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नैनीताल HC में सिद्धबली स्टोन क्रशर मामले की सुनवाई, निदेशक खनन को पेश होने के आदेश - जनहित याचिका पर सुनवाई

कोटद्वार में माइनिंग पॉलिसी के खिलाफ संचालित सिद्धबली स्टोन क्रशर को हटाए जाने को लेकर आज नैनीताल हाईकोर्ट में दायर जनहित याचिका पर सुनवाई हुई. खंडपीठ ने इस मामले में निदेशक भूतत्व खनिकर्म को 23 अगस्त को कोर्ट में व्यक्तिगत रूप से पेश होने के आदेश दिये हैं.

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Published : Aug 3, 2022, 2:49 PM IST

नैनीताल: उत्तराखंड हाइकोर्ट ने कोटद्वार में माइनिंग पॉलिसी के खिलाफ संचालित सिद्धबली स्टोन क्रशर को हटाए जाने को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की. इस मामले की सुनवाई के बाद मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी एवं न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की खंडपीठ ने निदेशक भूतत्व एवं खनिकर्म को 23 अगस्त को कोर्ट में व्यक्तिगत रूप से कोर्ट में पेश होने के आदेश दिए हैं.

बता दें कि पिछली तारीख में कोर्ट ने पूछा था कि कोटद्वार के भुदेवपूर जहां स्टोन क्रशर संचालित है, वह स्थान पर्वतीय क्षेत्र में आता है या मैदानी क्षेत्र में. जिसका निदेशक ने अपने शपथ-पत्र में कोई स्पष्ट उत्तर नहीं दिया. जिसके कारण कोर्ट ने निदेशक को कोर्ट में पेश होने के आदेश दिए हैं.

पढ़ें- हरिद्वार में यूपी और बिहार के दो युवकों ने लगाई फांसी, फंदे से लटके मिले शव

इस मामले के अनुसार कोटद्वार निवासी देवेंद्र सिंह अधिकारी ने जनहित याचिका दायर कर कहा है कि कोटद्वार में राजाजी नेशनल के रिजर्व फॉरेस्ट में सिद्धबली स्टोन क्रशर लगाया गया है, यह स्टोन क्रशर सुप्रीम कोर्ट के द्वारा जारी गाइडलाइनों के मानकों को पूरा नहीं करता है. सुप्रीम कोर्ट ने अपनी गाइड लाइन में कहा था कि कोई भी स्टोन क्रशर नेशनल पार्कों के 10 किलोमीटर एरियल डिस्टेंस के भीतर स्थापित नहीं किया जा सकता. जबकि यह स्टोन क्रशर साढ़े छः किलोमीटर की दूरी पर संचालित है.

पूर्व में सरकार ने अपनी रिपोर्ट पेश कर कहा था कि यह स्टोन क्रशर सड़क से 13 किलोमीटर दूर है. जिस पर याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने इसका विरोध करते हुए कोर्ट को बताया था कि दूरी मापने के लिए एरियल डिस्टेंस है न कि सड़क से. सरकार ने इसे सड़क मार्ग से मापा है जो गलत है. सिद्धबली स्टोन क्रशर पीसीबी के मानकों को भी पूरा नहीं करता है. जिससे क्षेत्र के साथ-साथ वन्यजीव भी प्रभावित हो रहे हैं. लिहाजा, इसको हटाया जाए या इसके संचालन पर रोक लगाई जाय.

नैनीताल: उत्तराखंड हाइकोर्ट ने कोटद्वार में माइनिंग पॉलिसी के खिलाफ संचालित सिद्धबली स्टोन क्रशर को हटाए जाने को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की. इस मामले की सुनवाई के बाद मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी एवं न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की खंडपीठ ने निदेशक भूतत्व एवं खनिकर्म को 23 अगस्त को कोर्ट में व्यक्तिगत रूप से कोर्ट में पेश होने के आदेश दिए हैं.

बता दें कि पिछली तारीख में कोर्ट ने पूछा था कि कोटद्वार के भुदेवपूर जहां स्टोन क्रशर संचालित है, वह स्थान पर्वतीय क्षेत्र में आता है या मैदानी क्षेत्र में. जिसका निदेशक ने अपने शपथ-पत्र में कोई स्पष्ट उत्तर नहीं दिया. जिसके कारण कोर्ट ने निदेशक को कोर्ट में पेश होने के आदेश दिए हैं.

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इस मामले के अनुसार कोटद्वार निवासी देवेंद्र सिंह अधिकारी ने जनहित याचिका दायर कर कहा है कि कोटद्वार में राजाजी नेशनल के रिजर्व फॉरेस्ट में सिद्धबली स्टोन क्रशर लगाया गया है, यह स्टोन क्रशर सुप्रीम कोर्ट के द्वारा जारी गाइडलाइनों के मानकों को पूरा नहीं करता है. सुप्रीम कोर्ट ने अपनी गाइड लाइन में कहा था कि कोई भी स्टोन क्रशर नेशनल पार्कों के 10 किलोमीटर एरियल डिस्टेंस के भीतर स्थापित नहीं किया जा सकता. जबकि यह स्टोन क्रशर साढ़े छः किलोमीटर की दूरी पर संचालित है.

पूर्व में सरकार ने अपनी रिपोर्ट पेश कर कहा था कि यह स्टोन क्रशर सड़क से 13 किलोमीटर दूर है. जिस पर याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने इसका विरोध करते हुए कोर्ट को बताया था कि दूरी मापने के लिए एरियल डिस्टेंस है न कि सड़क से. सरकार ने इसे सड़क मार्ग से मापा है जो गलत है. सिद्धबली स्टोन क्रशर पीसीबी के मानकों को भी पूरा नहीं करता है. जिससे क्षेत्र के साथ-साथ वन्यजीव भी प्रभावित हो रहे हैं. लिहाजा, इसको हटाया जाए या इसके संचालन पर रोक लगाई जाय.

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