नैनीताल: उत्तराखंड हाइकोर्ट ने जिला विकास प्राधिकरणों को बिना नक्शे के निर्माण कार्यों में छूट दिए जाने से संबंधित सरकार की 1 मार्च, 2021 और जून 2021 के आदेश को चुनौती देने वाली जनहित याचिका पर सुनवाई पर हुई. मामले में हाईकोर्ट ने राज्य सरकार और नगर निगम ऋषिकेश को चार सप्ताह में जवाब पेश करने को कहा है. मामले की अगली सुनवाई 24 नवंबर को होगी.
बता दें, मामले की सुनवाई मुख्य न्यायधीश आरएस चौहान एवं न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ में हुई. मामले के अनुसार कोटद्वार निकासी मुजीब नैथानी ने हाइकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा है कि सरकार ने साल 2016 में प्रदेश के कई जिलों में जिला विकास प्राधिकरण (डीडीए) बनाए गए थे. सरकार ने 1 मार्च 2021 व जून 2021 में दो आदेश जारी कर इन क्षेत्रों में बिना नक्शे के निर्माण कार्य करने की अनुमति दे दी. इन दोनों आदेशों को याचिकर्ता द्वारा जनहित याचिका में चुनौती दी गयी है.
याचिकर्ता का कहना है कि सरकार के ये दोनों आदेश नियम विरुद्ध है. सरकार ने ये आदेश कुछ लोगों को लाभ पहुंचाने के लिए जारी किए हैं. इससे अवैध निर्माण कार्य बढ़ेंगे. इसका लाभ आम लोगों को नहीं मिलेगा. जैसे अगर कोई सरकारी कर्मचारी मकान के लिए भूमि खरीदता है और उसे बनाने के लिए लोन लेता है, तो बैंक उसे बिना नक्शे का लोन नहीं देगा. यह आदेश तो सरकार ने बिल्डरों को लाभ पहुंचाने के लिए पास किया है.
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याचिकाकर्ता का कहना है कि इस आदेश को निरस्त किया जाए. यह जनहित के लिए नहीं है, जबकि इससे पहले के प्राधिकरणों में बिना नक्शे के मकान बनाना अवैध माना गया था, जिससे अवैध निर्माण कार्यों पर रोक लगी हुई थी. जनहित याचिका में राज्य सरकार, डायरेक्टर अर्बन प्लॉनिंग उत्तराखंड, चीफ एडमिनिस्ट्रेटर आवास और नगर विकास देहरादून, सेक्रेटरी डिस्ट्रिक्ट डेवलपमेंट अथॉरिटी पौड़ी, डीएम पौड़ी व नगर निगम कोटद्वार को पक्षकार बनाया है.