नैनीताल : उत्तराखंड में शराब कारोबारियों को राहत देने का मामला पहुंचा हाईकोर्ट पहुंच गया है. लॉकडाउन के दौरान बंद पड़ी शराब की दुकानों के ठेकेदारों को 196 करोड़ की राहत देने के मामले पर हाईकोर्ट ने सख्त रुख अपनाते हुए राज्य सरकार को तीन सप्ताह के अंदर जवाब पेश करने के आदेश दिए हैं.
बता दें कि देहरादून निवासी उमेश कुमार शर्मा ने नैनीताल हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा है कि राज्य सरकार द्वारा उत्तराखंड के शराब कारोबारियों पर करीब 196 करोड़ का राजस्व ये कहते हुए माफ कर दिया कि लॉकडाउन के दौरान उत्तराखंड में शराब की दुकानें बंद थी. जिस वजह से शराब कारोबारियों को नुकसान हो रहा है. वहीं, याचिकाकर्ता का कहना है कि लॉकडाउन के चलते उत्तराखंड में केवल शराब व्यवसायियों ही नहीं बल्कि सभी प्रकार के छोटे से लेकर बड़े व्यवसायियों को नुकसान हुआ है, लेकिन सरकार ने केवल शराब कारोबारियों को ही राहत दी है. सरकार द्वारा आम जनता के लिए किसी भी प्रकार की कोई छूट का प्रावधान नहीं किया गया है, लिहाजा सभी कारोबारियों को (आर्टिकल-14) समानता के अधिकार के तहत छूट दी जानी चाहिए.
याचिकाकर्ता का कहना है कि सरकार एक तरफ विशेष तबके के लोगों को फायदा दे रही है तो दूसरी तरफ कोरोना संक्रमण का हवाला देते हुए सरकारी कर्मचारी के वेतन भत्तों में करीब 30% की कटौती कर रही है जो गलत है. राज्य सरकार प्रदेश में अलग-अलग वर्गों के लोगों के लिए भेदभाव पूर्ण नीति अपना रही है.
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आज मामले में सुनवाई करते हुए नैनीताल हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन और न्यायाधीश रमेश चंद्र खुल्बे की खंडपीठ ने राज्य सरकार को तीन सप्ताह के भीतर शपथ पत्र के माध्यम से विस्तृत जवाब पेश करने के आदेश दिए हैं.