नैनीताल: उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्रियों के सरकारी आवासों के किराए और अन्य भत्तों के बकाये को लेकर मंगलवार को हाई कोर्ट ने सुनवाई पूरी कर ली है. वहीं, अब आगामी 9 दिसंबर को हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन और न्यायाधीश आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ इस पर फैसला सुनाएगी.
बता दें कि पूर्व में नैनीताल हाईकोर्ट में देहरादून के रूरल लिटिगेशन एंड एनटाइटलमेंट सेंटर ने जनहित याचिका दायर की थी. जिसमें उन्होंने प्रदेश में पूर्व मुख्यमंत्रियों को सरकार द्वारा सरकारी भवन और सुविधाएं दिए जाने को गलत ठहराया था. साथ ही उन्होंने उक्त अवधि के दौरान का किराया भी मुख्यमंत्रियों से वसूलने की मांग की थी. जिसके बाद मामले पर सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीशों की पीठ ने प्रदेश के सभी मुख्यमंत्रियों को बकाया जमा करने के आदेश दिए थे. लेकिन राज्य सरकार ने कैबिनेट में अध्यादेश लाकर मुख्यमंत्रियों के बकाए को माफ करने का फैसला लिया था.
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जिसके बाद राज्य सरकार के इस फैसले को याचिकाकर्ता ने एक बार फिर हाईकोर्ट में चुनौती दी और कहा कि कोर्ट के फैसले के बाद सरकार मामले में अध्यादेश ला रही है जो गलत है. वहीं, मंगलवार को एक बार फिर हाईकोर्ट ने इस मामले की सुनवाई पूरी कर ली है. साथ ही फैसले के लिए कोर्ट ने आगामी 9 दिसंबर की तिथि तय की है.
बता दें कि पूर्व में सरकार ने 5 पूर्व मुख्यमंत्रीयों पर 2 करोड़ 85 लाख रुपए की राशि बकाया होने की रिपोर्ट कोर्ट में पेश की थी. जिसमें बताया गया था कि पूर्व सीएम निशंक पर 40 लाख 95 हजार, बीसी खण्डूड़ी पर 46 लाख 59 हजार, विजय बहुगुणा पर 37 लाख 50 हजार, भगत सिंह कोश्यारी पर 47 लाख 57 हजार रुपए और पूर्व मुख्यमंत्री स्व. एनडी तिवारी के नाम पर एक करोड़ 13 लाख रुपए की राशि बकाया है.