हल्द्वानी: देश के किसानों को आर्थिक तौर पर मजबूत करने के लिए केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना की शुरूआत की. लेकिन किसान सम्मान निधि अब विवादों में घिरती दिख रही है.गरीब किसानों को दिए जाने वाला किसान सम्मान निधि पर संपन्न लोग डाका डाल रहे हैं. ये हम नहीं कह रहे, आईटीआई से इसकी तस्दीक हुई है. जिससे नैनीताल जनपद में इस योजना पर सवाल उठने लाजिमी हैं.
गौर हो कि आरटीआई से हुए खुलासे से जानकारी मिली कि नैनीताल जनपद में 1100 ऐसे किसान हैं जो आयकर दाता है और कृषि विभाग द्वारा इनको कृषि सम्मान निधि का पैसा इनके खातों में डाला जाता है. इस योजना का लाभ पात्र लोगों को नहीं मिल पा रहा है. लेकिन विभागीय लापरवाही और और संपन्न किसान दूसरे के हकों पर डाका डाल रहे हैं.
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आरटीआई कार्यकर्ता हेमंत गोनिया ने मुख्य कृषि अधिकारी से सूचना मांगी थी, कि नैनीताल जनपद में कितने किसान ऐसे हैं जिनको किसान सम्मान निधि दी जाती है और कितने ऐसे किसान हैं जो आयकर दाता हैं और किसान सम्मान निधि का लाभ उठाते हैं. विभाग द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार 7 किश्तों के माध्यम से नैनीताल जनपद के 55263 किसानों को किसान सम्मान निधि दिया गया है. लेकिन 1100 ऐसे किसान हैं, जो आयकर श्रेणी में आते हैं और इस योजना का लाभ लिए हैं. किसान सम्मान निधि के तहत किसानों को प्रतिवर्ष ₹6000 उनके बैंक खातों में केंद्र सरकार द्वारा जमा कराई जाती है.
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आरटीआई से मिली जानकारी के मुताबिक, विभाग द्वारा गरीब किसानों की रकम का संपन्न किसान लाभ उठा रहे हैं. वहीं, विभाग द्वारा इनके खिलाफ कोई कार्रवाई तक नहीं की गई है, नहीं वसूली की कोई प्रक्रिया की गई है. हेमंत गोनिया का कहना है कि जिस तरह से गरीब किसानों को मिलने वाला प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि को अमीर किसानों ने हड़पा है. ऐसे में उन किसानों के खिलाफ सख्त कार्रवाई और वसूली की कार्रवाई होनी चाहिए. जिससे गरीब और छोटे किसानों को योजना का लाभ मिल सके.
मुख्य कृषि अधिकारी नैनीताल विकास यादव ने बताया कि जांच में पता चला है कि करीब 11 सौ ऐसे किसान हैं. जो इनकम टैक्स अदा करते हैं. ऐसे में इन किसानों को नोटिस जारी कर रिकवरी की जा रही है. साथ ही बैंकों को भी पत्र लिखा गया है कि इन किसानों के खातों से पैसे की रिकवरी की जाए. वहीं, करीब 10 किसानों से पैसे की रिकवरी भी हो चुकी है.