नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने राज्य समेत नैनीताल शहर में बंदरों और कुत्तों के बढ़ते आतंक से निजात दिलाने को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की. मामले की सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी और न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ ने ईओ नगर पालिका नैनीताल द्वारा पूर्व के आदेश का पालन नहीं करने पर नाराजगी व्यक्त की. साथ ही कार्यदायी संस्था और ईओ नगर पालिका से कहा कि क्यों न उन्हें अवमानना का दोषी मान लें, क्योंकि आपने कोर्ट के पूर्व में दिए गए आदेशों का अनुपालन नहीं किया है.
खंडपीठ ने दोनों से पूर्व में दिए गए आदेशों की अनुपालन रिपोर्ट 19 अक्टूबर तक पेश करने को कहा है. मामले की अगली सुनवाई के लिए 19 अक्टूबर की तारीख निर्धारित की गई है. इससे पहले में भी कोर्ट ने नगर पालिका ईओ को अवमानना का नोटिस जारी किया था. सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता द्वारा कोर्ट को अवगत कराया कि ईओ व जिला प्रशासन द्वारा पूर्व में दिए गए आदेश का पालन नहीं किया जा रहा है. इनके द्वारा 40 आवारा कुत्तों को पकड़कर कुछ दिनों बाद उन्हें छोड़ दिया गया, जबकि कोर्ट ने पूर्व में आदेश दिया था कि इनके लिए स्थायी शेल्टर बनाया जाएं और इन्हें छोड़ा नहीं जाए.
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बता दें कि नैनीताल निवासी गिरीश चन्द्र खोलिया ने जनहित याचिका दायर कर कहा है कि नैनीताल शहर में कुत्तों का आतंक बढ़ता ही जा रहा है. अभी तक नैनीताल में सैकड़ों लोगों को आवारा कुत्ते काट चुके हैं. पिछले कुछ सालों में प्रदेश में आवारा कुत्तों ने करीब 40 हजार से अधिक लोगों को काटकर अपना निशाना बनाया है. कुछ समय पहले कुत्तों का बंध्याकरण भी किया गया था, लेकिन इनकी संख्या बढ़ती ही जा रही है. याचिकाकर्ता ने बंदरों और कुत्तों की बढ़ती संख्या पर रोक लगाने की गुहार लगाई है.
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