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आबकारी अधिनियम में किए गए संशोधन पर HC ने राज्य सरकार से मांगा जवाब

हाईकोर्ट ने शुक्रवार को राज्य सरकार के आबकारी अधिनियमों में किए गए संशोधन के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की. ऐसे में न्यायालय ने राज्य सरकार को इस मामले में चार हफ्ते में जवाब पेश करने को कहा है.

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Published : Nov 15, 2019, 11:38 PM IST

Updated : Nov 16, 2019, 12:00 AM IST

नैनीताल हाईकोर्ट

नैनीताल: नैनीताल हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन और न्यायाधीश आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने आबकारी अधिनियम में संसोधन को लेकर राज्य सरकार को चार सप्ताह के अंदर जवाब पेश करने के आदेश दिए है. आपको बता दें कि सितारगंज निवासी आशीष कुमार कौशल नैनीताल हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर राज्य सरकार द्वारा आबकारी अधिनियम में किए गए संशोधन को चुनौती दी है.

याचिकाकर्ता का कहना है कि अधिनियम में किए गए संशोधन के बाद शराब की दुकान के लाइसेंस लेने की प्रक्रिया को आसान कर दिया गया है. सरकार ने अधिनियम में सेल शब्द को बदल कर 'सर्विस' कर दिया गया है. जिससे शराब की दुकान का ठेका लेना और भी आसान हो गया है. लिहाजा इस पर रोक लगाई जानी चाहिए क्योंकि सरकार द्वारा किए गए संशोधन के बाद राज्य में नशाखोरी को बढ़ावा मिलेगा जो असंवैधानिक है

शक्ति सिंह,अधिवक्ता

ये भी पढ़ें:महिला अस्पताल में सुविधाओं का टोटा, इधर-उधर भटकने को मजबूर मरीज
याचिकाकर्ता का कहना है कि सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवहेलना की है. क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि नेशनल और स्टेट हाईवे से शराब की दुकान 500 मीटर की दूरी पर होंगी. लेकिन राज्य सरकार द्वारा यह दुकान नेशनल हाईवे के पास ही आवंटित कर दी है. वहीं, याचिकाकर्ता का कहना है कि इस संशोधन से सुप्रीम कोर्ट के आदेश की कोई अहमियत नहीं रह जाएगी. ऐसे में न्यायालय को राज्य सरकार द्वारा किए गए इस संशोधन पर रोक लगानी चाहिए.

नैनीताल: नैनीताल हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन और न्यायाधीश आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने आबकारी अधिनियम में संसोधन को लेकर राज्य सरकार को चार सप्ताह के अंदर जवाब पेश करने के आदेश दिए है. आपको बता दें कि सितारगंज निवासी आशीष कुमार कौशल नैनीताल हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर राज्य सरकार द्वारा आबकारी अधिनियम में किए गए संशोधन को चुनौती दी है.

याचिकाकर्ता का कहना है कि अधिनियम में किए गए संशोधन के बाद शराब की दुकान के लाइसेंस लेने की प्रक्रिया को आसान कर दिया गया है. सरकार ने अधिनियम में सेल शब्द को बदल कर 'सर्विस' कर दिया गया है. जिससे शराब की दुकान का ठेका लेना और भी आसान हो गया है. लिहाजा इस पर रोक लगाई जानी चाहिए क्योंकि सरकार द्वारा किए गए संशोधन के बाद राज्य में नशाखोरी को बढ़ावा मिलेगा जो असंवैधानिक है

शक्ति सिंह,अधिवक्ता

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याचिकाकर्ता का कहना है कि सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवहेलना की है. क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि नेशनल और स्टेट हाईवे से शराब की दुकान 500 मीटर की दूरी पर होंगी. लेकिन राज्य सरकार द्वारा यह दुकान नेशनल हाईवे के पास ही आवंटित कर दी है. वहीं, याचिकाकर्ता का कहना है कि इस संशोधन से सुप्रीम कोर्ट के आदेश की कोई अहमियत नहीं रह जाएगी. ऐसे में न्यायालय को राज्य सरकार द्वारा किए गए इस संशोधन पर रोक लगानी चाहिए.

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राज्य सरकार द्वारा आबकारी अधिनियम में किए गए संशोधन को नैनीताल हाईकोर्ट में दी चुनौती।

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राज्य सरकार द्वारा आबकारी अधिनियम में किए गए संशोधन के मामले पर नैनीताल हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन और न्यायाधीश आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने राज्य सरकार को 4 सप्ताह के भीतर जवाब पेश कर स्थिति स्पष्ट करने के आदेश दिए है।


Body:आपको बता दें कि सितारगंज निवासी आशीष कुमार कौशल नैनीताल हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर राज्य सरकार द्वारा आबकारी अधिनियम में किए गए संशोधन को चुनौती दी है, याचिकाकर्ता का कहना है कि अधिनियम में किए गए संशोधन के बाद शराब की दुकान के लाइसेंस लेने की प्रक्रिया को आसान कर दिया गया है, सरकार ने अधिनियम में सेल शब्द को बदल कर सर्विस कर दिया गया है जिस वजह से शराब की दुकान का ठेका लेना और भी आसान हो गया है लिहाजा इस पर रोक लगाई जाए, क्योंकि सरकार द्वारा किए गए संशोधन के बाद राज्य में शराब के व्यवसाय को बढ़ावा मिलेगा जो असंवैधानिक है।


Conclusion:याचिकाकर्ता का कहना है कि सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवहेलना की है क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि नेशनल और स्टेट हाईवे से शराब की दुकान 500 मीटर की दूरी पर होंगी लेकिन राज्य सरकार द्वारा यह दुकाने नेशनल हाईवे के पास ही आवंटित कर दी है, वही याचिकाकर्ता का कहना है कि इस संशोधन से सुप्रीम कोर्ट के आदेश की कोई अहमियत नहीं रह जाएगी लिहाजा राज्य सरकार द्वारा किए गए संशोधन पर रोक लगा दी जाए।

बाईट- शक्ति सिंह, अधिवक्ता याचिकाकर्ता।
Last Updated : Nov 16, 2019, 12:00 AM IST
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