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आयकर आयुक्त श्वेताभ सुमन आय से अधिक संपत्ति मामला, HC में कल भी होगी सुनवाई - Hearing in disproportionate assets case

नैनीताल हाईकोर्ट ने आय से अधिक संपति मामले में आयकर अधिकारी श्वेताभ सुमन और अन्य की अपीलों पर सुनवाई की. मामले में कल भी सुनवाई होगी.

Hearing in disproportionate assets case
आय से अधिक संपति मामले में सुनवाई
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Published : Sep 15, 2021, 6:15 PM IST

नैनीताल: हाइकोर्ट ने आय से अधिक संपति मामले में आरोपी 1998 बैच के आईएएस, आयकर अधिकारी श्वेताभ सुमन एवं अन्य की अपीलों में सुनवाई की. कोर्ट में मामले की सुनवाई कल भी जारी रहेगी. मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति रविंद्र मैठाणी की एकलपीठ में हुई.

बता दें कि 2005 में एक गुमनाम शिकायती पत्र के आधार पर इनके खिलाफ दिल्ली में मुकदमा दर्ज किया गया था. उसके बाद सीबीआई ने आयकर अधिकारी के 14 ठिकानों पर 2015 में छापेमारी की थी. तब वे संयुक्त आयुक्त के पद पर कार्यरत थे. जांच में सीबीआई ने पाया कि अधिकारी के पास आय से 337 प्रतिशत अधिक संपत्ति है.

यह संपत्ति गाजियाबाद, झारखंड, बिहार व देहरादून में स्थित है और इस संपत्ति को अधिकारी ने अपनी माता और जीजा के नाम कर रखा था. उन्होंने अपनी मां गुलाबो देवी के नाम दिल्ली में एक होंडा सिटी कार भी फाइनेंस कराई थी. फाइनेंस कराने में जो दस्तावेज लगाए गए थे, उनमें फोटो अपनी मां की और पेपर किसी अन्य संपत्ति के लगाए गए थे.

ये भी पढ़ें: पढ़ने की उम्र में ड्रग तस्कर बना 19 साल का शोएब, 9 किलो गांजा समेत अरेस्ट

सीबीआई जांच में यह तथ्य भी सामने आया कि सुमन ने गरीबों की मदद के लिए अरविंद सोसायटी का रजिस्ट्रेशन कराया था, जिसमे उन्होंने अपने पद का दुरुप्रयोग करते हुए लोगों से दान लिया और बाद में उस धन को अपनी पत्नी और माता के खाते में ट्रांसफर कर लिया. सीबीआई कोर्ट में अभियोजन पक्ष की तरफ से 255 और बचाव पक्ष की तरफ से 8 गवाह भी पेश किये गए थे.

स्पेशल जज प्रिवेंशन आफ करप्शन (सीबीआई) देहरादून ने 13 फरवरी 2019 को सुमन को 7 साल की सजा सुनाई. साथ में 3 करोड़ 70 लाख 14 रुपए का जुर्माना भी लगाया. कोर्ट ने इनकी माता को एक साल, जीजा और दो दोस्तों को चार-चार साल की सजा सुनवाई. इस आदेश के खिलाफ इन्होंने हाइकोर्ट ने अपील दायर की.

नैनीताल: हाइकोर्ट ने आय से अधिक संपति मामले में आरोपी 1998 बैच के आईएएस, आयकर अधिकारी श्वेताभ सुमन एवं अन्य की अपीलों में सुनवाई की. कोर्ट में मामले की सुनवाई कल भी जारी रहेगी. मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति रविंद्र मैठाणी की एकलपीठ में हुई.

बता दें कि 2005 में एक गुमनाम शिकायती पत्र के आधार पर इनके खिलाफ दिल्ली में मुकदमा दर्ज किया गया था. उसके बाद सीबीआई ने आयकर अधिकारी के 14 ठिकानों पर 2015 में छापेमारी की थी. तब वे संयुक्त आयुक्त के पद पर कार्यरत थे. जांच में सीबीआई ने पाया कि अधिकारी के पास आय से 337 प्रतिशत अधिक संपत्ति है.

यह संपत्ति गाजियाबाद, झारखंड, बिहार व देहरादून में स्थित है और इस संपत्ति को अधिकारी ने अपनी माता और जीजा के नाम कर रखा था. उन्होंने अपनी मां गुलाबो देवी के नाम दिल्ली में एक होंडा सिटी कार भी फाइनेंस कराई थी. फाइनेंस कराने में जो दस्तावेज लगाए गए थे, उनमें फोटो अपनी मां की और पेपर किसी अन्य संपत्ति के लगाए गए थे.

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सीबीआई जांच में यह तथ्य भी सामने आया कि सुमन ने गरीबों की मदद के लिए अरविंद सोसायटी का रजिस्ट्रेशन कराया था, जिसमे उन्होंने अपने पद का दुरुप्रयोग करते हुए लोगों से दान लिया और बाद में उस धन को अपनी पत्नी और माता के खाते में ट्रांसफर कर लिया. सीबीआई कोर्ट में अभियोजन पक्ष की तरफ से 255 और बचाव पक्ष की तरफ से 8 गवाह भी पेश किये गए थे.

स्पेशल जज प्रिवेंशन आफ करप्शन (सीबीआई) देहरादून ने 13 फरवरी 2019 को सुमन को 7 साल की सजा सुनाई. साथ में 3 करोड़ 70 लाख 14 रुपए का जुर्माना भी लगाया. कोर्ट ने इनकी माता को एक साल, जीजा और दो दोस्तों को चार-चार साल की सजा सुनवाई. इस आदेश के खिलाफ इन्होंने हाइकोर्ट ने अपील दायर की.

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