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एसएस जीना विवि में वाइस चांसलर की नियुक्ति का मामला, तीन हफ्ते में HC ने मांगा जवाब

सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर की नियुक्ति मामले में हाईकोर्ट ने तीन सप्ताह में जवाब पेश करने को कहा है.

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SS जीना विश्वविद्यालय वाइस चांसलर नियुक्ति मामले में हाईकोर्ट में सुनवाई
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Published : Aug 25, 2021, 5:26 PM IST

Updated : Aug 25, 2021, 7:21 PM IST

नैनीताल: हाइकोर्ट में आज सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय के नवनियुक्त वाइस चांसलर एनएस भंडारी की नियुक्ति के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सुनवाई हुई. सुनवाई के बाद जिन विपक्षियों द्वारा अपना जवाब पेश नहीं किया हैं, उनसे कोर्ट ने तीन सप्ताह के भीतर जवाब देने को कहा है.

पूर्व में कोर्ट ने वाइस चांसलर एनएस भंडारी को नोटिस जारी कर जवाब पेश करने को कहा था. याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में राज्य सरकार, लोक सेवा आयोग, कुमाऊं विश्वविद्यालय, सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय अल्मोड़ा एवं वाइस चांसलर एनएस भंडारी को पक्षकार बनाया है. मामले की सुनवाई मुख्य न्यायधीश आरएस चौहान व न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खण्डपीठ में हुई.

पढ़ें- हरदा के दरबार से सिद्धू समर्थकों को झटका, बोले- अमरिंदर ही रहेंगे चुनाव में 'कैप्टन'

बता दें देहरादून निवासी रविन्द्र जुगरान ने जनहित याचिका दायर कर कहा है कि राज्य सरकार ने सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय के नवनियुक्त वाइस चांसलर एनएस भंडारी की नियुक्ति यूजीसी के नियमावली को दरकिनार करके कर दी गयी है. याचिकाकर्ता का कहना है कि यूजीसी की नियमावली के अनुसार वाइस चांसलर नियुक्त होने के लिए दस साल की प्रोफेसरशीप होनी आवश्यक है, जबकि एनएस भंडारी ने साढ़े आठ साल का अनुभव है.

पढ़ें- सिद्धू को हरीश रावत की क्लीन चिट, कहा- कुछ सोच समझकर दिया दायित्व, पूरी कांग्रेस नहीं सौपी

बाद में प्रोफेसर भंडारी उत्तराखंड पब्लिक सर्विस कमीशन के मेंबर नियुक्त हो गए थे. उस दौरान उनके द्वारा की गयी सेवा को उनकी प्रोफेशरशीप में नही जोड़ा जा सकता, क्योंकि यह यूजीसी के नियमावली के विरुद्ध है. इसलिए उनकी नियुक्ति अवैध है. उनको पद से हटाया जाए.

नैनीताल: हाइकोर्ट में आज सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय के नवनियुक्त वाइस चांसलर एनएस भंडारी की नियुक्ति के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सुनवाई हुई. सुनवाई के बाद जिन विपक्षियों द्वारा अपना जवाब पेश नहीं किया हैं, उनसे कोर्ट ने तीन सप्ताह के भीतर जवाब देने को कहा है.

पूर्व में कोर्ट ने वाइस चांसलर एनएस भंडारी को नोटिस जारी कर जवाब पेश करने को कहा था. याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में राज्य सरकार, लोक सेवा आयोग, कुमाऊं विश्वविद्यालय, सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय अल्मोड़ा एवं वाइस चांसलर एनएस भंडारी को पक्षकार बनाया है. मामले की सुनवाई मुख्य न्यायधीश आरएस चौहान व न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खण्डपीठ में हुई.

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बता दें देहरादून निवासी रविन्द्र जुगरान ने जनहित याचिका दायर कर कहा है कि राज्य सरकार ने सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय के नवनियुक्त वाइस चांसलर एनएस भंडारी की नियुक्ति यूजीसी के नियमावली को दरकिनार करके कर दी गयी है. याचिकाकर्ता का कहना है कि यूजीसी की नियमावली के अनुसार वाइस चांसलर नियुक्त होने के लिए दस साल की प्रोफेसरशीप होनी आवश्यक है, जबकि एनएस भंडारी ने साढ़े आठ साल का अनुभव है.

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बाद में प्रोफेसर भंडारी उत्तराखंड पब्लिक सर्विस कमीशन के मेंबर नियुक्त हो गए थे. उस दौरान उनके द्वारा की गयी सेवा को उनकी प्रोफेशरशीप में नही जोड़ा जा सकता, क्योंकि यह यूजीसी के नियमावली के विरुद्ध है. इसलिए उनकी नियुक्ति अवैध है. उनको पद से हटाया जाए.

Last Updated : Aug 25, 2021, 7:21 PM IST

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