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हल्द्वानी: हर साल गौला में समाती है किसानों की भूमि, मुआवजे की लगाई गुहार

कुमाऊं की सबसे बड़ी गौला नदी बरसात के रौद्र रूप में बहती है. गौला नदी दर्जनों किसानों की कृषि भूमि अपनी आगोश में ले चुकी है. जिसको लेकर किसानों ने सरकार से मदद की गुहार लगाई है.

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गौला नदी में फसल सहित बही कृषि भूमि
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Published : Jul 16, 2020, 6:18 PM IST

Updated : Jul 16, 2020, 7:47 PM IST

हल्द्वानी: कुमाऊं की सबसे बड़ी गौला नदी प्रदेश सरकार को हर साल खनन के रूप में करोड़ों का राजस्व देती है. बरसात के दिनों में गौला नदी दर्जनों किसानों के कृषि भूमि को अपने आगोश में ले लेती है. लेकिन किसानों को अपने भूमि कटाव का कोई मुआवजा नहीं मिलता है. यहां तक की गौला नदी किनारे भूमि कटाव से बचाने के लिए बनाए गए तटबंध भी नदी के बहाव में बह गए हैं. ऐसे में किसानों ने सरकार और प्रशासन से नदी का बहाव चैनल बनाकर बीचों-बीच करने की मांग की है.

हर साल गौला नदी में समा जाती है किसानों की भूमि.

हर साल बरसात में गौला नदी बिंदुखत्ता से लेकर शांतिपुरी तक के किसानों के दर्जनों एकड़ कृषि भूमि को अपने आगोश में बहा ले जाती है. पिछले दिनों हुई भारी बारिश के कारण गौला नदी उफान पर है. जिसके चलते इस बार भी बिंदुखत्ता के दर्जनों किसानों की फसल और कृषि भूमि बह गई है. जिसको लेकर किसानों ने सरकार और विधायक से मुआवजे की गुहार लगाई है. इसके साथ ही ग्रामीणों ने कहा है कि सरकार और प्रशासन नदी में चैनल बनाकर नदी का बहाव को बीचों-बीच करें नहीं तो आने वाले समय में भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है.

पढ़ें- हरेला पर्व: स्मृति वन गंगा वाटिका में पूर्वजों के नाम पर लगाएं पौधे, वन विभाग करेगा देखभाल

विधायक नवीन दुमका ने कहा कि गौला नदी हर साल किसानों की भूमि को काफी नुकसान पहुंचाती है. इस बार भी किसानों के भूमि को काफी नुकसान हुआ है. उन्होंने कहा कि किसानों के नुकसान का आकलन किया जा रहा है. ग्रामीणों के मांग के अनुसार नदी में चैनल बनाने का काम जल्द शुरू कर दिया जाएगा. इसके साथ ही सुरक्षा दीवार को लेकर तटबंध भी बनाए जाएंगे. जिससे किसानों की जमीनों को नदी के कटाव से बचाया जा सके.

हल्द्वानी: कुमाऊं की सबसे बड़ी गौला नदी प्रदेश सरकार को हर साल खनन के रूप में करोड़ों का राजस्व देती है. बरसात के दिनों में गौला नदी दर्जनों किसानों के कृषि भूमि को अपने आगोश में ले लेती है. लेकिन किसानों को अपने भूमि कटाव का कोई मुआवजा नहीं मिलता है. यहां तक की गौला नदी किनारे भूमि कटाव से बचाने के लिए बनाए गए तटबंध भी नदी के बहाव में बह गए हैं. ऐसे में किसानों ने सरकार और प्रशासन से नदी का बहाव चैनल बनाकर बीचों-बीच करने की मांग की है.

हर साल गौला नदी में समा जाती है किसानों की भूमि.

हर साल बरसात में गौला नदी बिंदुखत्ता से लेकर शांतिपुरी तक के किसानों के दर्जनों एकड़ कृषि भूमि को अपने आगोश में बहा ले जाती है. पिछले दिनों हुई भारी बारिश के कारण गौला नदी उफान पर है. जिसके चलते इस बार भी बिंदुखत्ता के दर्जनों किसानों की फसल और कृषि भूमि बह गई है. जिसको लेकर किसानों ने सरकार और विधायक से मुआवजे की गुहार लगाई है. इसके साथ ही ग्रामीणों ने कहा है कि सरकार और प्रशासन नदी में चैनल बनाकर नदी का बहाव को बीचों-बीच करें नहीं तो आने वाले समय में भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है.

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विधायक नवीन दुमका ने कहा कि गौला नदी हर साल किसानों की भूमि को काफी नुकसान पहुंचाती है. इस बार भी किसानों के भूमि को काफी नुकसान हुआ है. उन्होंने कहा कि किसानों के नुकसान का आकलन किया जा रहा है. ग्रामीणों के मांग के अनुसार नदी में चैनल बनाने का काम जल्द शुरू कर दिया जाएगा. इसके साथ ही सुरक्षा दीवार को लेकर तटबंध भी बनाए जाएंगे. जिससे किसानों की जमीनों को नदी के कटाव से बचाया जा सके.

Last Updated : Jul 16, 2020, 7:47 PM IST
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