हल्द्वानी: देश की रक्षा के लिए उत्तराखंड के रणबांकुरों ने समय-समय पर अपना विशिष्ट योगदान दिया है. अदम्य साहस का परिचय देते हुए उत्तराखंड के कई लाल भारत माता के लिए अपनी जान न्योछावर कर चुके हैं. उन्हीं जांबाजों में शामिल हैं हल्द्वानी के रहने वाले कैलाश चंद भट्ट. इन्होंने कारगिल युद्ध के दौरान अपनी अदम्य साहस का परिचय देते हुए 4 गोली लगने के बाद भी हिम्मत नहीं हारी और आतंकियों से लोहा लेते रहे.
कारगिल युद्ध के दौरान ऑपरेशन विजय में 15 कुमाऊं रेजीमेंट के लांस नायक कैलाश चंद्र भट्ट उस समय मच्छल सेक्टर पर तैनात थे. 6 जून 1999 को आतंकियों को खदेड़ने के दौरान कैलाश चंद्र भट्ट को एके-47 की 4 गोली दाहिने कंधे में लगी थी. घायल होने के बाद भी लांस नायक ने अपने अदम्य साहस का परिचय देते हुए आधा दर्जन से अधिक आतंकियों को मार गिराया.
कारगिल लड़ाई के दिनों को याद करते हुए कैलाश चंद्र भट्ट बताते हैं कि उनकी बटालियन पहाड़ से नीचे थी और दुश्मन पहाड़ी के ऊपर थे. तभी दुश्मनों ने उनकी बटालियन पर हमला बोल दिया. इस दौरान उन्होंने मोर्चा संभाला और जवाबी कार्रवाई करते हुए आतंकियों पर गोलियां बरसानी शुरू कर दीं. तभी एके-47 की चार गोलियां उनके कंधे में लगी, जिसमें 1 गोली कंधे से बाहर निकल गई और तीन गोली फंसी रही.
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भट्ट ने आगे बताया कि उनके हाथ ने काम करना बंद कर दिया था. इस दौरान उन्होंने और उनके साथियों ने आतंकियों से जमकर लोहा लेते हुए करीब आधा दर्जन से ज्यादा आतंकियों को मार गिराया, जिसके बाद उनके साथियों ने उन्हें एयरलिफ्ट किया और इलाज के लिए अस्पताल भेजा. कैलाश चंद्र भट्ट कहते हैं कि पाकिस्तान अपनी इस कायराना हरकत से बाज नहीं आएगा. ऐसे में पाकिस्तान को सबक सिखाने की जरूरत है. कैलाश चंद्र कहते हैं कि अगर उनको मौका मिले तो वो आज भी पाकिस्तान को धूल चटा सकते हैं.
बता दें, ऑपरेशन विजय के तहत नैनीताल जनपद में पांच जवानों ने अपनी शहादत दी है, जबकि 4 जवान घायल हुए थे. ऑपरेशन विजय में अहम योगदान देने वाले कैलाश चंद्र भट्ट सैनिक कल्याण एवं पुनर्वास कार्यालय में अपनी सेवा दे रहे हैं.