हल्द्वानीः नैनीताल जिले के हल्द्वानी में रामलीला के आयोजन को लेकर विवाद जारी है. पूरा विवाद समिति के पदाधिकारियों के चुनाव को लेकर जुड़ा है. रामलीला कमेटी बचाओ संघर्ष समिति का कहना है रामलीला कमेटी भंग होने के 7 साल बाद भी अभी तक कमेटी के चुनाव नहीं कराए गए हैं. साल 2016 में प्राचीन रामलीला कमेटी को भंग किया गया था. तब से सिटी मजिस्ट्रेट (रिसीवर) की ओर से इसका संचालन किया जा रहा है. वहीं, संघर्ष समिति ने कुछ लोगों पर गंभीर आरोप लगाए हैं. साथ ही आय और व्यय की ऑडिट की मांग की है.
रामलीला कमेटी बचाओ संघर्ष समिति हल्द्वानी के सहसंयोजक मदन मोहन जोशी का कहना है कि करीब 140 सालों से सभी हिंदू वर्गों की ओर से कमेटी संचालित की जा रही है. कमेटी के संविधान के अनुसार अभी तक चुनाव हो जाने चाहिए थे, लेकिन 7 साल से चुनाव नहीं हो पाए हैं. उन्होंने अवैध ट्रस्ट बनाकर कब्जा करने का आरोप लगाया है. साथ ही ये भी आरोप लगाया है कि पार्किंग से होने वाली लाखों रुपए की आय का कोई लेखा-जोखा नहीं है. ऐसे में आय व्यय की ऑडिटिंग होनी चाहिए.
समिति के संयोजक संतोष कबडवाल ने बताया कि इस संबंध में रामलीला कमेटी बचाओ संघर्ष समिति ने नैनीताल हाईकोर्ट में एक याचिका भी दाखिल की है. जिसमें जिलाधिकारी, डिप्टी रजिस्ट्रार, फर्म सोसाइटी एंड चिट्स नैनीताल, सिटी मजिस्ट्रेट (रिसीवर), मुख्य नगर आयुक्त को पार्टी बनाया गया है. जिसको लेकर याचिका हाईकोर्ट में विचाराधीन है. बता दें कि यह रामलीला आगामी 11 अक्टूबर से शुरू होने जा रही है. जिससे पहले ही रामलीला सुर्खियों में है.
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वहीं, रामलीला कमेटी बचाओ संघर्ष समिति हल्द्वानी समिति के पूर्व अध्यक्ष त्रिलोक बनौली ने आरोप लगाया कि कुछ षड्यंत्रकारी लोग प्रशासनिक अधिकारियों की मिलीभगत से कमेटी पर अवैध ट्रस्ट बनाकर अनाधिकृत रूप से कब्जा करने की कोशिश कर रहे हैं. जिसके तहत बहुमूल्य संपत्तियों को खुर्द बुर्द करने की साजिश रच रहे हैं. उनका कहना है कि किसी भी हाल में ऐसा नहीं होने दिया जाएगा. अगर ऐसा होता है तो इसमें पहले की तरह इसकी लड़ाई लड़ी जाएगी. उनका ये भी आरोप है कि सत्ताधारी के इशारों पर प्रशासन अपना कब्जा जमा रहा है, जो पूरी तरह से गलत है.
क्या बोलीं सिटी मजिस्ट्रेट ऋचा सिंह? उधर, पूरे मामले में हल्द्वानी सिटी मजिस्ट्रेट ऋचा सिंह का कहना है कि अभी तक ट्रस्ट जैसी कोई बात सामने नहीं आई है. इससे पहले दो समितियों के बीच विवाद की वजह से इसमें सिटी मजिस्ट्रेट को रिसीवर नियुक्त किया गया है. तब से लेकर अब तक सिटी मजिस्ट्रेट ही इस मामले में रिसीवर नियुक्त हैं.