नैनीतालः उत्तराखंड हाईकोर्ट ने हल्द्वानी शहर सहित प्रदेश के अन्य राष्ट्रीय और राज्य राजमार्गों पर पशुओं को छोड़े जाने के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की. मामले की सुनवाई कल भी जारी रहेगी. सोमवार को हुई सुनवाई में मुख्य नगर आयुक्त हल्द्वानी फिर कोर्ट में पेश हुए. उन्होंने कोर्ट को अवगत कराया कि नगर निगम हर दिन 5 से 6 आवारा पशुओं को पकड़ रहा है. परंतु अब नगर निगम के पास इनको रखने के लिए जगह नहीं है. उन्होंने कोर्ट को बताया कि 2019 में आवारा जानवरों की गणना हुई थी. उसके बाद नहीं हुई. 2019 में इनकी संख्या 600 से अधिक थी. वर्तमान समय में इनकी संख्या बढ़ गयी है. लेकिन इनको रखने की व्यवस्था नहीं है. निजी गौशाला में भी अब जगह नहीं बची.
मामले के अनुसार, हल्द्वानी निवासी अधिवक्ता डॉ. चंद्रशेखर जोशी ने उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर कर कहा है कि हल्द्वानी शहर सहित राज्य की व्यस्ततम सड़कों में आवारा मवेशियों के कारण कई दुर्घटनाएं हो रही हैं. इनके आपस में लड़ने से एक युवक की सड़क दुर्घटना में मौत तक हो गई है. यही नहीं, इन पशुओं के कारण स्कूली बच्चों को स्कूल जाने में देरी हो रही है.
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कई बार इनके आपसी झगड़े की वजह से व्यस्ततम सड़कों पर कई घंटों का जाम तक लग जाता है. जबकि पशुओं को सड़कों पर छोड़े जाने के मामले में उच्च न्यायालय समेत सर्वोच्च न्यायालय संबंधित निकायों को कई बार दिशा-निर्देश जारी कर चुके हैं. परंतु अभी तक संबंधित निकायों के द्वारा उन निर्देशों का अनुपालन नहीं किया गया है. जिस वजह से कई लोगों को अपनी जान तक गंवानी पड़ी है.
जनहित याचिका में कोर्ट से प्रार्थना की गई है कि राज्य की सड़कों से आवारा पशुओं को हटाया जाए. जनहित याचिका में यह भी शिकायत की गई है कि संबंधित विभाग शिकायत करने पर उनके क्षेत्र से आवारा पशुओं को उठाकर सेल्टर में डालने के बजाय दूसरे क्षेत्र में छोड़ रहे हैं.