हल्द्वानी: बाहरी प्रदेशों से उत्तराखंड आकर खेती का काम करने वाले मजदूरों की इस बार खासी कमी देखी जा रही है. कोरोना महामारी और लॉकडाउन की वजह से सभी मजदूर अपने घरों को पहले ही लौट चुके हैं. ऐसे में इन मजदूरों की कमी की वजह से उत्तराखंड के किसानों की चिंता बढ़ा दी है. वहीं, मॉनसून का समय नजदीक आ चुका है. ऐसे में हर साल इस मौसम में धान की बुआई समेत कई अन्य तरह की फसलों की खेती की जाती है, लेकिन इस बार मजदूरों की कमी की वजह से प्रदेश में खेती प्रभावित हो सकती है.
भारी संख्या में मजदूर उत्तराखंड में आकर खेती किसानी का काम किया करते थे, लेकिन लॉकडाउन के चलते मजदूर अपने घरों को वापस जा चुके हैं. ऐसे में यहां के बड़े किसान परेशान हैं. धान की बुआई नजदीक है. ऐसे में मजदूरों के नहीं मिलने से किसानों के सामने बड़ा संकट पैदा हो गया है. किसानों का कहना है कि मजदूर नहीं मिले तो धान की बुआई पर इसका असर पड़ सकता है. किसानों का कहना है कि धान का खेत तैयार हो चुका है. बस बारिश होते ही धान की बुआई शुरू कर दी जाएगी, लेकिन मजदूर नहीं मिलने की वजह से जो कुछ मजदूर मिल भी रहे हैं तो वह मुंह मांगे दामों पर काम करने को तैयार हो रहे हैं.
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किसानों की मानें तो कुमाऊं के तराई वाले इलाकों को मिनी पंजाब कहां जाता है. यहां पर धान का उत्पादन सबसे ज्यादा होता है. ऐसे में अगर मजदूर नहीं मिलते हैं तो यहां धान के खेती पर संकट गहरा सकता है. यही नहीं धान की बुआई भी लेट हो सकती है. मजदूर नहीं मिलने के चलते अन्य खेती पर भी इसका असर पड़ा है. मजबूरन लोगों की खेत खाली पड़े हैं.