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एक ओर गणतंत्र दिवस का जश्न, दूसरी ओर अनशन पर बैठा स्वतंत्रता सेनानी आश्रित परिवार

स्वतंत्रता संग्राम सेनानी नारायण दत्त पंत के पोते शंकर दत्त पंत अनिश्चितकालीन धरने पर बैठ गए हैं. उन्होंने कहा कि सरकार और जिला प्रशासन की उपेक्षा से खिन्न होकर गणतंत्र दिवस के मौके पर अनिश्चितकालीन धरने पर बैठे हैं.

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स्वतंत्रता सेनानी आश्रित परिवार
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Published : Jan 26, 2020, 6:26 PM IST

हल्द्वानीः एक ओर जहां पूरे देशभर में 71वें गणतंत्र दिवस की धूम है. वहीं, दूसकी ओर हल्द्वानी के बिंदुखता में रहने वाला स्वतंत्रता सेनानी आश्रित परिवार धरने पर बैठने को मजबूर है. यहां पर स्वतंत्रता संग्राम सेनानी नारायण दत्त पंत के पोते शंकर दत्त पंत सरकार और प्रशासन के उदासीन रवैया के चलते अनिश्चितकालीन धरने पर बैठ गए हैं. उन्होंने आरोप लगाया कि उन्हें सरकार की ओर से कोई भी सुविधाएं नहीं मिल पा रही हैं.

स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के बलिदान के बदौलत ही देश को आजादी मिली थी और 26 जनवरी 1950 को देश को अपना संविधान मिला था, लेकिन स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के आश्रितों को सरकार और प्रशासन की ओर से दी जाने वाली सुविधाएं शंकर दत्त पंत और उनके परिवार को आज तक नहीं मिल पाई है. शंकर दत्त पंत का कहना है कि उनके दादाजी नारायण दत्त पंत स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थे और उनका देश की आजादी में बड़ा योगदान रहा. जिसे देखते हुए भारत सरकार से उन्हें ताम्रपत्र भी मिला था, लेकिन अब उनके दादाजी तो नहीं है, लेकिन उनके आश्रित परिवार को सरकार की ओर से कोई भी सुविधा नहीं दी जा रही है.

अनशन पर बैठा स्वतंत्रता सेनानी आश्रित शंकर दत्त पंत.

ये भी पढ़ेंः Republic Day 2020: देशभक्ति के रंग में डूबा उत्तराखंड, झाकियां भी रहीं आकर्षण का केंद्र

शंकर दत्त पंत का कहना है कि वे स्वतंत्रता संग्राम परिवार से हैं. ऐसे में उन्हें प्रदेश सरकार से अभी तक कोई सुविधा नहीं मिली है. आश्रित परिवार के हक के लिए वे बीते कई सालों से लड़ाई लड़ रहे हैं, लेकिन सरकार उनकी कोई सुध नहीं ले रही है. ऐसे में अब उन्हें मजबूरन अनशन पर बैठना पड़ा है. उन्होंने कहा कि सरकार और जिला प्रशासन की उपेक्षा से खिन्न होकर गणतंत्र दिवस के मौके पर अनिश्चितकालीन धरने पर बैठे हैं. वहीं, उन्होंने मांगें पूरी नहीं होने तक अपना अनशन जारी रखने की चेतावनी दी.

हल्द्वानीः एक ओर जहां पूरे देशभर में 71वें गणतंत्र दिवस की धूम है. वहीं, दूसकी ओर हल्द्वानी के बिंदुखता में रहने वाला स्वतंत्रता सेनानी आश्रित परिवार धरने पर बैठने को मजबूर है. यहां पर स्वतंत्रता संग्राम सेनानी नारायण दत्त पंत के पोते शंकर दत्त पंत सरकार और प्रशासन के उदासीन रवैया के चलते अनिश्चितकालीन धरने पर बैठ गए हैं. उन्होंने आरोप लगाया कि उन्हें सरकार की ओर से कोई भी सुविधाएं नहीं मिल पा रही हैं.

स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के बलिदान के बदौलत ही देश को आजादी मिली थी और 26 जनवरी 1950 को देश को अपना संविधान मिला था, लेकिन स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के आश्रितों को सरकार और प्रशासन की ओर से दी जाने वाली सुविधाएं शंकर दत्त पंत और उनके परिवार को आज तक नहीं मिल पाई है. शंकर दत्त पंत का कहना है कि उनके दादाजी नारायण दत्त पंत स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थे और उनका देश की आजादी में बड़ा योगदान रहा. जिसे देखते हुए भारत सरकार से उन्हें ताम्रपत्र भी मिला था, लेकिन अब उनके दादाजी तो नहीं है, लेकिन उनके आश्रित परिवार को सरकार की ओर से कोई भी सुविधा नहीं दी जा रही है.

अनशन पर बैठा स्वतंत्रता सेनानी आश्रित शंकर दत्त पंत.

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शंकर दत्त पंत का कहना है कि वे स्वतंत्रता संग्राम परिवार से हैं. ऐसे में उन्हें प्रदेश सरकार से अभी तक कोई सुविधा नहीं मिली है. आश्रित परिवार के हक के लिए वे बीते कई सालों से लड़ाई लड़ रहे हैं, लेकिन सरकार उनकी कोई सुध नहीं ले रही है. ऐसे में अब उन्हें मजबूरन अनशन पर बैठना पड़ा है. उन्होंने कहा कि सरकार और जिला प्रशासन की उपेक्षा से खिन्न होकर गणतंत्र दिवस के मौके पर अनिश्चितकालीन धरने पर बैठे हैं. वहीं, उन्होंने मांगें पूरी नहीं होने तक अपना अनशन जारी रखने की चेतावनी दी.

Intro:sammry- गणतंत्र दिवस के मौके पर स्वतंत्रता सेनानी आश्रित बैठा अनिश्चितकालीन अनशन पर ।(खबर wrap से उठाये)


एंकर- एक और जहां पूरा देश 71 वा गणतंत्र बड़ी धूमधाम से मना रहा है तो वही हल्द्वानी के बिंदुखता के रहने वाला स्वतंत्रता सेनानी आश्रित परिवार गणतंत्र दिवस के मौके पर अनिश्चितकालीन धरने पर बैठे गया है।


Body:हल्द्वानी के बिन्दुखत्ता गांव के रहने वाले स्वतंत्रता संग्राम सेनानी नारायण दत्त पंत के पोते शंकर दत्त पंत सरकार और प्रशासन के उदासीन रवैया के चलते बिन्दुखत्ताबशहीद स्मारक पर धरने पर बैठने को मजबूर हो गया है। स्वतंत्रता संग्राम सेनानी आश्रित परिवार का कहना है कि देश को आजाद करने के लिए स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों ने अपने प्राणों की आहुति दी और कई बलिदानों के बाद भी देश को आजादी मिली। 26 जनवरी 1950 को अपना संविधान मिला पर यह सब उन बलिदानों की वजह से ही संभव हो पाया ।मगर स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के आश्रितों को सरकार और प्रशासन द्वारा दी जाने वाली सुविधाएं शंकर दत्त पंत और उनके परिवार को आज तक नहीं मिली। शंकर दत्त पंत का कहना है कि उनके दादाजी नारायण दत्त पंत स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थे और उनकी देश की आजादी में बड़ा योगदान रहा जिसको देखते हुए भारत सरकार से उनको ताम पत्र भी मिला था। लेकिन अब उनके दादाजी तो नहीं है लेकिन उनके आश्रित परिवार को सरकार द्वारा कोई भी सुविधा नहीं दी जा रही है। शंकर दत्त पंत का कहना है कि वह स्वतंत्र संग्राम परिवार से हैं ऐसे में उन्हें प्रदेश सरकार से अभी तक कोई सुविधा नहीं मिली है। आश्रित परिवार के हक के लिए न्होंने पिछले कई वर्षों से लड़ाई भी लड़ रहे हैं लेकिन नहीं सरकार सुन रही है नहीं जिला प्रशासन। ऐसे में अब उनको मजबूर होना अनशन पर बैठना पड़ा है।


Conclusion:शंकर दत्त पंत का कहना है कि सरकार और जिला प्रशासन की उपेक्षा से खिन्न होकर गणतंत्र दिवस के मौके पर अनिश्चितकालीन धरने पर बैठे हैं सरकार और प्रशासन जब तक उनकी मांगें नहीं मानती हैं अंतिम समय तक वह अपना अनशन जारी रखेंगे जिसका परिणाम और सारी जिम्मेदारी जिला प्रशासन और सरकार की होगी।

बाइट -शंकर दत्त पंत अनशन कारी
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