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गौला नदी में खनन पर गहराने लगा संकट, कई गेट बंद होने की कगार पर - उत्तराखंड न्यूज

राज्य सरकार को सबसे ज्यादा राजस्व देने वाली गौला नदी में खनन पर संकट गहराने लगा है. नदी के कई गेटों के बंद हो जाने से हजारों लोगों के आगे रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है.

हल्द्वानी गौला नदी में खनन
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Published : Mar 12, 2019, 11:49 PM IST

हल्द्वानीः गौला नदी से खनन चुगान पर संकट गहराने लगा है. यहां ज्यादा खनन होने से मिट्टी निकलने लगी है. जिसके चलते वन विभाग अगले सत्र तक नदी के कई गेटों को बंद करने पर विचार कर रहा है. वहीं, नदी के कई गेटों के बंद हो जाने से हजारों लोगों के आगे रोजी-रोटी का संकट गहराने लगा है. साथ ही सरकार को करोड़ों रुपये का राजस्व नुकसान होने का अनुमान है.


गौर हो कि राज्य सरकार को सबसे ज्यादा राजस्व देने वाली गौला नदी के 11 खनन निकासी गेटों पर करीब आठ हजार वाहन खनन ढुलान में लगे हुए हैं. जबकि नदी में 20,000 से अधिक मजदूर खनन कार्य में जुटे हैं. जिससे कई लोगों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार मिल रहा है. मॉनसून सत्र के बाद गौला नदी से अभी तक केवल 25 लाख घन मीटर ही खनन हो पाया है, जबकि सरकार हर साल 54 लाख घन मीटर खनन कराती है. जिससे सरकार को करोड़ों रुपये का राजस्व मिलता है, लेकिन अब इस पर संकट गहराने लगा है.

जानकारी देते पूर्वी तराई वन प्रभाग के प्रभारी नीतीश मणि त्रिपाठी.


पूर्वी तराई वन प्रभाग के प्रभारी नीतीश मणि त्रिपाठी ने जानकारी देते हुए बताया कि मॉनसून सत्र में बरसात कम होने के चलते गौला नदी में इस बार रेत, बजरी कम मात्रा में आया है. जिसके चलते नदी में खनन सामग्री की मात्रा काफी कम है. खुदाई के दौरान खनन के साथ मिट्टी भी निकल रही है. जिसके लिए नदी का सर्वे किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि सर्वे के दौरान नदी से मिट्टी निकलने पर अगले सत्र तक नदी के कई गेटों को खनन निकासी के लिए बंद कर दिया जाएगा.

हल्द्वानीः गौला नदी से खनन चुगान पर संकट गहराने लगा है. यहां ज्यादा खनन होने से मिट्टी निकलने लगी है. जिसके चलते वन विभाग अगले सत्र तक नदी के कई गेटों को बंद करने पर विचार कर रहा है. वहीं, नदी के कई गेटों के बंद हो जाने से हजारों लोगों के आगे रोजी-रोटी का संकट गहराने लगा है. साथ ही सरकार को करोड़ों रुपये का राजस्व नुकसान होने का अनुमान है.


गौर हो कि राज्य सरकार को सबसे ज्यादा राजस्व देने वाली गौला नदी के 11 खनन निकासी गेटों पर करीब आठ हजार वाहन खनन ढुलान में लगे हुए हैं. जबकि नदी में 20,000 से अधिक मजदूर खनन कार्य में जुटे हैं. जिससे कई लोगों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार मिल रहा है. मॉनसून सत्र के बाद गौला नदी से अभी तक केवल 25 लाख घन मीटर ही खनन हो पाया है, जबकि सरकार हर साल 54 लाख घन मीटर खनन कराती है. जिससे सरकार को करोड़ों रुपये का राजस्व मिलता है, लेकिन अब इस पर संकट गहराने लगा है.

जानकारी देते पूर्वी तराई वन प्रभाग के प्रभारी नीतीश मणि त्रिपाठी.


पूर्वी तराई वन प्रभाग के प्रभारी नीतीश मणि त्रिपाठी ने जानकारी देते हुए बताया कि मॉनसून सत्र में बरसात कम होने के चलते गौला नदी में इस बार रेत, बजरी कम मात्रा में आया है. जिसके चलते नदी में खनन सामग्री की मात्रा काफी कम है. खुदाई के दौरान खनन के साथ मिट्टी भी निकल रही है. जिसके लिए नदी का सर्वे किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि सर्वे के दौरान नदी से मिट्टी निकलने पर अगले सत्र तक नदी के कई गेटों को खनन निकासी के लिए बंद कर दिया जाएगा.

Intro:स्लग- गौला नदी से खनन संकट गहराया
रिपोर्टर -भावनाथ पंडित /हल्द्वानी
एंकर कुमाऊ की लाइफ लाइन और सरकार को सबसे ज्यादा राजस्व देने वाली गौला नदी से खनन जुगान पर संकट गहरा सकता है। बताया जा रहा है कि गोला नदी में खनन की मात्रा नहीं है जिसके चलते नदी के अंदर से अब खनन के साथ मिट्टी भी निकल रहा है जिसके चलते वन विभाग अगले सत्र तक नदी के कई गेटों को बंद करने का विचार कर रहा है। वहीं नदी के कई गेटों के बंद हो जाने से हजारों लोगों के आगे रोजी रोटी का संकट गहरा जाएगा जबकि सरकार को भी करोड़ों का राजस्व का नुकसान होगा।


Body:पूर्वी तराई वन प्रभाग के प्रभारी नीतीश मणि त्रिपाठी ने बताया कि मानसून सत्र में बरसात कब होने के चलते गोला नदी में इस बार रेता बजरी कम मात्रा में आया है जिसके चलते नदी में खनन सामग्री की मात्रा बहुत कम है ।खुदान के दौरान खनन के साथ मिट्टी भी निकल रहा है। जिसके लिए नदी का सर्वे किया जा रहा है। सर्वे के दौरान नदी से मट्टी निकलता हुआ पाया जाता है तो अगले सत्र तक नदी के कई गेटो को खनन निकासी के लिए बंद कर दिया जाएगा। नदी के जिन जगहो पर खनन की मात्रा होगी केवल उन्हीं गेटों पर निकासी किया जाएगा।


Conclusion:गौरतलब है कि प्रदेश सरकार को सबसे ज्यादा राजस्व देने वाली गोला नदी के 11 खनन निकासी गेटों पर करीब 8 हजार वाहन खनन ढलान में लगे हुए हैं। जबकि नदी में 20,000 से अधिक मजदूर खनन कार्य में लगे हुए हैं। जिससे लाखों लोगों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार मिलता है। मानसून सत्र के बाद नवंबर से निकासी के लिए खुली गोला नदी से केवल अभी तक 25 लाख घन मीटर ही खनन हो पाया है। जबकि सरकार द्वारा हर साल 54 लाख घन मीटर खनन कराया जाता है जिससे कि सरकार को भी करोड़ों का राजस्व प्राप्त होता है।
वहीं गोला नदी के समय से पहले ही बंद हो जाने से हजारों लोगों के आगे रोजी रोटी का संकट गहरा जाएगा जबकि सरकार को भी करोड़ों का राजस्व का नुकसान होगा।
बाइट- नीतीश मणि त्रिपाठी डीएफओ तराई पूर्वी केंद्र
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