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अलकनंदा स्टोन क्रशर मामले की HC में सुनवाई, सरकार और पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड से मांगा जवाब

श्रीनगर में अलकनंदा स्टोन क्रशर के संचालन पर रोक लगाने के मामले में HC में सुनवाई हुई. हाईकोर्ट ने राज्य सरकार और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से जवाब मांगा है.

Ban on stone crushers in Uttarakhand
अलकनंदा स्टोन क्रशर मामले में HC में सुनवाई
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Published : Sep 9, 2021, 3:46 PM IST

नैनीताल: उत्तराखंड हाइकोर्ट ने श्रीनगर के कांडा रामपुर तहसील अलकनंदा स्टोन क्रशर के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की. मामले को सुनने के बाद खंडपीठ ने अलकनंदा स्टोन क्रशर, राज्य पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड, राज्य सरकार और जियोलॉजिकल माइनिंग को नोटिस जारी कर तीन सप्ताह में जवाब पेश करने आदेश दिया है. इसके साथ ही मामले की सुनवाई अब तीन हफ्ते बाद होगी.

श्रीनगर गढ़वाल निवासी नरेंद्र सिंह सिंघवाल ने जनहित याचिका दायर कर कहा है कि अलकनंदा स्टोन क्रशर पॉलिसी-2020 एवं पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड की नियमावली के विरुद्ध लगाया गया है. सरकार ने साल 2020 की पॉलिसी और हाईकोर्ट के आदेश का उल्लंघन करते हुए स्टोन क्रशर लगाने की अनुमति दी थी.

पढ़ें: कॉर्बेट में धनगढ़ी नाले के उफान में फंसे मजदूर, देखें रेस्क्यू का VIDEO

याचिकाकर्ता के मुताबिक अपर जिलाधिकारी की जांच में साफ पता चला है कि उपरोक्त स्थान पर स्टोन क्रशर एवं भंडारण के कारण नजदीकी गांव के पेयजल स्रोत, नहर, प्राकृतिक गधेरे एवं जंगली जानवरों पर निश्चित रूप से बुरा प्रभाव पड़ेगा.

याचिकाकर्ता का यह भी कहना है कि प्रभावित क्षेत्र के लोगों द्वारा इसके खिलाफ जिला अधिकारी, उप-जिलाधिकारी, पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड उत्तराखंड एवं सरकार को ज्ञापन भी दिया था. लेकिन अभी तक उस पर कोई सुनवाई नहीं हुई है. ऐसे में स्टोन क्रशर के संचालन पर रोक लगाई जाए.

नैनीताल: उत्तराखंड हाइकोर्ट ने श्रीनगर के कांडा रामपुर तहसील अलकनंदा स्टोन क्रशर के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की. मामले को सुनने के बाद खंडपीठ ने अलकनंदा स्टोन क्रशर, राज्य पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड, राज्य सरकार और जियोलॉजिकल माइनिंग को नोटिस जारी कर तीन सप्ताह में जवाब पेश करने आदेश दिया है. इसके साथ ही मामले की सुनवाई अब तीन हफ्ते बाद होगी.

श्रीनगर गढ़वाल निवासी नरेंद्र सिंह सिंघवाल ने जनहित याचिका दायर कर कहा है कि अलकनंदा स्टोन क्रशर पॉलिसी-2020 एवं पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड की नियमावली के विरुद्ध लगाया गया है. सरकार ने साल 2020 की पॉलिसी और हाईकोर्ट के आदेश का उल्लंघन करते हुए स्टोन क्रशर लगाने की अनुमति दी थी.

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याचिकाकर्ता के मुताबिक अपर जिलाधिकारी की जांच में साफ पता चला है कि उपरोक्त स्थान पर स्टोन क्रशर एवं भंडारण के कारण नजदीकी गांव के पेयजल स्रोत, नहर, प्राकृतिक गधेरे एवं जंगली जानवरों पर निश्चित रूप से बुरा प्रभाव पड़ेगा.

याचिकाकर्ता का यह भी कहना है कि प्रभावित क्षेत्र के लोगों द्वारा इसके खिलाफ जिला अधिकारी, उप-जिलाधिकारी, पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड उत्तराखंड एवं सरकार को ज्ञापन भी दिया था. लेकिन अभी तक उस पर कोई सुनवाई नहीं हुई है. ऐसे में स्टोन क्रशर के संचालन पर रोक लगाई जाए.

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