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स्वतंत्रता सेनानी हरीश चंद्र ढौंडियाल का निधन, आजादी के आंदोलन में काटी थी जेल की सजा

कोटाबाग के स्वतंत्रता सेनानी हरीश चंद्र ढौंडियाल ने 95 साल की आयु में अपने पैतृक निवास स्थान पर अंतिम सांस ली. दिवंगत ढौंडियाल की आजाद भारत आंदोलन में उनकी अहम भूमिका रही थी. जिसके लिए उन्हें कई बार जेल भी जाना पड़ा था. इसके अलावा उन्होंने भूमि आंदोलन में भी बढ़चढ़कर हिस्सा लिया था.

harish chandra dhoundiyal
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Published : Aug 13, 2019, 5:06 PM IST

Updated : Aug 13, 2019, 7:17 PM IST

कालाढुंगीः स्वतंत्रता सेनानी रहे हरीश चंद्र ढौंडियाल का 95 साल की आयु में निधन हो गया है. उनके निधन के बाद कोटाबाग क्षेत्र में शोक की लहर है. उनके पार्थिव शरीर को अंतिम दर्शन के लिए उनके निवास स्थान पर रखा गया है. कल चित्रशिला घाट रानीबाग में उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा. आजाद भारत आंदोलन में उनकी अहम भूमिका रही थी. जिसके लिए उन्हें कई बार जेल भी जाना पड़ा था. इसके अलावा उन्होंने भूमि आंदोलन में भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया था.

स्वतंत्रता सेनानी हरीश चंद्र ढौंडियाल का निधन.

बता दें कि कालाढूंगी विकास खंड कोटाबाग 82 स्वतंत्रता सेनानियों की जन्मभूमि और कर्मभूमि रही है. इसी कड़ी में आखिरी स्वतंत्रता सेनानी हरीश चंद्र ढौंडियाल ने मंगलावर सुबह अपने पैतृक निवास स्थान पर अंतिम सांस ली. उनके परिवार में पत्नी शकुंतला देवी (90) वर्ष और एक बेटा समेत तीन बेटियां हैं.

harish chandra dhoundiyal
स्वतंत्रता सेनानी हरीश चंद्र ढौंडियाल (फाइल फोटो).

स्वतंत्रता सेनानी हरीश चंद्र ढौंडियाल का सफर-
दिवंगत स्वतंत्रता सेनानी हरीश चंद्र ढौंडियाल का जन्म 20 नवंबर 1924 को कोटाबाग के आवलकोट गांव में हुआ था. उनकी प्रारम्भिक शिक्षा भी कोटाबाग में हुई और उन्होंने हाईस्कूल उदयराज हिंदू इंटर कॉलेज काशीपुर से किया. जिसमें वो कुमाऊं मंडल के टॉपर भी रहे.

ये भी पढे़ंः आजादी के 72 साल बाद भी जातिवाद का दंश झेल रहा उत्तराखंड, पढ़िये खास रिपोर्ट

उसके बाद उन्होंने उच्च शिक्षा इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से की. जहां से उन्होंने बीए और अर्थशास्त्र से एमए किया. इसके बाद लखनऊ से पीएचडी और बरेली से वकालत की. इंटरमीडिएट के दौरान आंदोलन के चलते उन्हें जेल भी जाना पड़ा था.

freedom fighter harish chandra dhoundiyal
दिवंगत स्वतंत्रता सेनानी हरीश चंद्र ढौंडियाल को मिले हुए सम्मान.

आजाद भारत आंदोलन में उनकी अहम भूमिका रही थी. जिसके लिए उन्हें कई बार जेल भी जाना पड़ा था. इसके अलावा उन्होंने भूमि आंदोलन में भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया था. आंदोलन के अतिरिक्त वे ट्रेड यूनियन के अध्यक्ष और इलाहाबाद यूनिवर्सिटी में स्टूडेंट फेडरेशन के भी अध्यक्ष रहे.

वहीं, उनके निधन के बाद स्थानीय लोगों में गहरा शोक है. लोगों का कहना है कि उन्होंने हमेशा कोटाबाग के लिए मार्गदर्शक की भूमिका निभाई थी. साथ ही कहा कि उनकी कमी को कोई पूरा नहीं कर पाएगा.

कालाढुंगीः स्वतंत्रता सेनानी रहे हरीश चंद्र ढौंडियाल का 95 साल की आयु में निधन हो गया है. उनके निधन के बाद कोटाबाग क्षेत्र में शोक की लहर है. उनके पार्थिव शरीर को अंतिम दर्शन के लिए उनके निवास स्थान पर रखा गया है. कल चित्रशिला घाट रानीबाग में उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा. आजाद भारत आंदोलन में उनकी अहम भूमिका रही थी. जिसके लिए उन्हें कई बार जेल भी जाना पड़ा था. इसके अलावा उन्होंने भूमि आंदोलन में भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया था.

स्वतंत्रता सेनानी हरीश चंद्र ढौंडियाल का निधन.

बता दें कि कालाढूंगी विकास खंड कोटाबाग 82 स्वतंत्रता सेनानियों की जन्मभूमि और कर्मभूमि रही है. इसी कड़ी में आखिरी स्वतंत्रता सेनानी हरीश चंद्र ढौंडियाल ने मंगलावर सुबह अपने पैतृक निवास स्थान पर अंतिम सांस ली. उनके परिवार में पत्नी शकुंतला देवी (90) वर्ष और एक बेटा समेत तीन बेटियां हैं.

harish chandra dhoundiyal
स्वतंत्रता सेनानी हरीश चंद्र ढौंडियाल (फाइल फोटो).

स्वतंत्रता सेनानी हरीश चंद्र ढौंडियाल का सफर-
दिवंगत स्वतंत्रता सेनानी हरीश चंद्र ढौंडियाल का जन्म 20 नवंबर 1924 को कोटाबाग के आवलकोट गांव में हुआ था. उनकी प्रारम्भिक शिक्षा भी कोटाबाग में हुई और उन्होंने हाईस्कूल उदयराज हिंदू इंटर कॉलेज काशीपुर से किया. जिसमें वो कुमाऊं मंडल के टॉपर भी रहे.

ये भी पढे़ंः आजादी के 72 साल बाद भी जातिवाद का दंश झेल रहा उत्तराखंड, पढ़िये खास रिपोर्ट

उसके बाद उन्होंने उच्च शिक्षा इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से की. जहां से उन्होंने बीए और अर्थशास्त्र से एमए किया. इसके बाद लखनऊ से पीएचडी और बरेली से वकालत की. इंटरमीडिएट के दौरान आंदोलन के चलते उन्हें जेल भी जाना पड़ा था.

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दिवंगत स्वतंत्रता सेनानी हरीश चंद्र ढौंडियाल को मिले हुए सम्मान.

आजाद भारत आंदोलन में उनकी अहम भूमिका रही थी. जिसके लिए उन्हें कई बार जेल भी जाना पड़ा था. इसके अलावा उन्होंने भूमि आंदोलन में भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया था. आंदोलन के अतिरिक्त वे ट्रेड यूनियन के अध्यक्ष और इलाहाबाद यूनिवर्सिटी में स्टूडेंट फेडरेशन के भी अध्यक्ष रहे.

वहीं, उनके निधन के बाद स्थानीय लोगों में गहरा शोक है. लोगों का कहना है कि उन्होंने हमेशा कोटाबाग के लिए मार्गदर्शक की भूमिका निभाई थी. साथ ही कहा कि उनकी कमी को कोई पूरा नहीं कर पाएगा.

Intro:विकास खंड कोटाबाग 82 स्वतंत्रता सेनानियों की जन्मभूमि और कर्मभूमि रही है जिसमे से आखिरी रहे स्वतंत्रता सेनानी हरीश चंद्र ढौंढियाल ने आज सुबह आखिरी सांस अपने पैतृक निवास स्थान पर लेकर दुनिया को अलविदा कहा।Body:स्वर्गीय स्वतन्त्रता सेनानी हरीश चंद्र ढौढियाल का जन्म 20 नवंबर 1924 को कोटाबाग के आवलकोट गांव मैं हुआ और उनकी प्रारम्भिक शिक्षा भी कोटाबाग मैं हुई और उन्होंने हाइस्कूल उदयराज हिन्दू इंटर कॉलेज काशीपुर से किया जिसमें वो कुमाऊं मंडल के टॉपर रहे उसके पश्चात उच्च शिक्षा उन्होंने इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से की जहाँ से उन्होंने बीए और एमए अथ्रशास्त्र से किया और ईसके बाद पीएचडी लखनऊ से और वकालत बरेली से की ।
इंटरमीडिएट के दौरान आंदोलन के चलते उन्हें जेल भी जाना पड़ा । आजाद भारत आंदोलन मैं उनकी अहम भूमिका रही जिसकी लिए उन्हें कई बार जेल भी जाना पड़ा और इसके अलावा उन्होंने भूमि आंदोलन मैं भी बढ़चढ़कर हिस्सा लिया । आंदोलन के अतिरिक्त वो ट्रेड यूनियन के अध्यक्ष और इलाहाबाद यूनिवर्सिटी मैं स्टूडेंट फेडरेशन के भी अध्यक्ष रहे।
उनके परिवार मैं पत्नी शकुंतला देवी 90 वर्ष और एक बेटा सहित तीन बेटियां है और उनका देहांत 95 वर्ष की आयु मैं हो गया।Conclusion:स्वतंत्रता सेनानी हरीश चंद्र ढौढियाल के निधन से कोटाबाग मैं शोक की लहर है और कोटाबाग के लोगो ने बताया कि उन्होंने हमेशा कोटाबाग के लिए मार्गदर्शक की भूमिका निभाई थी और उनकी कमी को कोई पूरा नही कर पायेगा।
उनके पार्थिव शरीर को अंतिम दर्शन के लिए उनके निवास स्थान पर रखा गया है और कल चित्रशिला घाट रानीबाग मैं उनके पार्थिव शरीर को अग्नि दी जाएगी।
Last Updated : Aug 13, 2019, 7:17 PM IST
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