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श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है गर्जिया देवी मंदिर, नवरात्रि में उमड़ती है भीड़

नवरात्र के पहले दिन रामनगर के गर्जिया देवी मंदिर में भक्तों की भीड़ उमड़ी. सुबह से ही श्रद्धालु गर्जिया देवी के दर्शनों के लिए लाइनों में लगे दिखाई दिये. इस दौरान मंदिर परिसर भी माता के जयकारों से गुंजायमान रहा.

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Published : Oct 7, 2021, 4:27 PM IST

Updated : Oct 7, 2021, 7:05 PM IST

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श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है गर्जिया देवी मंदिर

रामनगर: विश्व प्रसिद्ध गर्जिया देवी मंदिर में पहले नवरात्र में सुबह 4 बजे से ही लगी भक्तों की लंबी कतारें लगी रहीं. गर्जिया माता के दर्शन करने के लिए भक्तों की भीड़ उमड़ी. मान्यता है कि नवरात्रों में गर्जिया देवी मंदिर में दर्शन करने से युवक-युवतियों की शादियों में आ रही अड़चनें दूर होती हैं.

बता दें कि पिछले साल लॉकडाउन की वजह से नवरात्रों में भक्त माता के दर्शन नहीं कर पाये थे. इस बार कोरोना के कम होते मामलों को देखते हुए मंदिर और सभी धार्मिक स्थलों को भक्तों के लिए खोल दिया गया है. आज पहले नवरात्र में गर्जिया मंदिर में सुबह से ही भक्तों का आने का सिलसिला शुरू हो गया. भक्त सुबह 4 बजे ही नैनीताल, बाजपुर, काशीपुर, मुरादाबाद से मंदिर पहुंच गए. भक्त गर्जिया माता के जयकारे लगाते हुए भी नजर आए. भक्तों में मां गर्जिया देवी के प्रति आस्था व उत्साह देखने को मिला.

श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है गर्जिया देवी मंदिर

पढ़ें-Shardiya Navratri 2021 : जानिए पहले दिन कैसे करें मां शैलपुत्री की पूजा

बता दें कि गर्जिया मंदिर के बारे में ऐसी मान्यता है कि हजारों साल पहले एक मिट्टी का बड़ा टीला था. टीला कोसी नदी के साथ बहकर आता था. बटुक भैरव देवता उस टीले में विराजमान गिरिजा माता को देखकर उन्हें रोकते हुए कहते हैं देवी ठहरो और यहां मेरे साथ निवास करो. हजारों साल पहले बटुक भैरव द्वारा रोका हुआ यह टीला आज भी ज्यों का त्यों बना हुआ है. जहां गिरिराज हिमालय की पुत्री गिरिजा देवी निवास करती हैं. जिन्हें हम माता पार्वती का एक दूसरा रूप भी कहते हैं, जो गर्जिया देवी की मूल पहचान है.

पढ़ें- महिला कांग्रेस ने PM से मांगा 'जवाब और हिसाब', लखीमपुर खीरी कांड पर मांगी सफाई

संपूर्ण उत्तराखंड में गिरिजा माता को गर्जिया देवी के नाम से भी जाना जाता है. जहां इस आस्था और विश्वास के मंदिर में भक्तजनों के कष्टों का निवारण किया जाता है. गिरिजा देवी का यह मंदिर रामनगर से 14 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. यह मंदिर रामनगर में पड़ता है. मंदिर के मुख्य पंडित मनोज पांडे बताते हैं कि 19वीं सदी में गिरिजा माता का अस्तित्व आज के समय जैसा नहीं था. बल्कि यहां पर वीरान घना जंगल हुआ करता था. साल 1950 में श्री 108 महादेव गिरि बाबा यहां पहुंचे. तब उनके शिष्य ने यहां एक झोपड़ी बनाई. जिसमें उनके शिष्य ने गिरिजा मां की उपासना की. महादेव गिरि एक नागा बाबा और तांत्रिक थे. जिन्हें कई सिद्धियां प्राप्त थीं. यही नागा बाबा एक जमाने में जापान के फौज के सिपाही थे. इन्हीं नागा बाबा ने राजस्थान से श्री भैरव, गणेश और तीन महा देवी की मूर्तियां को लाकर यहां स्थापित किया था.

पढ़ें- प्रधानमंत्री को ज्ञापन देने जा रही थीं आशा मनोरमा डोबरियाल, पुलिस ने हिरासत में लिया

आपको जानकर हैरानी होगी कि जब नागा बाबा मूर्ति स्थापना कर रहे थे, उसी समय एक शेर ने अत्यंत तेज गर्जना की. जिस वजह से उन्होंने इसे एक संकेत मानकर इस मंदिर का का नाम गर्जिया देवी रख दिया. मूर्ति स्थापना होने के बाद प्राचीन कुटिया को हटाकर पक्की कुटिया बनाई. टीले को काटकर सीढ़ियां बनाई गईं. वहीं साल 1960 के समय कोसी नदी ने विकराल रूप ले लिया. नदी प्राचीन मूर्तियों को अपने साथ बहा ले गई. उसके बाद साल 1967 में पूर्ण चंद को माता ने सपने में दर्शन दिए. जहां माता ने उन्हें बताया कि मूर्तियां कहां पर हैं, जहां से पास के ही इलाके से पूर्ण चंद ने मूर्तियों को खोदकर बाहर निकाला. फिर से मूर्तियों को स्थापित किया गया.

पढ़ें- प्रधानमंत्री को ज्ञापन देने जा रही थीं आशा मनोरमा डोबरियाल, पुलिस ने हिरासत में लिया

साल 1970 के समय गिरिजा मंदिर ने लगभग आज के जैसा रूप ले लिया था. साल 1977 में मंदिर जाने के लिए पुल का भी निर्माण करवाया गया. पुरातत्व विभाग के अनुसार यह मूर्तियां 800 से 900 साल पुरानी हैं. इस टीले की लंबाई 100 फुट है. गिरिजा देवी के टीले के नीचे अन्य मंदिर भी है. जिसमें भगवान शंकर की गुफा भी है. जिसके अंदर एक शिवलिंग भी बना हुआ है. इसके अलावा भैरव देवता के मंदिर के साथ-साथ अन्य देवी देवताओं के मंदिर भी हैं. ऐसी मान्यता है कि भैरव देवता के दर्शन के बाद ही गिरिजा देवी के दर्शन पूर्ण माने जाते हैं.

पढ़ें- पीएम मोदी बोले- उत्तराखंड ने उनके जीवन की धारा बदली


आज सुबह से ही भक्तजन जय जयकारों के साथ गिरजा देवी मंदिर में पहुंच रहे हैं. जिससे आसपास के प्रसाद बेचने वाले दुकानदार भी उत्साहित दिख रहे हैं. उनका मानना है कि एक लंबे समय बाद फिर से गर्जिया मंदिर में लोगों की भीड़ उमड़ने लगी है. बता दें हर वर्ष गंगा स्नान, दशहरे व अन्य त्योहारों पर गर्जिया देवी में विशाल मेला लगता है. वह साथ ही भक्तजनों द्वारा रोजाना ही उनकी मन्नतें पूर्ण होने पर भंडारा भी करवाया जाता है.

रामनगर: विश्व प्रसिद्ध गर्जिया देवी मंदिर में पहले नवरात्र में सुबह 4 बजे से ही लगी भक्तों की लंबी कतारें लगी रहीं. गर्जिया माता के दर्शन करने के लिए भक्तों की भीड़ उमड़ी. मान्यता है कि नवरात्रों में गर्जिया देवी मंदिर में दर्शन करने से युवक-युवतियों की शादियों में आ रही अड़चनें दूर होती हैं.

बता दें कि पिछले साल लॉकडाउन की वजह से नवरात्रों में भक्त माता के दर्शन नहीं कर पाये थे. इस बार कोरोना के कम होते मामलों को देखते हुए मंदिर और सभी धार्मिक स्थलों को भक्तों के लिए खोल दिया गया है. आज पहले नवरात्र में गर्जिया मंदिर में सुबह से ही भक्तों का आने का सिलसिला शुरू हो गया. भक्त सुबह 4 बजे ही नैनीताल, बाजपुर, काशीपुर, मुरादाबाद से मंदिर पहुंच गए. भक्त गर्जिया माता के जयकारे लगाते हुए भी नजर आए. भक्तों में मां गर्जिया देवी के प्रति आस्था व उत्साह देखने को मिला.

श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है गर्जिया देवी मंदिर

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बता दें कि गर्जिया मंदिर के बारे में ऐसी मान्यता है कि हजारों साल पहले एक मिट्टी का बड़ा टीला था. टीला कोसी नदी के साथ बहकर आता था. बटुक भैरव देवता उस टीले में विराजमान गिरिजा माता को देखकर उन्हें रोकते हुए कहते हैं देवी ठहरो और यहां मेरे साथ निवास करो. हजारों साल पहले बटुक भैरव द्वारा रोका हुआ यह टीला आज भी ज्यों का त्यों बना हुआ है. जहां गिरिराज हिमालय की पुत्री गिरिजा देवी निवास करती हैं. जिन्हें हम माता पार्वती का एक दूसरा रूप भी कहते हैं, जो गर्जिया देवी की मूल पहचान है.

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संपूर्ण उत्तराखंड में गिरिजा माता को गर्जिया देवी के नाम से भी जाना जाता है. जहां इस आस्था और विश्वास के मंदिर में भक्तजनों के कष्टों का निवारण किया जाता है. गिरिजा देवी का यह मंदिर रामनगर से 14 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. यह मंदिर रामनगर में पड़ता है. मंदिर के मुख्य पंडित मनोज पांडे बताते हैं कि 19वीं सदी में गिरिजा माता का अस्तित्व आज के समय जैसा नहीं था. बल्कि यहां पर वीरान घना जंगल हुआ करता था. साल 1950 में श्री 108 महादेव गिरि बाबा यहां पहुंचे. तब उनके शिष्य ने यहां एक झोपड़ी बनाई. जिसमें उनके शिष्य ने गिरिजा मां की उपासना की. महादेव गिरि एक नागा बाबा और तांत्रिक थे. जिन्हें कई सिद्धियां प्राप्त थीं. यही नागा बाबा एक जमाने में जापान के फौज के सिपाही थे. इन्हीं नागा बाबा ने राजस्थान से श्री भैरव, गणेश और तीन महा देवी की मूर्तियां को लाकर यहां स्थापित किया था.

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साल 1970 के समय गिरिजा मंदिर ने लगभग आज के जैसा रूप ले लिया था. साल 1977 में मंदिर जाने के लिए पुल का भी निर्माण करवाया गया. पुरातत्व विभाग के अनुसार यह मूर्तियां 800 से 900 साल पुरानी हैं. इस टीले की लंबाई 100 फुट है. गिरिजा देवी के टीले के नीचे अन्य मंदिर भी है. जिसमें भगवान शंकर की गुफा भी है. जिसके अंदर एक शिवलिंग भी बना हुआ है. इसके अलावा भैरव देवता के मंदिर के साथ-साथ अन्य देवी देवताओं के मंदिर भी हैं. ऐसी मान्यता है कि भैरव देवता के दर्शन के बाद ही गिरिजा देवी के दर्शन पूर्ण माने जाते हैं.

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आज सुबह से ही भक्तजन जय जयकारों के साथ गिरजा देवी मंदिर में पहुंच रहे हैं. जिससे आसपास के प्रसाद बेचने वाले दुकानदार भी उत्साहित दिख रहे हैं. उनका मानना है कि एक लंबे समय बाद फिर से गर्जिया मंदिर में लोगों की भीड़ उमड़ने लगी है. बता दें हर वर्ष गंगा स्नान, दशहरे व अन्य त्योहारों पर गर्जिया देवी में विशाल मेला लगता है. वह साथ ही भक्तजनों द्वारा रोजाना ही उनकी मन्नतें पूर्ण होने पर भंडारा भी करवाया जाता है.

Last Updated : Oct 7, 2021, 7:05 PM IST
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