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क्या हल्द्वानी में टूटेंगे 4 हजार से ज्यादा घर? मिलेगी राहत या आएगी आफत, SC में सुनवाई आज - रेलवे भूमि खाली करने का आदेश

उत्तराखंड के हल्द्वानी में रेलवे भूमि से अतिक्रमण हटाए जाने का मामला सुर्खियों में है. यहां वनभूलपुरा इलाके से रेलवे भूमि पर बने 4365 घर गिराए जाने हैं. इसके खिलाफ हल्द्वानी में जोरदार प्रदर्शन चल रहा है तो कानूनी लड़ाई भी लड़ी जा रही है. मामले में 5 जनवरी यानी आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होनी है. लिहाजा, अब सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर आगे की कार्रवाई होगी.

Haldwani railway land encroachment case
हल्द्वानी में रेलवे भूमि से अतिक्रमण
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Published : Jan 4, 2023, 10:33 PM IST

Updated : Jan 5, 2023, 6:08 AM IST

हल्द्वानीः वनभूलपुरा में रेलवे भूमि से अतिक्रमणकारियों को हटाने के मामले में आज का दिन काफी अहम है. रेलवे की जमीन से अतिक्रमण हटाने के विरोध में दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होनी है. ऐसे में सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर आगे की कार्रवाई टिकी है. जबकि, उत्तराखंड हाईकोर्ट पहले ही रेलवे भूमि खाली करने का आदेश दे चुकी है. इधर, मामले में बसपा सुप्रीमो मायावती ने सरकार से सकारात्मक कदम उठाने की मांग की है.

उत्तराखंड हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ हल्द्वानी से कांग्रेस विधायक सुमित हृदयेश की अगुवाई में वहां के रहने वाले लोगों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है. इसके साथ ही प्रशांत भूषण की ओर से भी याचिका दायर की गई है. सुप्रीम कोर्ट ने सभी याचिकाओं को जोड़ते हुए गुरुवार को सुनवाई करने को कहा है. पांच जनवरी को शीर्ष अदालत में जस्टिस संजय किशन कौल एवं जस्टिस अभय एस ओका की खंडपीठ सुबह 10.30 बजे मामले की सुनवाई करेगी. इधर, इस मामले में हाईकोर्ट में याचिका दायर करने वाले गौलापार निवासी रविशंकर जोशी ने भी सुप्रीम कोर्ट में कैविएट दाखिल कर दी है.

दरअसल, उत्तराखंड हाईकोर्ट के आदेश के बाद वनभूलपुरा क्षेत्र से करीब 78 हेक्टेयर भूमि पर बसे 4365 अतिक्रमणकारियों से भूमि खाली कराई जानी है. साल 2013 में उत्तराखंड हाईकोर्ट में हल्द्वानी में बह रही गौला नदी में अवैध खनन को लेकर एक पीआईएल दाखिल की गई थी. यह नदी हल्द्वानी रेलवे स्टेशन और रेल पटरियों के बगल से बहती है. इस पीआईएल में कहा गया कि रेलवे की भूमि पर अवैध रूप से बसाई गई गफूर बस्ती के लोग गौला नदी में अवैध खनन करते हैं. इसकी वजह से रेल की पटरियों के साथ-साथ गौला पुल पर खतरा मंडरा रहा है.

साल 2017 में रेलवे ने राज्य सरकार के साथ मिलकर क्षेत्र का सर्वे किया गया और 4365 अवैध कब्जेदारों को चिह्नित किया गया. इसके बाद हाईकोर्ट में फिर एक रिट पिटिशन दाखिल की गई, जिसमें कहा गया कि क्षेत्र में रेलवे की भूमि पर किए गए अतिक्रमण को हटाने में देरी की जा रही है, जिस पर मार्च 2022 में हाईकोर्ट नैनीताल जिला प्रशासन को रेलवे के साथ मिलकर अतिक्रमण हटाने का प्लान बनाने का निर्देश दिया गया.
ये भी पढ़ेंः वनभूलपुरा के लोगों को मिला प्रशांत भूषण का साथ, सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की याचिका

अप्रैल 2022 में रेलवे के अधिकारियों और नैनीताल जिला प्रशासन ने बैठक की, जिसके बाद रेलवे ने HC में अतिक्रमण हटाने के संबंध में एक विस्तृत प्लान दाखिल किया. इसके बाद हाईकोर्ट ने 20 दिसंबर को रेलवे को निर्देश दिया कि एक हफ्ते का नोटिस देकर भूमि से अवैध अतिक्रमणकारियों को तत्काल हटाया जाए. इस अतिक्रमण हटाओ अभियान में जिला प्रशासन को शामिल करें और अगर जरूरत पड़े तो पैरामिलिट्री फोर्स की मदद लें.

इलाके के स्कूल, कॉलेज और मंदिर सभी तोड़े जाएंगे: उत्तर-पूर्वी रेलवे की ओर से जारी किए गए नोटिस में कहा गया है कि सभी अतिक्रमणों को ध्वस्त कर दिया जाएगा और अतिक्रमणकारियों से लागत वसूल की जाएगी. लाउडस्पीकरों से भी बार-बार इसकी घोषणा की गई है. इसके बाद गफूर बस्ती, ढोलक बस्ती, हल्द्वानी रेलवे स्टेशन के पास की झुग्गियों में दहशत फैल गई है. रेलवे ने दावा किया है कि उसके पास पुराने नक्शे, 1959 की एक अधिसूचना, 1971 के राजस्व रिकॉर्ड और 2017 के सर्वेक्षण के दस्तावेज हैं, जो जमीन पर रेलवे के मालिकाना हक को साबित करते हैं.

पहले काटा जाएगा विद्युत-पेयजल कनेक्शनः वहीं, सुप्रीम कोर्ट से अतिक्रमणकारियों के खिलाफ फैसला आने पर जिला प्रशासन पहले चरण में अतिक्रमणकारियों के विद्युत और पेयजल कनेक्शन को काटने का काम करेगा. नैनीताल डीएम धीराज सिंह गर्ब्याल ने बताया कि अतिक्रमण हटाने के लिए रेलवे, जिला प्रशासन के साथ मिलकर काम कर रहा है. अतिक्रमण को रेलवे प्रशासन को हटाना है, लेकिन कानून व्यवस्था और सुरक्षा की दृष्टि से जिला प्रशासन रेलवे को पूरा सहयोग कर रहा है.

मायावती ने सरकार से ये अपीलः बसपा सुप्रीमो मायावती ने ट्वीट कर लिखा है, 'उत्तराखंड के हल्द्वानी में बर्फीले मौसम में ही अतिक्रमण हटाने के नाम पर हजारों गरीब और मुस्लिम परिवारों को उजाड़ने का अमानवीय कार्य अति दुःखद है. सरकार का काम लोगों को बसाना है, न कि उजाड़ना. बहुजन समाज पार्टी की मांग है कि सरकार इस मामले में जरूर सकारात्मक कदम उठाएं.'

हल्द्वानीः वनभूलपुरा में रेलवे भूमि से अतिक्रमणकारियों को हटाने के मामले में आज का दिन काफी अहम है. रेलवे की जमीन से अतिक्रमण हटाने के विरोध में दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होनी है. ऐसे में सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर आगे की कार्रवाई टिकी है. जबकि, उत्तराखंड हाईकोर्ट पहले ही रेलवे भूमि खाली करने का आदेश दे चुकी है. इधर, मामले में बसपा सुप्रीमो मायावती ने सरकार से सकारात्मक कदम उठाने की मांग की है.

उत्तराखंड हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ हल्द्वानी से कांग्रेस विधायक सुमित हृदयेश की अगुवाई में वहां के रहने वाले लोगों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है. इसके साथ ही प्रशांत भूषण की ओर से भी याचिका दायर की गई है. सुप्रीम कोर्ट ने सभी याचिकाओं को जोड़ते हुए गुरुवार को सुनवाई करने को कहा है. पांच जनवरी को शीर्ष अदालत में जस्टिस संजय किशन कौल एवं जस्टिस अभय एस ओका की खंडपीठ सुबह 10.30 बजे मामले की सुनवाई करेगी. इधर, इस मामले में हाईकोर्ट में याचिका दायर करने वाले गौलापार निवासी रविशंकर जोशी ने भी सुप्रीम कोर्ट में कैविएट दाखिल कर दी है.

दरअसल, उत्तराखंड हाईकोर्ट के आदेश के बाद वनभूलपुरा क्षेत्र से करीब 78 हेक्टेयर भूमि पर बसे 4365 अतिक्रमणकारियों से भूमि खाली कराई जानी है. साल 2013 में उत्तराखंड हाईकोर्ट में हल्द्वानी में बह रही गौला नदी में अवैध खनन को लेकर एक पीआईएल दाखिल की गई थी. यह नदी हल्द्वानी रेलवे स्टेशन और रेल पटरियों के बगल से बहती है. इस पीआईएल में कहा गया कि रेलवे की भूमि पर अवैध रूप से बसाई गई गफूर बस्ती के लोग गौला नदी में अवैध खनन करते हैं. इसकी वजह से रेल की पटरियों के साथ-साथ गौला पुल पर खतरा मंडरा रहा है.

साल 2017 में रेलवे ने राज्य सरकार के साथ मिलकर क्षेत्र का सर्वे किया गया और 4365 अवैध कब्जेदारों को चिह्नित किया गया. इसके बाद हाईकोर्ट में फिर एक रिट पिटिशन दाखिल की गई, जिसमें कहा गया कि क्षेत्र में रेलवे की भूमि पर किए गए अतिक्रमण को हटाने में देरी की जा रही है, जिस पर मार्च 2022 में हाईकोर्ट नैनीताल जिला प्रशासन को रेलवे के साथ मिलकर अतिक्रमण हटाने का प्लान बनाने का निर्देश दिया गया.
ये भी पढ़ेंः वनभूलपुरा के लोगों को मिला प्रशांत भूषण का साथ, सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की याचिका

अप्रैल 2022 में रेलवे के अधिकारियों और नैनीताल जिला प्रशासन ने बैठक की, जिसके बाद रेलवे ने HC में अतिक्रमण हटाने के संबंध में एक विस्तृत प्लान दाखिल किया. इसके बाद हाईकोर्ट ने 20 दिसंबर को रेलवे को निर्देश दिया कि एक हफ्ते का नोटिस देकर भूमि से अवैध अतिक्रमणकारियों को तत्काल हटाया जाए. इस अतिक्रमण हटाओ अभियान में जिला प्रशासन को शामिल करें और अगर जरूरत पड़े तो पैरामिलिट्री फोर्स की मदद लें.

इलाके के स्कूल, कॉलेज और मंदिर सभी तोड़े जाएंगे: उत्तर-पूर्वी रेलवे की ओर से जारी किए गए नोटिस में कहा गया है कि सभी अतिक्रमणों को ध्वस्त कर दिया जाएगा और अतिक्रमणकारियों से लागत वसूल की जाएगी. लाउडस्पीकरों से भी बार-बार इसकी घोषणा की गई है. इसके बाद गफूर बस्ती, ढोलक बस्ती, हल्द्वानी रेलवे स्टेशन के पास की झुग्गियों में दहशत फैल गई है. रेलवे ने दावा किया है कि उसके पास पुराने नक्शे, 1959 की एक अधिसूचना, 1971 के राजस्व रिकॉर्ड और 2017 के सर्वेक्षण के दस्तावेज हैं, जो जमीन पर रेलवे के मालिकाना हक को साबित करते हैं.

पहले काटा जाएगा विद्युत-पेयजल कनेक्शनः वहीं, सुप्रीम कोर्ट से अतिक्रमणकारियों के खिलाफ फैसला आने पर जिला प्रशासन पहले चरण में अतिक्रमणकारियों के विद्युत और पेयजल कनेक्शन को काटने का काम करेगा. नैनीताल डीएम धीराज सिंह गर्ब्याल ने बताया कि अतिक्रमण हटाने के लिए रेलवे, जिला प्रशासन के साथ मिलकर काम कर रहा है. अतिक्रमण को रेलवे प्रशासन को हटाना है, लेकिन कानून व्यवस्था और सुरक्षा की दृष्टि से जिला प्रशासन रेलवे को पूरा सहयोग कर रहा है.

मायावती ने सरकार से ये अपीलः बसपा सुप्रीमो मायावती ने ट्वीट कर लिखा है, 'उत्तराखंड के हल्द्वानी में बर्फीले मौसम में ही अतिक्रमण हटाने के नाम पर हजारों गरीब और मुस्लिम परिवारों को उजाड़ने का अमानवीय कार्य अति दुःखद है. सरकार का काम लोगों को बसाना है, न कि उजाड़ना. बहुजन समाज पार्टी की मांग है कि सरकार इस मामले में जरूर सकारात्मक कदम उठाएं.'

Last Updated : Jan 5, 2023, 6:08 AM IST
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