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नैनीताल हाईकोर्ट में उत्तराखंड सम्मिलित राज्य अवर अधीनस्थ सेवा परीक्षा की सुनवाई

नैनीताल हाईकोर्ट (Uttarakhand High Court) ने लोक सेवा आयोग द्वारा उत्तराखंड सम्मिलित राज्य (सिविल) अवर अधीनस्थ सेवा परीक्षा (लोवर पीसीएस) 2021 की प्रारंभिक परीक्षा से 12 प्रश्न हटाए जाने के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई की. मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी एवं न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की खंडपीठ ने एकलपीठ के आदेश को सही मानते हुए 82 से अधिक अभ्यर्थियों की विशेष अपील को निरस्त कर दिया है.

Nainital High Court
नैनीताल हाईकोर्ट
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Published : Aug 2, 2022, 1:46 PM IST

Updated : Aug 2, 2022, 4:47 PM IST

नैनीताल: हाईकोर्ट (Uttarakhand High Court) ने लोक सेवा आयोग द्वारा उत्तराखंड सम्मिलित राज्य (सिविल) अवर अधीनस्थ सेवा परीक्षा (लोअर पीसीएस) 2021 की प्रारंभिक परीक्षा से 12 प्रश्न हटाए जाने के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई की. मामले को सुनने के बाद मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी एवं न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की खंडपीठ ने एकलपीठ के आदेश को सही मानते हुए 82 से अधिक अभ्यर्थियों की विशेष अपील को निरस्त कर दिया है.

कोर्ट ने यह भी कहा कि आयोग के इस निर्णय से किसी भी अभ्यर्थी का हित प्रभावित नहीं हुआ है. सभी को एक समान बोनस अंक मिले हैं. इस मामले में अश्विनी कुमार, पूरन भट्ट सहित 80 अभ्यर्थियों के द्वारा एकलपीठ के आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी.

मामले के अनुसार रामनगर निवासी पवन नैनवाल, विकास शर्मा सहित 55 अन्य लोगों द्वारा याचिका दायर कर कहा गया है कि लोक सेवा आयोग द्वारा लोअर पीसीएस की प्रारंभिक परीक्षा फरवरी 2021 में कराई गई थी. जिसमें लोक सेवा आयोग के विशेषज्ञों द्वारा 12 सही प्रश्नों को बिना किसी उचित आधार के गलत घोषित करते हुए 12 प्रश्न हटा दिए और 12 बोनस अंक सभी अभ्यर्थियों को दे दिए. जिस कारण उन 12 प्रश्नों के सही उत्तर देने वाले सैकड़ों अभ्यर्थी नेगेटिव अंक प्रणाली के आधार पर अनुत्तीर्ण हो गए और वे मेन की परीक्षा से वंचित हो गए.
पढ़ें-उत्तराखंड हाईकोर्ट ने कई न्यायिक अधिकारियों का किया तबादला, यहां देखें लिस्ट

लिहाजा उनको परीक्षा में समल्लित होने की अनुमति दी जाए. याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ता दुष्यंत मैनाली द्वारा कोर्ट को यह भी बताया कि आयोग के इस निर्णय से ये परीक्षार्थी मेरिट लिस्ट से बाहर हो गए, जिन्होंने प्रश्न सही किए थे. जिनके अंक कम थे या जिन्होंने ये प्रश्न नहीं किए थे, वे मेरिट लिस्ट में ऊपर आ गए. एकलपीठ ने अपने आदेश में आयोग के विशेषज्ञों के तर्क से सहमत होकर याचिकर्ताओं की याचिका को निरस्त कर दिया था. जिसके खिलाफ आज 82 से अधिक अभ्यर्थियों के द्वारा एकलपीठ के आदेश को खण्डपीठ में चुनौती दी गई थी.

नैनीताल: हाईकोर्ट (Uttarakhand High Court) ने लोक सेवा आयोग द्वारा उत्तराखंड सम्मिलित राज्य (सिविल) अवर अधीनस्थ सेवा परीक्षा (लोअर पीसीएस) 2021 की प्रारंभिक परीक्षा से 12 प्रश्न हटाए जाने के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई की. मामले को सुनने के बाद मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी एवं न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की खंडपीठ ने एकलपीठ के आदेश को सही मानते हुए 82 से अधिक अभ्यर्थियों की विशेष अपील को निरस्त कर दिया है.

कोर्ट ने यह भी कहा कि आयोग के इस निर्णय से किसी भी अभ्यर्थी का हित प्रभावित नहीं हुआ है. सभी को एक समान बोनस अंक मिले हैं. इस मामले में अश्विनी कुमार, पूरन भट्ट सहित 80 अभ्यर्थियों के द्वारा एकलपीठ के आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी.

मामले के अनुसार रामनगर निवासी पवन नैनवाल, विकास शर्मा सहित 55 अन्य लोगों द्वारा याचिका दायर कर कहा गया है कि लोक सेवा आयोग द्वारा लोअर पीसीएस की प्रारंभिक परीक्षा फरवरी 2021 में कराई गई थी. जिसमें लोक सेवा आयोग के विशेषज्ञों द्वारा 12 सही प्रश्नों को बिना किसी उचित आधार के गलत घोषित करते हुए 12 प्रश्न हटा दिए और 12 बोनस अंक सभी अभ्यर्थियों को दे दिए. जिस कारण उन 12 प्रश्नों के सही उत्तर देने वाले सैकड़ों अभ्यर्थी नेगेटिव अंक प्रणाली के आधार पर अनुत्तीर्ण हो गए और वे मेन की परीक्षा से वंचित हो गए.
पढ़ें-उत्तराखंड हाईकोर्ट ने कई न्यायिक अधिकारियों का किया तबादला, यहां देखें लिस्ट

लिहाजा उनको परीक्षा में समल्लित होने की अनुमति दी जाए. याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ता दुष्यंत मैनाली द्वारा कोर्ट को यह भी बताया कि आयोग के इस निर्णय से ये परीक्षार्थी मेरिट लिस्ट से बाहर हो गए, जिन्होंने प्रश्न सही किए थे. जिनके अंक कम थे या जिन्होंने ये प्रश्न नहीं किए थे, वे मेरिट लिस्ट में ऊपर आ गए. एकलपीठ ने अपने आदेश में आयोग के विशेषज्ञों के तर्क से सहमत होकर याचिकर्ताओं की याचिका को निरस्त कर दिया था. जिसके खिलाफ आज 82 से अधिक अभ्यर्थियों के द्वारा एकलपीठ के आदेश को खण्डपीठ में चुनौती दी गई थी.

Last Updated : Aug 2, 2022, 4:47 PM IST
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