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उत्तराखंड सचिवालय में भवनों की मारामारी, अफसरों को वैकल्पिक कार्यालय मिलना भी मुश्किल, पढ़ें पूरी खबर - SECRETARIAT BUILDING IN UTTARAKHAND

उत्तराखंड सचिवालय में भवनों की कमी परेशानी का सबब बनी हुई है. जिससे अधिकारियों को काम करने में परेशानियों से दो-चार होना पड़ता है.

Uttarakhand Secretariat
उत्तराखंड सचिवालय (Photo-ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Feb 13, 2025, 9:38 AM IST

देहरादून: उत्तराखंड सचिवालय में अफसरों के लिए कार्यालय की उपलब्धता आसान नहीं है. यहां मौजूद दफ्तर इस कदर खचाखच भरे हैं, कि नई तैनाती पाने वाले अफसरों को भी दफ्तर के लिए खासी मशक्कत करनी पड़ती है. स्थिति यह है कि हाल ही में एक आईएएस अफसर को कार्यालय रिनोवेशन के दौरान दूसरे आईएएस अधिकारी से कार्यालय शेयर करना पड़ रहा है. हालांकि परेशानी कर्मचारी स्तर पर भी है जहां अनुभागों को भी उचित स्थान नहीं मिल पा रहा है.

कार्यालय के लिए करनी पड़ रही खासी मशक्कत: उत्तराखंड सचिवालय में तमाम विभागों के अनुभागों से लेकर अफसरों तक के कार्यालय मौजूद है. यूं तो बहु मंजिला इमारत में अधिकारियों और कर्मचारियों को कार्यालय आवंटित किए गए हैं. लेकिन भवनों की सीमित संख्या के चलते यहां अकसर अफसरों और कर्मियों को भी कार्यालय के लिए खासी मशक्कत करनी पड़ती है.

उत्तराखंड सचिवालय में ऑफिसों की कमी (Video-ETV Bharat)

दफ्तर से ही काम चला रहे अधिकारी: इन दिनों सचिवालय में आईएएस अधिकारी वी षणमुगम के कार्यालय में मरम्मत का काम चल रहा है. स्थिति यह है कि पिछले कई दिनों से मरम्मत का काम जारी है और इस दौरान सचिव वित्त वी षणमुगम अपने कार्यालय के करीब सचिव समाज कल्याण नीरज खैरवाल के दफ्तर से ही काम चला रहे हैं. अपनी विभिन्न बैठकों को सचिव वित्त षणमुगम साथ सचिव के दफ्तर में ही कर रहे हैं.

वैकल्पिक कार्यालय की उपलब्धता नहीं: सचिवालय में दफ्तरों की कमी और आईएएस अधिकारी को कार्यालय के रैनोवेशन के दौरान वैकल्पिक कार्यालय की उपलब्धता न होने पर सचिवालय प्रशासन सचिव दीपेंद्र चौधरी ने कहा कि आईएएस अधिकारी को अपने साथी अफसर के दफ्तर का उपयोग करना पड़ रहा है इसकी उन्हें जानकारी नहीं है. जहां तक सवाल सचिवालय में कार्यालय की कमी का है तो वह इस बात को मानते हैं कि सचिवालय में अफसरों के लिए कार्यालय पर्याप्त संख्या में उपलब्ध नहीं है.

मुख्यमंत्री के सामने रख चुके बात: इस मामले में सचिवालय संघ के महासचिव राकेश जोशी ने कहा कि सचिवालय संघ पिछले लंबे समय से सचिवालय में कार्यालयों की कमी की बात कहता रहा है और यह बात मुख्य सचिव से लेकर मुख्यमंत्री तक के सामने भी रखी जा चुकी है. हालांकि इसके लिए सरकार के स्तर पर प्रयास भी हुए हैं और एक अलग भवन निर्माण की प्रक्रिया को भी आगे बढ़ाया गया है. हालांकि मौजूदा स्थिति में देखें तो भवनों की कमी की बात बिल्कुल सही है.

फाइलों को रखने के लिए जगह नहीं: उत्तराखंड सचिवालय में कुछ ऐसे अनुभाग भी हैं जो यह बात कह चुके हैं कि उनके यहां फाइलों को रखने की भी पर्याप्त जगह नहीं है और इसके लिए उन्हें एक अलग कार्यालय की आवश्यकता है. इतना ही नहीं संबंधित विभाग के सचिव भी इसकी पैरवी करती रही है, लेकिन इसके बावजूद भी सचिवालय प्रशासन के स्तर पर इस मामले में कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो पाई है. जाहिर है कि सचिवालय कैंपस में पर्याप्त संख्या में कार्यालय ही नहीं है. ऐसे में इस समस्या का मौजूदा स्थिति में समाधान होना काफी मुश्किल है.

दूर नहीं हो पा रही कार्यालयों की कमी: फील्ड के अधिकारियों को सचिवालय में पोस्टिंग के दौरान लंबे समय तक बिना कार्यालय ही रहना पड़ता है और काफी मशक्कत के बाद इन्हें कई दिनों में कार्यालय आवंटित हो पाते हैं. सचिवालय प्रशासन उत्तराखंड के तमाम विभागों का आदर्श है, इसके बावजूद सचिवालय में लंबे समय से चली आ रही कार्यालयों की परेशानी दूर नहीं हो पा रही है. उधर सचिवालय से सटी प्रॉपर्टी पर सरकार कुछ निर्माण की तैयारी कर रही है, ताकि आम लोगों को कुछ सहूलियत मिल सके.

पढ़ें-नए विधानसभा भवन प्रोजेक्ट को लेकर फिर प्रयास शुरू, केंद्र ने सवाल खड़े कर रद्द की थी सैद्धांतिक सहमति

देहरादून: उत्तराखंड सचिवालय में अफसरों के लिए कार्यालय की उपलब्धता आसान नहीं है. यहां मौजूद दफ्तर इस कदर खचाखच भरे हैं, कि नई तैनाती पाने वाले अफसरों को भी दफ्तर के लिए खासी मशक्कत करनी पड़ती है. स्थिति यह है कि हाल ही में एक आईएएस अफसर को कार्यालय रिनोवेशन के दौरान दूसरे आईएएस अधिकारी से कार्यालय शेयर करना पड़ रहा है. हालांकि परेशानी कर्मचारी स्तर पर भी है जहां अनुभागों को भी उचित स्थान नहीं मिल पा रहा है.

कार्यालय के लिए करनी पड़ रही खासी मशक्कत: उत्तराखंड सचिवालय में तमाम विभागों के अनुभागों से लेकर अफसरों तक के कार्यालय मौजूद है. यूं तो बहु मंजिला इमारत में अधिकारियों और कर्मचारियों को कार्यालय आवंटित किए गए हैं. लेकिन भवनों की सीमित संख्या के चलते यहां अकसर अफसरों और कर्मियों को भी कार्यालय के लिए खासी मशक्कत करनी पड़ती है.

उत्तराखंड सचिवालय में ऑफिसों की कमी (Video-ETV Bharat)

दफ्तर से ही काम चला रहे अधिकारी: इन दिनों सचिवालय में आईएएस अधिकारी वी षणमुगम के कार्यालय में मरम्मत का काम चल रहा है. स्थिति यह है कि पिछले कई दिनों से मरम्मत का काम जारी है और इस दौरान सचिव वित्त वी षणमुगम अपने कार्यालय के करीब सचिव समाज कल्याण नीरज खैरवाल के दफ्तर से ही काम चला रहे हैं. अपनी विभिन्न बैठकों को सचिव वित्त षणमुगम साथ सचिव के दफ्तर में ही कर रहे हैं.

वैकल्पिक कार्यालय की उपलब्धता नहीं: सचिवालय में दफ्तरों की कमी और आईएएस अधिकारी को कार्यालय के रैनोवेशन के दौरान वैकल्पिक कार्यालय की उपलब्धता न होने पर सचिवालय प्रशासन सचिव दीपेंद्र चौधरी ने कहा कि आईएएस अधिकारी को अपने साथी अफसर के दफ्तर का उपयोग करना पड़ रहा है इसकी उन्हें जानकारी नहीं है. जहां तक सवाल सचिवालय में कार्यालय की कमी का है तो वह इस बात को मानते हैं कि सचिवालय में अफसरों के लिए कार्यालय पर्याप्त संख्या में उपलब्ध नहीं है.

मुख्यमंत्री के सामने रख चुके बात: इस मामले में सचिवालय संघ के महासचिव राकेश जोशी ने कहा कि सचिवालय संघ पिछले लंबे समय से सचिवालय में कार्यालयों की कमी की बात कहता रहा है और यह बात मुख्य सचिव से लेकर मुख्यमंत्री तक के सामने भी रखी जा चुकी है. हालांकि इसके लिए सरकार के स्तर पर प्रयास भी हुए हैं और एक अलग भवन निर्माण की प्रक्रिया को भी आगे बढ़ाया गया है. हालांकि मौजूदा स्थिति में देखें तो भवनों की कमी की बात बिल्कुल सही है.

फाइलों को रखने के लिए जगह नहीं: उत्तराखंड सचिवालय में कुछ ऐसे अनुभाग भी हैं जो यह बात कह चुके हैं कि उनके यहां फाइलों को रखने की भी पर्याप्त जगह नहीं है और इसके लिए उन्हें एक अलग कार्यालय की आवश्यकता है. इतना ही नहीं संबंधित विभाग के सचिव भी इसकी पैरवी करती रही है, लेकिन इसके बावजूद भी सचिवालय प्रशासन के स्तर पर इस मामले में कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो पाई है. जाहिर है कि सचिवालय कैंपस में पर्याप्त संख्या में कार्यालय ही नहीं है. ऐसे में इस समस्या का मौजूदा स्थिति में समाधान होना काफी मुश्किल है.

दूर नहीं हो पा रही कार्यालयों की कमी: फील्ड के अधिकारियों को सचिवालय में पोस्टिंग के दौरान लंबे समय तक बिना कार्यालय ही रहना पड़ता है और काफी मशक्कत के बाद इन्हें कई दिनों में कार्यालय आवंटित हो पाते हैं. सचिवालय प्रशासन उत्तराखंड के तमाम विभागों का आदर्श है, इसके बावजूद सचिवालय में लंबे समय से चली आ रही कार्यालयों की परेशानी दूर नहीं हो पा रही है. उधर सचिवालय से सटी प्रॉपर्टी पर सरकार कुछ निर्माण की तैयारी कर रही है, ताकि आम लोगों को कुछ सहूलियत मिल सके.

पढ़ें-नए विधानसभा भवन प्रोजेक्ट को लेकर फिर प्रयास शुरू, केंद्र ने सवाल खड़े कर रद्द की थी सैद्धांतिक सहमति

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