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सूखाताल झील सौंदर्यीकरण मामला: HC ने डॉक्टर कार्तिकेय हरि गुप्ता को नियुक्त किया न्यायमित्र - Sukhatal Lake IIT Roorkee Report

हाईकोर्ट ने सूखाताल झील के हो रहे सौंदर्यीकरण व भारी भरकम निर्माण कार्यों के मामले में स्वतः संज्ञान लिए जाने वाली जनहित याचिका पर सुनवाई की. कोर्ट ने जनहित याचिका में डॉक्टर कार्तिकेय हरि गुप्ता को न्यायमित्र नियुक्त किया है. मामले की अगली सुनवाई के लिए 2 मई की तिथि नियत की है.

Nainital High Court News
नैनीताल हाईकोर्ट
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Published : Apr 4, 2022, 1:41 PM IST

नैनीताल: हाईकोर्ट ने सूखाताल झील के हो रहे सौंदर्यीकरण व भारी भरकम निर्माण कार्यों के मामले में स्वतः संज्ञान लिए जाने वाली जनहित याचिका पर सुनवाई की. मामले को सुनने के बाद कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने जनहित याचिका में डॉक्टर कार्तिकेय हरि गुप्ता को न्यायमित्र नियुक्त किया है. मामले की अगली सुनवाई के लिए 2 मई की तिथि नियत की है.

आज कुमाऊं मंडल विकास निगम की तरफ से शपथ पत्र पेश कर कहा गया कि लेक में बरसात के समय पानी भरता है. लेक की सतह पर कंक्रीट नहीं करके उसकी सतह पर अब जीओ सिन्थेटिक की परत बिछाई जा रही है. जिससे लेक का रिसाव धीरे-धीरे होगा और लेक में साल भर पानी भरा रहेगा और नैनीझील से दबाव कम होगा. पहले लेक की सतह पर कंक्रीट करने का प्रस्ताव था. जिसे आईआईटी रुड़की ने निरस्त कर दिया. लेक का सम्पूर्ण कार्य आईआईटी रुड़की के दिशा-निर्देशों के अनुसार किया जा रहा है. शपथ पत्र में यह भी कहा गया है कि इस लेक का नैनीझील में केवल 3% ही पानी जाता है. मामले की सुनवाई कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश संजय कुमार मिश्रा व न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की खंडपीठ में हुई.

पढ़ें-सीसीटीवी कैमरों से लैस होंगी उत्तराखंड की अदालतें, केंद्र ने जारी किया 5 करोड़ का बजट

क्या है पूरा मामला: मामले के अनुसार नैनीताल निवासी डॉ. जीपी साह व अन्य ने हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखकर सूखाताल में हो रहे भारी भरकम निर्माण से झील के प्राकृतिक जल स्रोत बंद होने सहित कई अन्य बिंदुओं से अवगत कराया था. पत्र में कहा है कि सूखाताल नैनी झील का मुख्य रिचार्जिंग केंद्र है और उसी स्थान पर इस तरह अवैज्ञानिक तरीके से निर्माण किया जा रहा है.

पत्र में यह भी कहा गया है कि झील में पहले से ही लोगों ने अतिक्रमण कर पक्के मकान बना दिये, जिनको अभी तक नहीं हटाया गया. पहले से ही झील के जल स्रोत सूख चुके हैं, जिसका असर नैनी झील पर पड़ रहा है. कई गरीब परिवार जिनके पास पानी के कनेक्शन नहीं हैं, मस्जिद के पास के जल स्रोत से पानी पीते हैं. अगर वो भी सूख गए तो ये लोग पानी कहां से पिएंगे. इसलिए इस पर रोक लगाई जाए. पत्र में यह भी कहा गया कि उन्होंने इससे पहले जिला अधिकारी कमिश्नर को ज्ञापन दिया था. जिस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई. पूर्व में कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश ने इस पत्र का स्वतः लेकर इसे जनहित याचिका के रूप में सुनवाई के लिये पंजीकृत कराया था.

नैनीताल: हाईकोर्ट ने सूखाताल झील के हो रहे सौंदर्यीकरण व भारी भरकम निर्माण कार्यों के मामले में स्वतः संज्ञान लिए जाने वाली जनहित याचिका पर सुनवाई की. मामले को सुनने के बाद कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने जनहित याचिका में डॉक्टर कार्तिकेय हरि गुप्ता को न्यायमित्र नियुक्त किया है. मामले की अगली सुनवाई के लिए 2 मई की तिथि नियत की है.

आज कुमाऊं मंडल विकास निगम की तरफ से शपथ पत्र पेश कर कहा गया कि लेक में बरसात के समय पानी भरता है. लेक की सतह पर कंक्रीट नहीं करके उसकी सतह पर अब जीओ सिन्थेटिक की परत बिछाई जा रही है. जिससे लेक का रिसाव धीरे-धीरे होगा और लेक में साल भर पानी भरा रहेगा और नैनीझील से दबाव कम होगा. पहले लेक की सतह पर कंक्रीट करने का प्रस्ताव था. जिसे आईआईटी रुड़की ने निरस्त कर दिया. लेक का सम्पूर्ण कार्य आईआईटी रुड़की के दिशा-निर्देशों के अनुसार किया जा रहा है. शपथ पत्र में यह भी कहा गया है कि इस लेक का नैनीझील में केवल 3% ही पानी जाता है. मामले की सुनवाई कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश संजय कुमार मिश्रा व न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की खंडपीठ में हुई.

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क्या है पूरा मामला: मामले के अनुसार नैनीताल निवासी डॉ. जीपी साह व अन्य ने हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखकर सूखाताल में हो रहे भारी भरकम निर्माण से झील के प्राकृतिक जल स्रोत बंद होने सहित कई अन्य बिंदुओं से अवगत कराया था. पत्र में कहा है कि सूखाताल नैनी झील का मुख्य रिचार्जिंग केंद्र है और उसी स्थान पर इस तरह अवैज्ञानिक तरीके से निर्माण किया जा रहा है.

पत्र में यह भी कहा गया है कि झील में पहले से ही लोगों ने अतिक्रमण कर पक्के मकान बना दिये, जिनको अभी तक नहीं हटाया गया. पहले से ही झील के जल स्रोत सूख चुके हैं, जिसका असर नैनी झील पर पड़ रहा है. कई गरीब परिवार जिनके पास पानी के कनेक्शन नहीं हैं, मस्जिद के पास के जल स्रोत से पानी पीते हैं. अगर वो भी सूख गए तो ये लोग पानी कहां से पिएंगे. इसलिए इस पर रोक लगाई जाए. पत्र में यह भी कहा गया कि उन्होंने इससे पहले जिला अधिकारी कमिश्नर को ज्ञापन दिया था. जिस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई. पूर्व में कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश ने इस पत्र का स्वतः लेकर इसे जनहित याचिका के रूप में सुनवाई के लिये पंजीकृत कराया था.

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