नैनीताल: ढैंचा बीज खरीद घोटाले में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की मुश्किलें बढ़ सकती है. इस मामले में हाई कोर्ट ने याचिकाकर्ता को दस्तावेज प्रस्तुत करने के निर्देश दिए हैं. साथ ही कोर्ट ने याचिकाकर्ता से याचिका में सुधार कर पुनर्याचिका दायर करने के लिए भी कहा है. अब इस मामले की अगली सुनवाई 8 अप्रैल को होगी.
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बता दें कि दिल्ली निवासी जेपी डबराल ने उत्तराखंड हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा था कि 2005 व 2006 में तत्कालीन बीजेपी सरकार ने खरीफ की फसल बढ़ावा देने के लिए ढैंचा बीज की खरीद की थी, लेकिन इसमें समुचित प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया और कई गुना अधिक दामों पर ढैंचा बीज की खरीद की गई. इस मामले की जांच के लिए सरकार ने त्रिपाठी आयोग का गठन किया था. लेकिन आयोग की रिपोर्ट के बाद भी आरोपियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई. जिसके बाद याचिकाकर्ता ने इस मामले में सीबीआई जांच की मांग की है.
गौरतलब है कि वर्ष 2005-06 में कृषि विभाग ने प्रदेश में खरीफ की फसल को बढ़ावा देने के लिए ढैंचा बीज वितरण की योजना बनाई थी. इसी क्रम में तत्कालीन कृषि निदेशक ने इस योजना को मूर्त रूप देने के लिए विभाग को निर्देश जारी किए थे. तत्कालीन बीजेपी सरकार में त्रिवेंद्र सिंह रावत उत्तराखंड के कृषि मंत्री का पदभार संभाल रहे थे.
इस दौरान ऊधमसिंह नगर, देहरादून व चंपावत में तकरीबन 15,000 कुंतल ढैंचा बीज की आवश्यकता बताते हुए टेंडर जारी कराए गए. आरोप है कि ये टेंडर 60 फीसद से अधिक दर पर दिए गए. इसके बाद वर्ष 2010 में एक निजी कंपनी को बिना टेंडर प्रक्रिया अपनाए बीज आपूर्ति का भी ठेका दे दिया गया. मामले के तूल पकड़ने के बाद कांग्रेस सरकार ने इसकी जांच त्रिपाठी आयोग को सौंपी थी.