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ऋषिकेश कूड़ा निस्तारण प्लांट मामला, हाईकोर्ट ने सरकार सहित अन्य से 4 सप्ताह में मांगा जवाब - Rishikesh Gumaniwala

garbage disposal plant in populated area ऋषिकेश गुमानीवाला के आबादी वाले क्षेत्र में लगाए जा रहे कूड़ा निस्तारण प्लांट के खिलाफ आज नैनीताल हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. खंडपीठ ने संबंधित पक्षकारों का पक्ष जानने के लिए उनसे चार सप्ताह में अपना जवाब पेश करने का निर्देश दिया है.

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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Oct 12, 2023, 4:46 PM IST

नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने ऋषिकेश गुमानीवाला के आबादी वाले क्षेत्र में लगाए जा रहे कूड़ा निस्तारण प्लांट के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की. मामले की सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी और न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ ने केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, जिला अधिकारी और राज्य सरकार से चार सप्ताह में जवाब पेश करने को कहा है. मामले की अगली सुनवाई के लिए 7 दिसंबर की तिथि निर्धारित की गई है.

मामले के अनुसार ऋषिकेश निवासी समाजसेवी आशुतोष शर्मा ने जनहित याचिका दायर कर कहा है कि नगर के मेयर ने सरकारी धन को ठिकाने लगाने के लिए आनन-फानन में ऋषिकेश के गुमानीवाला में कूड़ा निस्तारण प्लांट लगाने की अनुमति दे दी थी. जिस क्षेत्र में यह प्लांट लगाया जा रहा है, वह क्षेत्र आबादी वाला है. कूड़ा निस्तारण प्लांट में पांच शहरों के कूड़े का निस्तारण किया जाना है.

ये भी पढ़ें: उधमसिंह नगर में 600 करोड़ रुपए के चावल घोटाले केस में HC सख्त, सरकार समेत अन्य से जवाब तलब

आशुतोष शर्मा ने आरोप लगाया है कि केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की नियमावली के अनुसार यह प्लांट आबादी क्षेत्र से बाहर लगाया जाना था, लेकिन मेयर ने इसे आबादी क्षेत्र में लगाने की अनुमति दे दी थी. जो सुप्रीम कोर्ट के आदेश 2019 के खिलाफ है. सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि ऐसे प्लांट आबादी क्षेत्र से बाहर स्थापित किए जाए. आज सुनवाई के दौरान राज्य प्रदूषण बोर्ड ने अवगत कराया कि इसे लगाने की अनुमति उनसे नहीं ली गई. जनहित याचिका में कोर्ट से प्रार्थना की गई है कि इस पर रोक लगाई जाए.

ये भी पढ़ें: उद्यान विभाग घोटाला मामला, HC ने सुरक्षित रखा निर्णय, क्या CBI करेगी जांच!

नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने ऋषिकेश गुमानीवाला के आबादी वाले क्षेत्र में लगाए जा रहे कूड़ा निस्तारण प्लांट के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की. मामले की सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी और न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ ने केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, जिला अधिकारी और राज्य सरकार से चार सप्ताह में जवाब पेश करने को कहा है. मामले की अगली सुनवाई के लिए 7 दिसंबर की तिथि निर्धारित की गई है.

मामले के अनुसार ऋषिकेश निवासी समाजसेवी आशुतोष शर्मा ने जनहित याचिका दायर कर कहा है कि नगर के मेयर ने सरकारी धन को ठिकाने लगाने के लिए आनन-फानन में ऋषिकेश के गुमानीवाला में कूड़ा निस्तारण प्लांट लगाने की अनुमति दे दी थी. जिस क्षेत्र में यह प्लांट लगाया जा रहा है, वह क्षेत्र आबादी वाला है. कूड़ा निस्तारण प्लांट में पांच शहरों के कूड़े का निस्तारण किया जाना है.

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आशुतोष शर्मा ने आरोप लगाया है कि केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की नियमावली के अनुसार यह प्लांट आबादी क्षेत्र से बाहर लगाया जाना था, लेकिन मेयर ने इसे आबादी क्षेत्र में लगाने की अनुमति दे दी थी. जो सुप्रीम कोर्ट के आदेश 2019 के खिलाफ है. सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि ऐसे प्लांट आबादी क्षेत्र से बाहर स्थापित किए जाए. आज सुनवाई के दौरान राज्य प्रदूषण बोर्ड ने अवगत कराया कि इसे लगाने की अनुमति उनसे नहीं ली गई. जनहित याचिका में कोर्ट से प्रार्थना की गई है कि इस पर रोक लगाई जाए.

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