ETV Bharat / state

हल्द्वानीः गोबर से बनाया गया गोवर्धन पर्वत, 2000 से ज्यादा गायों का किया गया पूजन

हल्दीचौड़ के 'हरे कृष्णा हरे रामा' गौ सेवा आश्रम में गाय के गोबर से गोवर्धन पर्वत बनाया गया. इस दौरान आश्रम में 2000 गायों की पूजा की गई.

गोवर्धन पूजा
author img

By

Published : Oct 29, 2019, 11:27 PM IST

हल्द्वानीः हल्दीचौड़ स्थित 'हरे कृष्णा-हरे रामा' गौ सेवा आश्रम में गोवर्धन पूजा धूमधाम से मनाई गई. इस दौरान वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ गाय के गोबर से गोवर्धन पर्वत बनाया गया. साथ ही करीब 2000 गायों की पूजा की गई.

गौ सेवा आश्रम के महाराज रामेश्वर दास ने बताया कि आश्रम में दो हजार से ज्यादा गायों की कृष्ण भक्ति के रूप में सेवा की जाती है. साथ ही सभी गायों की अच्छी तरह से देखभाल भी की जाती है. कार्तिक शुक्ल पक्ष प्रतिपदा के दिन गोवर्धन की पूजा की जाती है और इसके प्रतीक के रूप में गाय के गोबर से पर्वत बनाया जाता है. जहां पर गोवर्धन पूजा के साथ-साथ गौ माता की पूजा की गई.

हल्द्वानी में गोवर्धन पूजा.

ये भी पढे़ंः शीतकाल के लिए बंद हुए बाबा केदार के कपाट, ओंकारेश्वर मंदिर के लिये डोली रवाना

उन्होंने बताया कि मान्यता है कि गोवर्धन पूजा में गोधन यानि गाय की विशेष पूजा का महत्व होता है. शास्त्रों के अनुसार गौ माता में 36 करोड़ देवी-देवताओं का वास होता है. साथ ही मां लक्ष्मी का स्वरूप भी माना जाता है. महाराज ने कहा कि गाय की सेवा से सुख समृद्धि की प्राप्ति होती है.

ये भी पढे़ंः हर्षोल्लास से मनाया गया भाई दूज का पर्व, बहनों ने भाइयों की दीर्घायु का दिया आशीर्वाद

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार बृज वासियों को मूसलाधार बारिश से बचाने के लिए भगवान श्री कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को 7 दिन तक अपनी सबसे छोटी उंगली पर उठाकर रखा था. सातवें दिन कृष्ण ने गोवर्धन को नीचे रखा और हर साल गोवर्धन पूजा कर अन्नकूट उत्सव मनाने की आज्ञा दी थी. उसके बाद से ही यह उत्सव अन्नकुट के नाम से भी जाना जाता है.

हल्द्वानीः हल्दीचौड़ स्थित 'हरे कृष्णा-हरे रामा' गौ सेवा आश्रम में गोवर्धन पूजा धूमधाम से मनाई गई. इस दौरान वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ गाय के गोबर से गोवर्धन पर्वत बनाया गया. साथ ही करीब 2000 गायों की पूजा की गई.

गौ सेवा आश्रम के महाराज रामेश्वर दास ने बताया कि आश्रम में दो हजार से ज्यादा गायों की कृष्ण भक्ति के रूप में सेवा की जाती है. साथ ही सभी गायों की अच्छी तरह से देखभाल भी की जाती है. कार्तिक शुक्ल पक्ष प्रतिपदा के दिन गोवर्धन की पूजा की जाती है और इसके प्रतीक के रूप में गाय के गोबर से पर्वत बनाया जाता है. जहां पर गोवर्धन पूजा के साथ-साथ गौ माता की पूजा की गई.

हल्द्वानी में गोवर्धन पूजा.

ये भी पढे़ंः शीतकाल के लिए बंद हुए बाबा केदार के कपाट, ओंकारेश्वर मंदिर के लिये डोली रवाना

उन्होंने बताया कि मान्यता है कि गोवर्धन पूजा में गोधन यानि गाय की विशेष पूजा का महत्व होता है. शास्त्रों के अनुसार गौ माता में 36 करोड़ देवी-देवताओं का वास होता है. साथ ही मां लक्ष्मी का स्वरूप भी माना जाता है. महाराज ने कहा कि गाय की सेवा से सुख समृद्धि की प्राप्ति होती है.

ये भी पढे़ंः हर्षोल्लास से मनाया गया भाई दूज का पर्व, बहनों ने भाइयों की दीर्घायु का दिया आशीर्वाद

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार बृज वासियों को मूसलाधार बारिश से बचाने के लिए भगवान श्री कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को 7 दिन तक अपनी सबसे छोटी उंगली पर उठाकर रखा था. सातवें दिन कृष्ण ने गोवर्धन को नीचे रखा और हर साल गोवर्धन पूजा कर अन्नकूट उत्सव मनाने की आज्ञा दी थी. उसके बाद से ही यह उत्सव अन्नकुट के नाम से भी जाना जाता है.

Intro:sammry- हरे कृष्णा हरे रामा गोसेवा आश्रम में धूमधाम से मनाया गया गोवर्धन पूजा गाय के गोबर से बनाया गया गोवर्धन पर्वत।( खबर मिल से उठाएं) एंकर- गोवर्धन पूजा के मौके पर हल्द्वानी के हल्दीचौड़ स्थित हरे रामा कृष्णा हरे रामा गौ सेवा आश्रम में गोवर्धन पूजा बड़ी ही धूमधाम से मनाया गया ।गोबर के गोवर्धन पर्वत बनाकर वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ साथ भगवान कृष्ण और आश्रम की हजारों गायों की पूजा अर्चना की गई।


Body:आश्रम के महाराज रामेश्वर दास महाराज ने बताया है कि गौ सेवा आश्रम में 2,000 से अधिक गायों का कृष्ण भक्ति के रूप में सेवा की जाती है। सभी गायों को भगवान कृष्ण की गाय मानकर उनकी देख रखी जाती है। मान्यता है कि गोवर्धन पूजा ने गोधन यानी गाय की विशेष पूजा का महत्व होता है । शास्त्रों के अनुसार गौ माता ने 36 करोड़ देवी देवताओं का वास होता है और मां लक्ष्मी का स्वरूप माना जाता है। गाय की सेवा से सुख समृद्धि की प्राप्ति होती है। उन्होंने बताया कि कार्तिक शुक्ल पक्ष प्रतिपदा के दिन गोवर्धन की पूजा की जाती है और इसके प्रतीक के रूप में गाय के गोबर का पर्वत बनाया जाता है और गोवर्धन पूजा के साथ-साथ गौ माता की पूजा की जाती है। बाइट- रामेश्वर दास महाराज प्रभारी गो सेवा सदन


Conclusion:मान्यता है कि भगवान कृष्ण जब बृज वासियों को मुसला धार वर्ष से बचाने के लिए 7 दिन तक गोवर्धन पर्वत को अपनी सबसे छोटी उंगली पर उठा कर रखा और गोप गोपियां उसके छाया के सम्मुख रहे ।सातवें दिन भगवान ने गोवर्धन को नीचे रखा और हर वर्ष गोवर्धन पूजा करके अंकूट उत्सव मनाने की आज्ञा दी तभी से यह उत्सव अंकुट के नाम से जाना जाता है इसे पूरे देश के लोग धूमधाम से मनाते आ रहे हैं और उस दिन गोवर्धन महाराज की पूजा अर्चना करते हैं। सर कुछ जगह पर गोवर्धन पूजा कब मनाया गया है कार्तिक शुक्ल पक्ष आज है और गोवर्धन पूजा तिथियों के अनुसार आज मनाया जा रहा है। मथुरा और वृंदावन में भी आज ही मनाया जा रहा है गोवर्धन पूजा।
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.