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हरिद्वार स्लॉटर हॉउस पाबंदी मामले पर HC ने याचिकाकर्ता से मांगा जवाब, देना होगा प्रति शपथपत्र - Haridwar slaughter house case

हाईकोर्ट ने हरिद्वार में बंद स्लॉटर हॉउस मामले पर सुनवाई करते हुए याचिकाकर्ता से प्रति शपथपत्र मांगा है. बता दें कि सरकार ने मार्च 2021 में शासनादेश जारी कर हरिद्वार जिले में स्लाटर हाउस पूर्ण रूप से बंद कर दिए थे, जिसके खिलाफ मंगलौर निवासी इफ्तिकार एवं अन्य ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की है.

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हरिद्वार स्लॉटर हॉउस मामले की हाईकोर्ट में सुनवाई
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Published : Jul 23, 2021, 9:12 PM IST

Updated : Jul 24, 2021, 6:23 PM IST

नैनीताल: हरिद्वार जिले में स्लॉटर हाउस खोलने के मामले में आज हाईकोर्ट में सुनवाई हुई, जिसमें हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता को 3 सप्ताह के भीतर प्रति शपथपत्र पेश करने के आदेश दिए हैं. बता दें हरिद्वार के मंगलौर के निवासी इफ्तिकार एवं अन्य के द्वारा हाईकोर्ट में इस मामले में एक जनहित याचिका दायर की गई है, जिसमें कहा गया कि राज्य सरकार द्वारा मार्च 2021 में शासनादेश जारी कर हरिद्वार जिले के अंतर्गत सभी स्लॉटर हाउस को पूर्ण रूप से बंद कर दिया गया है, जो गलत है.

हाईकोर्ट पहुंचे याचिकाकर्ताओं का कहना है कि पूर्व में हाईकोर्ट द्वारा केवल धार्मिक स्थलों पर बलि प्रथा पर रोक लगाने के आदेश दिए थे, मगर राज्य सरकार ने हरिद्वार जिले में स्लॉटर हाउस बंद कर दिए, जो गलत है. याचिकाकर्ता का कहना था कि सरकार द्वारा स्लॉटर हाउस बंद करने का फैसला अल्पसंख्यकों के साथ भेदभाव करने वाला है. लिहाजा बकरीद को देखते हुए राज्य सरकार के इस फैसले पर रोक लगाते हुए स्लॉटर हाउस को खोला जाए. हालांकि, तब कोर्ट ने संवैधानिक मामला और त्योहार को देखते हुए सुनवाई में जल्दबाजी से इंकार कर दिया था और सुनवाई के लिए अगली तारीख (23 जुलाई) तय की गई थी.

पढ़ें- परिवहन निगम को 18 साल में 520 करोड़ का घाटा, जानें वजह

क्या है मामला: सरकार ने मार्च 2021 में शासनादेश जारी कर हरिद्वार जिले में स्लॉटर हाउस पूर्ण रूप से बंद कर दिए थे. जबकि पहले धार्मिक स्थलों तक ही यह आदेश लागू था. जिसके खिलाफ मंगलौर निवासी इफ्तिकार एवं अन्य ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की.

याचिका में कहा कि सरकार धार्मिक क्षेत्रों में मांस की बिक्री प्रतिबंधित कर सकती है, लेकिन इसे पूरे जिले में प्रभावी नहीं कर सकती. याचिका के जरिए कहा गया था कि सरकार का यह आदेश अल्पसंख्यकों के साथ भेदभाव करने वाला है. याचिकाकर्ता ने 21 जुलाई को बकरीद के मद्देनजर सरकार के इस आदेश पर रोक लगाने की मांग की थी. इससे पहले हुई सुनवाई में हाईकोर्ट ने कहा था मामला गंभीर है, लेकिन इसमें 21 जुलाई की बकरीद तक फैसला नहीं लिया जा सकता है.

मांस पर पाबंदी असंवैधानिक: याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में दावा किया है कि यह पाबंदी 'मनमाना और असंवैधानिक है'. मांस पर किसी तरह की पूर्ण पांबदी असंवैधानिक है, जबकि उत्तर प्रदेश नगर निगम अधिनियम में उत्तराखंड सरकार की ओर से जोड़ी गई धारा-237ए, उसे नगर निगम, परिषद या नगर पंचायत को बूचड़खाना मुक्त घोषित करने का अधिकार प्रदान करती है.

इससे पहले हुई सुनवाई में हाई कोर्ट ने हरिद्वार में स्लॉटर हाउस पर रोक लगाने के फैसले की संवैधानिकता पर सवाल उठाए थे. मंगलौर निवासी याचिककार्ता इफ्तिकार व अन्य की याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा था कि सवाल यह है कि क्या नागरिकों को अपना भोजन चुनने का अधिकार है या राज्य इसका फैसला करेगा?

नैनीताल: हरिद्वार जिले में स्लॉटर हाउस खोलने के मामले में आज हाईकोर्ट में सुनवाई हुई, जिसमें हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता को 3 सप्ताह के भीतर प्रति शपथपत्र पेश करने के आदेश दिए हैं. बता दें हरिद्वार के मंगलौर के निवासी इफ्तिकार एवं अन्य के द्वारा हाईकोर्ट में इस मामले में एक जनहित याचिका दायर की गई है, जिसमें कहा गया कि राज्य सरकार द्वारा मार्च 2021 में शासनादेश जारी कर हरिद्वार जिले के अंतर्गत सभी स्लॉटर हाउस को पूर्ण रूप से बंद कर दिया गया है, जो गलत है.

हाईकोर्ट पहुंचे याचिकाकर्ताओं का कहना है कि पूर्व में हाईकोर्ट द्वारा केवल धार्मिक स्थलों पर बलि प्रथा पर रोक लगाने के आदेश दिए थे, मगर राज्य सरकार ने हरिद्वार जिले में स्लॉटर हाउस बंद कर दिए, जो गलत है. याचिकाकर्ता का कहना था कि सरकार द्वारा स्लॉटर हाउस बंद करने का फैसला अल्पसंख्यकों के साथ भेदभाव करने वाला है. लिहाजा बकरीद को देखते हुए राज्य सरकार के इस फैसले पर रोक लगाते हुए स्लॉटर हाउस को खोला जाए. हालांकि, तब कोर्ट ने संवैधानिक मामला और त्योहार को देखते हुए सुनवाई में जल्दबाजी से इंकार कर दिया था और सुनवाई के लिए अगली तारीख (23 जुलाई) तय की गई थी.

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क्या है मामला: सरकार ने मार्च 2021 में शासनादेश जारी कर हरिद्वार जिले में स्लॉटर हाउस पूर्ण रूप से बंद कर दिए थे. जबकि पहले धार्मिक स्थलों तक ही यह आदेश लागू था. जिसके खिलाफ मंगलौर निवासी इफ्तिकार एवं अन्य ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की.

याचिका में कहा कि सरकार धार्मिक क्षेत्रों में मांस की बिक्री प्रतिबंधित कर सकती है, लेकिन इसे पूरे जिले में प्रभावी नहीं कर सकती. याचिका के जरिए कहा गया था कि सरकार का यह आदेश अल्पसंख्यकों के साथ भेदभाव करने वाला है. याचिकाकर्ता ने 21 जुलाई को बकरीद के मद्देनजर सरकार के इस आदेश पर रोक लगाने की मांग की थी. इससे पहले हुई सुनवाई में हाईकोर्ट ने कहा था मामला गंभीर है, लेकिन इसमें 21 जुलाई की बकरीद तक फैसला नहीं लिया जा सकता है.

मांस पर पाबंदी असंवैधानिक: याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में दावा किया है कि यह पाबंदी 'मनमाना और असंवैधानिक है'. मांस पर किसी तरह की पूर्ण पांबदी असंवैधानिक है, जबकि उत्तर प्रदेश नगर निगम अधिनियम में उत्तराखंड सरकार की ओर से जोड़ी गई धारा-237ए, उसे नगर निगम, परिषद या नगर पंचायत को बूचड़खाना मुक्त घोषित करने का अधिकार प्रदान करती है.

इससे पहले हुई सुनवाई में हाई कोर्ट ने हरिद्वार में स्लॉटर हाउस पर रोक लगाने के फैसले की संवैधानिकता पर सवाल उठाए थे. मंगलौर निवासी याचिककार्ता इफ्तिकार व अन्य की याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा था कि सवाल यह है कि क्या नागरिकों को अपना भोजन चुनने का अधिकार है या राज्य इसका फैसला करेगा?

Last Updated : Jul 24, 2021, 6:23 PM IST
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