंगा नदी में खनन करने वाले 'नेशनल मिशन क्लीन गंगा' को पलीता लगा रहे हैं. जनहित याचिका में कोर्ट से अपील की है कि गंगा नदी में हो रहे अवैध खनन पर रोक लगाई जाए, ताकि गंगा नदी के अस्तित्व को बचाया जा सके. अब खनन कुंभ क्षेत्र में भी किया जा रहा है.
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याचिकाकर्ता का यह भी कहना है कि केंद्र सरकार ने गंगा नदी को बचाने के लिए एनएमसीजी बोर्ड गठित किया है. जिसका मुख्य उद्देश्य गंगा को साफ करना व उसके अस्तित्व को बचाए रखना है. एनएमसीजी द्वारा राज्य सरकार को बार-बार आदेश दिए गए कि यहां खनन कार्य नहीं किया जाए, उसके बाद भी सरकार द्वारा खनन कार्य करवाया जा रहा है. यूएन ने भी भारत सरकार को निर्देश दिए थे कि गंगा को बचाने के लिए क्या-क्या कदम उठाए जा रहे हैं. उसके बाद भी सरकार द्वारा गंगा के अस्तित्व को समाप्त किया जा रहा है.
क्या है नमामि गंगे योजना: स्वच्छ गंगा परियोजना का आधिकारिक नाम एकीकृत गंगा संरक्षण मिशन परियोजना या ‘नमामि गंगे’ है. यह मूल रूप से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ड्रीम मिशन है. प्रधानमंत्री बनने से पहले ही नरेंद्र मोदी ने गंगा की सफाई को बहुत समर्थन दिया था. उन्होंने वादा किया था कि वह यदि सत्ता में आए तो वो जल्द से जल्द यह परियोजना शुरू करेंगें.
पीएम बनते ही नमामि गंगे योजना शुरू की: अपने वादे के अनुसार नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री बनते ही कुछ महीनों में यह परियोजना शुरू कर दी थी. इस परियोजना की चर्चा भारत से करीब 14 हजार किलोमीटर दूर अमेरिका में भी हुई थी. इसका सुबूत पीएम मोदी की अमेरिका यात्रा के दौरान देखने को मिला था. क्लिंटन परिवार ने यह परियोजना शुरू करने पर पीएम मोदी को बधाई दी थी.
स्वच्छ गंगा परियोजना क्यों शुरू की गई? : जब केंद्रीय बजट 2014-15 में 2,037 करोड़ रुपयों की आरंभिक राशि के साथ नमामि गंगे नाम की एकीकृत गंगा संरक्षण मिशन परियोजना शुरू की गई तब तत्कालीन केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा था कि अब तक इस नदी की सफाई और संरक्षण पर बहुत बड़ी राशि खर्च की गई है लेकिन गंगा नदी की हालत में कोई अंतर नहीं आया. इस परियोजना को शुरू करने का यह आधिकारिक कारण है. इसके अलावा कई सालों से अनुपचारित सीवेज और औद्योगिक अपशिष्ट को भारी मात्रा में नदी में छोड़े जाने के कारण नदी की खराब हालत को भी ध्यान में रखने की आवश्यकता है.
2,500 किमी में है परियोजना का कार्य: नमामि गंगे परियोजना का सबसे बड़ा मुद्दा नदी की लंबाई है. यह 2,500 किलोमीटर की दूरी कवर करने के साथ ही 29 बड़े शहर, 48 कस्बे और 23 छोटे शहर कवर करती है. इससे अलावा नदी का भारी प्रदूषण स्तर और औद्योगिक इकाइयों का अपशिष्ट और कचरा और आम जनता के द्वारा डाला गया कचरा भी एक मुद्दा है.