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HC ने UKPSC के तर्कों के बाद वापस लिया आदेश, असिस्टेंट प्रोफेसर के 455 पदों के लिए भर्ती का रास्ता खुला

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Published : Sep 3, 2022, 10:40 AM IST

Updated : Sep 3, 2022, 12:55 PM IST

नैनीताल हाईकोर्ट ने उत्तराखंड लोक सेवा आयोग के तर्कों के बाद अपना 27 जुलाई 2022 का आदेश वापस लिया है और 4 दिसम्बर 2021 को जारी विज्ञप्ति को बरकरार रखा है. इसके साथ ही आयोग को दिव्यांजनों के लिये 4 फीसदी रिक्तियों की गणना करने के निर्देश दिए हैं.

Nainital High Court
नैनीताल हाईकोर्ट

नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने राज्य के डिग्री कॉलेजों में असिस्टेंट प्रोफेसर के 455 पदों के लिये उत्तराखंड लोक सेवा आयोग द्वारा दिसंबर 2021 में जारी विज्ञप्ति को रद्द करने के अपने 27 जुलाई 2022 के आदेश को वापस लेते हुए लोक सेवा आयोग से विकलांग जनों के लिये 4 फीसदी क्षैतिज आरक्षण तय कर संशोधित विज्ञप्ति जारी करने के निर्देश दिए हैं. मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति विपिन सांघी व न्यायमूर्ति आर सी खुल्बे की खंडपीठ में हुई है.

बता दें, हाईकोर्ट ने 27 जुलाई को दिव्यांग अभ्यर्थी मनीष चौहान, रितेश आदि की याचिका की सुनवाई के बाद दिव्यांगजन अभ्यर्थियों के लिये इस विज्ञप्ति में दिव्यांगजन अधिकार नियम 2017 व इंदिरा साहनी के मामले में सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय 1992 के अनुसार क्षैतिज आरक्षण की व्यवस्था न होने पर उसे रद्द किया था.

इस मामले में उत्तराखंड लोक सेवा आयोग ने हाईकोर्ट के उक्त आदेश की रिव्यू पिटीशन दायर कर कहा कि आयोग ने जटिल प्रक्रिया के तहत कुल प्राप्त 20,449 आवेदनों की जांच कर एपीआई स्कोर की गणना की और 1,540 अभ्यर्थियों को शार्ट लिस्ट किया लेकिन दिव्यांगजनों को क्षैतिज आरक्षण नहीं मिला. इसलिये आयोग न्यायालय ने जारी निर्देशों का पालन करते हुए प्रत्येक समूह के कैडर की संख्या के 4 फीसदी की सीमा तक आरक्षण को अधिसूचित करते हुए बेंचमार्क दिव्यांगता उम्मीदवारों से आवेदन आमंत्रित करने के लिये संशोधित विज्ञप्ति जारी करना चाहता है, जिसकी आयोग को अनुमति दी जाए. बेंचमार्क दिव्यांग उम्मीदवारों से शुद्धिपत्र के अनुसार प्राप्त होने वाले आवेदनों की जांच की जाएगी, जिसके बाद चयन प्रक्रिया की जाएगी.

यह प्रक्रिया याचिकाकर्ताओं की चिंताओं और कानून की आवश्यकता को भी पूरा करेगी. उत्तराखंड लोक सेवा आयोग के तर्कों के बाद हाईकोर्ट ने अपना 27 जुलाई 2022 का आदेश वापस लेते हुए 04 दिसम्बर 2021 को जारी विज्ञप्ति को बरकरार रखा है और आयोग को दिव्यांजनों के लिये 4 फीसदी रिक्तियों की गणना करने का निर्देश दिया है, जो कानून के अनुसार और नियम 11(1) के अनुपालन में विभिन्न श्रेणियों में आने वाले बेंचमार्क दिव्यांग उम्मीदवारों के लिए आरक्षित होने के लिए बाध्य हैं, जो दिव्यांग व्यक्तियों के अधिकार नियम, 2017 के नियम 11(4) व सर्वोच्च न्यायालय के इंद्रा साहनी मामले में 1992 में तय किया था.
पढ़ें- जगदीश के पोस्टमार्टम रिपोर्ट में बड़ा खुलासा, जानिए कैसे बेरहमी से की गई थी हत्या

आयोग को अब एक शुद्धिपत्र जारी करना होगा, जिसमें विभिन्न श्रेणी में आने वाले वाले उम्मीदवारों से आवेदन आमंत्रित कर पदों की संख्या को इंगित करते हुए क्षैतिज आरक्षण प्रदान किया जाएगा. आयोग द्वारा शुद्धिपत्र के अनुसरण में प्राप्त आवेदनों की उसी प्रकार जांच की जाएगी, जिस प्रकार प्रारंभिक विज्ञापन के प्रत्युत्तर में की गई. यह विज्ञापन उसी प्रकार प्रकाशित होगा जिस प्रकार मूल विज्ञापन प्रकाशित हुआ था.

नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने राज्य के डिग्री कॉलेजों में असिस्टेंट प्रोफेसर के 455 पदों के लिये उत्तराखंड लोक सेवा आयोग द्वारा दिसंबर 2021 में जारी विज्ञप्ति को रद्द करने के अपने 27 जुलाई 2022 के आदेश को वापस लेते हुए लोक सेवा आयोग से विकलांग जनों के लिये 4 फीसदी क्षैतिज आरक्षण तय कर संशोधित विज्ञप्ति जारी करने के निर्देश दिए हैं. मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति विपिन सांघी व न्यायमूर्ति आर सी खुल्बे की खंडपीठ में हुई है.

बता दें, हाईकोर्ट ने 27 जुलाई को दिव्यांग अभ्यर्थी मनीष चौहान, रितेश आदि की याचिका की सुनवाई के बाद दिव्यांगजन अभ्यर्थियों के लिये इस विज्ञप्ति में दिव्यांगजन अधिकार नियम 2017 व इंदिरा साहनी के मामले में सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय 1992 के अनुसार क्षैतिज आरक्षण की व्यवस्था न होने पर उसे रद्द किया था.

इस मामले में उत्तराखंड लोक सेवा आयोग ने हाईकोर्ट के उक्त आदेश की रिव्यू पिटीशन दायर कर कहा कि आयोग ने जटिल प्रक्रिया के तहत कुल प्राप्त 20,449 आवेदनों की जांच कर एपीआई स्कोर की गणना की और 1,540 अभ्यर्थियों को शार्ट लिस्ट किया लेकिन दिव्यांगजनों को क्षैतिज आरक्षण नहीं मिला. इसलिये आयोग न्यायालय ने जारी निर्देशों का पालन करते हुए प्रत्येक समूह के कैडर की संख्या के 4 फीसदी की सीमा तक आरक्षण को अधिसूचित करते हुए बेंचमार्क दिव्यांगता उम्मीदवारों से आवेदन आमंत्रित करने के लिये संशोधित विज्ञप्ति जारी करना चाहता है, जिसकी आयोग को अनुमति दी जाए. बेंचमार्क दिव्यांग उम्मीदवारों से शुद्धिपत्र के अनुसार प्राप्त होने वाले आवेदनों की जांच की जाएगी, जिसके बाद चयन प्रक्रिया की जाएगी.

यह प्रक्रिया याचिकाकर्ताओं की चिंताओं और कानून की आवश्यकता को भी पूरा करेगी. उत्तराखंड लोक सेवा आयोग के तर्कों के बाद हाईकोर्ट ने अपना 27 जुलाई 2022 का आदेश वापस लेते हुए 04 दिसम्बर 2021 को जारी विज्ञप्ति को बरकरार रखा है और आयोग को दिव्यांजनों के लिये 4 फीसदी रिक्तियों की गणना करने का निर्देश दिया है, जो कानून के अनुसार और नियम 11(1) के अनुपालन में विभिन्न श्रेणियों में आने वाले बेंचमार्क दिव्यांग उम्मीदवारों के लिए आरक्षित होने के लिए बाध्य हैं, जो दिव्यांग व्यक्तियों के अधिकार नियम, 2017 के नियम 11(4) व सर्वोच्च न्यायालय के इंद्रा साहनी मामले में 1992 में तय किया था.
पढ़ें- जगदीश के पोस्टमार्टम रिपोर्ट में बड़ा खुलासा, जानिए कैसे बेरहमी से की गई थी हत्या

आयोग को अब एक शुद्धिपत्र जारी करना होगा, जिसमें विभिन्न श्रेणी में आने वाले वाले उम्मीदवारों से आवेदन आमंत्रित कर पदों की संख्या को इंगित करते हुए क्षैतिज आरक्षण प्रदान किया जाएगा. आयोग द्वारा शुद्धिपत्र के अनुसरण में प्राप्त आवेदनों की उसी प्रकार जांच की जाएगी, जिस प्रकार प्रारंभिक विज्ञापन के प्रत्युत्तर में की गई. यह विज्ञापन उसी प्रकार प्रकाशित होगा जिस प्रकार मूल विज्ञापन प्रकाशित हुआ था.

Last Updated : Sep 3, 2022, 12:55 PM IST
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